Friday, April 19, 2024

ज़ाहिद खान

फ़ैज़ की जयंतीः ‘अब टूट गिरेंगी ज़ंजीरें, अब जिंदानों की खैर नहीं’

उर्दू अदब में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का मुकाम एक अजीमतर शायर के तौर पर है। वे न सिर्फ उर्दू भाषियों के पसंदीदा शायर हैं, बल्कि हिंदी और पंजाबी भाषी लोग भी उन्हें उतनी ही शिद्दत से मोहब्बत करते हैं।...

पुण्यतिथिः कथ्य और संवेदना के स्तर पर मंटो के करीब है शानी का लेखन

शानी के मानी यूं तो दुश्मन होता है और गोयाकि ये तखल्लुस का रिवाज ज्यादातर शायरों में होता है, लेकिन शानी न तो किसी के दुश्मन हो सकते थे और न ही वे शायर थे। हां, अलबत्ता उनके लेखन...

जयंतीः सोवियत यूनियन की अहम हस्ती गफूरोफ भी थे जोय अंसारी के प्रशंसक

मुल्क में तरक्की पसंद तहरीक जब परवान चढ़ी, तो उससे कई तख्लीककार जुड़े और देखते-देखते एक कारवां बन गया, लेकिन इस तहरीक में उन तख्लीककारों और शायरों की ज्यादा अहमियत है, जो तहरीक की शुरुआत में जुड़े, उन्होंने मुल्क...

पुण्यतिथि: रूह पर चले बंटवारे के नश्तर का नतीजा था मंटो का ‘टोबा टेकसिंह’

सआदत हसन मंटो, हिंद उपमहाद्वीप के बेमिसाल अफसानानिगार थे। प्रेमचंद के बाद मंटो ही ऐसे दूसरे रचनाकार हैं, जिनकी रचनाएं आज भी पाठकों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं। क्या आम, क्या खास वे सबके हर दिल अजीज हैं।...

जन्मदिवसः कम उम्र में इरफान ने छुई शोहरत और अदाकारी की नई बुलंदी

‘मकबूल’ अदाकार इरफान खान आज जिंदा होते, तो वे अपना 54वां जन्मदिन मना रहे होते। बीते साल 29 अप्रैल को वे हमसे हमेशा के लिए जुदा हो गए थे। अदाकारी के मैदान में आलमी तौर पर उनकी जो शोहरत...

जयंतीः दुनिया का सर्वश्रेष्ठ गुरिल्ला सेनानायक तात्या टोपे

हिंदुस्तान की आजादी के पहले मुक्ति संग्राम 1857 में यूं तो मुल्क के लाखों लोगों ने हिस्सेदारी की और अपनी जां को कुर्बान कर, इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गए, लेकिन कुछ नाम ऐसे हैं, जिनकी बहादुरी...

जयंती पर विशेष: ‘नई कहानी’ और ‘समांतर कहानी’ आंदोलन के जनक कमलेश्वर

हिन्दी साहित्य में कथाकार कमलेश्वर का शुमार उन साहित्यकारों में होता है, जिन्होंने कहानी को नई दिशा प्रदान की। हिन्दी कहानी का आज जो स्वरूप दिखाई देता है, उसमें उनका अमूल्य योगदान है। कहानी और नई कहानी का जब...

जयंतीः उम्र में छोटे भगत सिंह को गुरु बना लिया था उधम सिंह ने

पंजाब की सरजमीं ने यूं तो कई वतनपरस्तों को पैदा किया है, जिनकी जांबाजी के किस्से आज भी मुल्क के चप्पे-चप्पे में दोहराए जाते हैं, पर राम मुहम्मद सिंह आज़ाद उर्फ उधम सिंह की बात ही कुछ और है।...

डॉ. मुल्कराज आनंदः भारत के चार्ल्स डिकेंस

डॉ. मुल्कराज आनंद, मुल्क की उन बाकमाल शख्सियतों में शामिल हैं, जिन्होंने विदेशियों को यह बतलाया कि एक हिंदुस्तानी भी उन्हीं की जुबान में उन जैसा उत्कृष्ट लेखन कर सकता है। अंग्रेजी जुबान उनके लिए कोई टैबू नहीं है।...

जन्मदिन पर विशेषः अदाकारी के स्कूल दिलीप कुमार

अदाकारी के अजीमुश्शान बादशाह दिलीप कुमार 11 दिसंबर को अट्ठानबे साल के हो गए। जीते जी उनका लीजेंड का मर्तबा है। वे न सिर्फ लाखों दिलों को जीतने वाले शानदार अदाकार हैं, बल्कि अपनी अदाकारी से उन्होंने दिलों को...

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लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।