Wednesday, April 24, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

फ्रिज और लकड़ी के बॉक्स में औंधे मुंह पड़े लिव इन संबंधों के उलझे सवाल

नई दिल्ली। दिल्ली में अपने लिव-इन पार्टनर के हाथों मौत के घाट उतारी गई श्रद्धा वॉकर केस की सच्चाई अभी पूरी तरह सामने नहीं आई है, उस जघन्य हत्याकांड के बाद दिल्ली में एक और युवती निक्की यादव को उसके प्रेमी ने मौत के घाट उतार दिया। साथ ही अब मुंबई के नालासोपारा (ईस्ट) में इसी तरह की एक और घटना अखबारों की सुर्खियां बनी है। मेघा तोरवी की हत्या उसके प्रेमी हार्दिक शाह ने कर दी है। तीनों हत्याओं में कुछ चीजें कॉमन हैं जैसे-तीनों की हत्या उनके लिव-इन पार्टनर ने बड़े जघन्य तरीके से की और शव को फ्रिज और बॉक्स में छिपा दिया था।

महानगरों और छोटे शहरों में प्रेमी जोड़ों के बीच “लव, सेक्स और धोखा” की घटनाएं तो घटती रहती है, प्रेमी जोड़े एक दूसरे से अलग होते रहते हैं, लेकिन हाल ही में प्रेम में हुई हत्याओं ने हमारे समाज के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इन हत्याओं ने लिव इन रिलेशन और इनमें पुरुष मानसिकता को लेकर नए सिरे से देखने-समझने की बहस शुरू कर दी है।

ये घटनाएं ऐसे संबंधों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजिक मूल्यों और कानूनी संदर्भों के तहत नए सिरे से पड़ताल करने की मांग कर रही हैं। सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि लिव-इन रिलेशन दो लोगों के बीच प्रेम का मामला था। लेकिन सवाल उठता है कि जब प्रेमी जोड़े अपनी मर्जी से लिव-इन में रह रहे थे तो इतनी जल्दी प्यार खूनी खेल में कैसे बदल जा रहा है ?

श्रद्धा, निक्की और मेघा तीनों पढ़ी-लिखी और आधुनिक मूल्यों में विश्वास करने वाली लड़कियां थीं। जाति-धर्म उनके लिए बहुत मायने नहीं रखता था। तीनों अपनी मर्जी के युवकों के साथ लिव-इन में रह रही थीं। लेकिन तीनों की हत्या लिव-इन में आने के कुछ ही साल बाद हो गयी। ऐसे में सवाल उठता है कि उनके पार्टनरों ने ये कदम क्यों उठाया। क्या उनका प्रेम महज दिखावा था, या हमारा समाज हिंसक हो गया है, या आज भी खुद को आधुनिक कहने वाले पुरुष भी महिलाओं को दोयम दर्जे का समझता है। सवाल उठ रहा है कि शादी और लिव-इन रिलेशन में से क्या बेहतर है? हमने भी इससे जुड़े कई बिंदुओं को खंगाला। हम इन पर सिलसिलेवार बात करेंगे।

श्रद्धा वॉकर, निक्की यादव और मेघा तोरवी

दिल्ली में हाल ही में हुई निक्की यादव की हत्या उसके लिव-इन पार्टनर ने इसलिए की क्योंकि वह उसपर शादी का दबाव बना रही थी। तो क्या महानगरों में पला-बढ़ा आज का युवक शादी नहीं करना चाहता सिर्फ लिव-इन में ही रहना चाहता है?

प्रसिद्ध दलित लेखिका अनिता भारती कहती हैं “पितृसत्तात्मक समाज में विवाह हो या लिव-इन रिलेशन, दोनों ही में पुरुष महिलाओं को बराबरी का हक नहीं देता है। परंपरागत शादी में जिस तरह से महिलाओं की आजादी पर पहरा लगता है, ठीक उसी तरह से लिव-इन रिलेशन में आने के बाद उसका पुरुष पार्टनर महिलाओं को अपने वश में रखना चाहता है। सबसे बड़ी बात यह है कि लिव-इन में रहने के बावजूद पुरुष उस महिला से शादी नहीं करना चाहते, जिसके साथ वह रह रहे होते है। क्योंकि शादी के लिए उनको भी सती-सावित्री ही चाहिए। यानि लिव इन में साथ रह रही लड़की को वही पुरुष अपने साथ शादी के काबिल नहीं समझता। क्योंकि उसके दिमाग में ये चल रहा होता है कि जब यह मेरे साथ बिना शादी के रह सकती है तो किसी के साथ रह सकती है। ऐसे में वह किसी लड़की को सिर्फ यूज कर रहा होता है। फिर कोई बहाना बनाकर संबंध को समाप्त कर देता है।”

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वह कहती हैं कि श्रद्धा वॉकर, निक्की यादव और मेघा तोरवी की बेरहमी से मर्डर की बात की जाए तो तीनों घटनाओं का सच यह है कि तीनों के प्रेमी शादी नहीं करना चाह रहे थे। दरअसल आज भी पितृसत्तात्मक समाज के युवक ने लिव-इन को भले ही स्वीकर कर लिया हो, लेकिन शादी के लिए उसे संस्कारी बहू ही चाहिए। ऐसे में हमें लिव-इन और शादी को ज्यादा उदार बनाने और लोकतांत्रिक मूल्यों से जोड़ने की जरूरत है।

