Thursday, April 25, 2024

उपेंद्र चौधरी

प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर विशेष: नागरिक समाज की पक्षधरता ही मीडिया के निष्पक्षता की है कसौटी

दुनिया के दूसरे समुदायों की तरह हिन्दू और मुसलमान समुदायों के बीच यूं तो ऐसे कई शैलीगत फ़र्क़ है, जिनसे उनकी पहचान बनती है और जिन्हें उनकी ख़ासियत की तरह देखा जाना चाहिए। लेकिन, दोनों के बीच सतह पर...

जयंती पर विशेष: तत्वदर्शी संत रविदास, यानी एक समाज वैज्ञानिक रविदास

मनुष्य जब गहरी चिंतन-प्रक्रिया से गुज़रते हुए चेतना के साथ उच्चतर होता जाता है, तब उसकी आत्मा, उस परम सत्य का अहसास करती है, जिससे पूरी प्रकृति सृजित हुई है, तो वह प्रकृति के कण-कण के साथ आंदोलित हो...

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है!

कला मनुष्य को एक ऐसी दुनिया से साक्षात्कार कराती है,जिसमें वह सबकुछ दिखता है,जो अमूमन दिखायी पड़ने वाली दुनिया में दिखायी नहीं पड़ता।ऐसा शायद इसलिए,क्योंकि कला को जो कोई अंजाम दे रहा होता है,वह उस कला की बारीरिकयों में...

जिसकी धुन में राग-रागिनी ही नहीं हिस्ट्री-ज्योग्राफ़ी भी

राग-रागिनी के नोट्स बनाना और उसे रियाज़ के ज़रिये अपने मौसिक़ी में उतार लेना एक बात है, मगर राग-रागिनी को उस माहौल उस साज़-ओ-अंदाज़ में देखने-परखने की ज़िद, जिसमें वे बने थे, बिल्कुल एक जुनून का मामला है। इस जुनून को एक...

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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...