जज उत्तम आनंद हत्याकांड में दोषी पाए गए ऑटो वालों को आजीवन कारावास की सजा, पर कई सवाल अनुत्तरित

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आखिरकार एक साल बाद धनबाद के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अष्टम उत्तम आनंद हत्याकांड में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक की अदालत ने 6 अगस्त को दोषी राहुल वर्मा एवं लखन वर्मा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और साथ ही 30 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने इस मामले की सुनवाई ऑनलाइन की।

पिछले एक साल से जज उत्तम आनंद हत्याकांड में सीबीआई जांच पर क्षेत्र के लोगों की नजर थी कि इस हत्याकांड में कोई बड़ा खुलासा होगा, क्योंकि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद बहुत ही ईमानदार और न्यायप्रिय जज थे। उन्होंने कई माफियाओं को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी। अतः ऐसे में लोगों को भरोसा था कि सीबीआई जांच में कोई बड़ा खुलासा होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अंततः सीबीआई की विशेष अदालत ने ऑटो चालक व उसके सहयोगी राहुल वर्मा एवं लखन वर्मा को इस हत्याकांड का का दोषी मानते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा-302 और 201 के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

बताते चलें कि 28 जुलाई 2021 को जज उत्तम आनंद सुबह पांच बजे मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। वे सड़क किनारे वॉक कर रहे थे, तभी रणधीर वर्मा चौक के पास एक ऑटो ने उन्हें पीछे से जोरदार टक्कर मार दी थी। इस घटना में जज की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी थी।

एक साल बाद उनकी पहली वरसी पर 28 जुलाई 2022 को अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह साबित होता है कि दोनों ने जान-बूझकर जज उत्तम आनंद की हत्या की है। हर हत्‍याकांड में कोई मो‍टिव या इंटेंशन हो, यह जरूरी नहीं। यदि अभियुक्त यह जानता है कि उसके कार्य से किसी की मौत हो सकती है तो फिर इंटेंशन की जरूरत नहीं है।

उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई 2021 को धनबाद के जज उत्तम आनंद क की हत्या मामले को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था। एसआईटी गठित कर मामले की जांच की जा रही थी। इसी बीच राज्य सरकार ने मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा की। केंद्र की अनुमति मिलने के बाद सीबीआई ने मामले को हैंड ओवर लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की और जांच शुरू कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जज उत्तम आनंद हत्याकांड में सुनवाई करते हुए सीबीआई को निर्देश दिया था कि जांच का स्टेटस रिपोर्ट झारखंड हाईकोर्ट को सौंपे। हाईकोर्ट जांच की मॉनिटरिंग करता रहा।

इस हत्याकांड में जज के परिजन को इन्साफ तो मिला लेकिन अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं। इस हत्याकांड में लोगों को किसी माफिया तत्व के हाथ की पूरी संभावना थी, जो सीबीआई जांच में कहीं भी नजर नहीं आई। ऐसे में अगर इसे एक दुर्घटना मांग लिया जाए तो भी कई अनुत्तरित सवाल मौजूद हैं। मगर जज उत्तम आनंद एक काफी न्यायप्रिय व ईमानदार जज थे, उनके फैसले पर किसी को कोई संदेह नहीं था। अतः उनकी मौत से लोग काफी आहत थे और वे किसी भी हाल में उनकी मौत के दोषी को सजा चाहते थे।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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