मुंबई में मेघा तोरवी की लिव-इन पार्टनर ने की हत्या

मुंबई में हार्दिक शाह (27) ने अपनी लिव-इन पार्टनर मेघा तोरवी (40) की हत्या कर शव को लकड़ी के बॉक्स में छिपा दिया। इस बॉक्स में घर के बिस्तर रखे जाते थे। घटना शनिवार, 11 फरवरी की है।

मेघा तोरवी और हार्दिक शाह

इस हत्या के बाद उसने एक स्क्रैप डीलर को बुलाकर बॉक्स के अलावा घर का सारा सामान और फर्नीचर को मात्र 4500 में बेच दिया। स्क्रैप डीलर ने भी बॉक्स के अंदर रखे शव को नहीं देखा। क्योंकि उस बॉक्स हार्दिक ने नहीं बेचा था लिहाजा उसे देखने का सवाल ही नहीं था।

मेघा तोरवी नर्स थी जबकि हार्दिक दसवीं फेल था। तीन साल पहले दोनों संपर्क में आए थे। कोरोनाकाल में वह घर से जेवरात लेकर मुंबई भाग गया था। अपने घर से भी उसका संबंध अच्छा नहीं था। मुंबई में उसका संपर्क मेघा से हुआ था। तीन सप्ताह पहले ही वे दोनों एक डीलर के ज़रिए नालासोपारा में किराए का फ्लैट लिए थे। डीलर का कहना है कि इससे पहले भी वे नालासोपारा में ही रहते थे।

तुलिंज पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर शैलेंद्र नागरकर ने कहा, मुमकिन है कि दोनों का पैसों को लेकर झगड़ा हुआ था जिसके बाद हार्दिक ने गुस्से में तोरवी का गला घोंट दिया। घटना को अंजाम देने के बाद वो राजस्थान भाग गया और उसने तोरवी के रिश्तेदार को मैसेज कर कहा कि उसका शव बेड में पड़ा है और वह दुखी होकर आत्महत्या करने जा रहा है। इसके बाद ये पूरा मामला सामने आया। प्रॉपर्टी डीलर की टिप पर जब पुलिस घर पहुंची तब तक पड़ोसियों ने घर से दुर्गंध आने की शिकायत करनी शुरू कर दी थी। पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो तोरवी का शव बरामद हुआ।

मुंबई पुलिस ने रेलवे सुरक्षा बल की मदद से हार्दिक को मध्य प्रदेश के नागदा रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया है। शहर की एक अदालत ने उसे 21 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। खास बात ये है कि इस रिश्ते में मेघा हार्दिक से 13 साल बड़ी थी।

लेखिका सविता पाठक कहती है “हमारे समाज की आकांक्षाएं बढ़ी हैं। लेकिन अभी इसके लिए हमारा सोशल सेटअप तैयार नहीं है। आज देखा जा रहा है कि युवक-युवती बहुत तेजी से रिलेशन में जा रहे हैं और उतनी ही तेजी से पीछे भी हट रहे हैं।इस प्रक्रिया में लड़कियों का तो बहुत कुछ दांव पर लगा होता है लेकिन लड़कों या पुरुषों का कुछ भी दांव पर नहीं लगता। वे बड़ी आसानी से अपने को लिव-इन से अलग कर लेते हैं। लेकिन लड़कियों के लिए यह इतना आसान नहीं होता है। वह संबंध निभाने की भरसक कोशिश करती हैं। इस तरह जब पुरुषों को लड़की से पीछा छुड़ाने के लिए कुछ नहीं सूझता तो हत्या करने से भी नहीं चूकते।”

सविता कहती हैं कि लिव-इन में रहने वाली या प्रेम विवाह करने वाली लड़कियां अक्सर अपने परिवार से संबंध तोड़ चुकी होती हैं या परिवार उनका समर्थन नहीं करता है। ऐसी हालात में लड़कियां एकदम अकेली पड़ जाती हैं। और अपने पार्टनर से ही बिगड़ी हुई चीजों का समाधान चाहती हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन को मान्यता दे दिया है। ऐसी स्थिति में लड़कियों को कानून का सहारा लेना चाहिए। तभी स्थिति में सुधार होगा।

निक्की यादव हत्याकांड

दिल्ली में 9-10 फरवरी की रात को साहिल ने अपनी लिव इन पार्टनर निक्की यादव की गला दबाकर हत्या की और शव को अपने ढाबे को डीप फ्रिज में रख दिया। यही नहीं उसी दिन उसने दूसरी लड़की से शादी भी कर ली।

निक्की यादव और साहिल गहलोत

24 साल के साहिल गहलोत और निक्की यादव पिछले कुछ सालों से रिलेशनशिप में थे। दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त रवींद्र सिंह यादव ने बताया कि आरोपी ने अपनी कार में डेटा केबल की मदद से निक्की की गला घोंटकर मार डाला। हत्या के बाद आरोपी निक्की के शव को लेकर मित्रांव गांव पहुंचा और यहां अपने ढाबे में रखे रेफ्रिजरेटर में उसकी लाश को रख दिया।

कोचिंग सेंटर जाने के दौरान बने थे दोस्त

साहिल और निक्की पहली बार उत्तम नगर में अपने कोचिंग सेंटर जाने के रास्ते में मिले थे। कुछ दिनों की मुलाकात के बाद पहले दोनों दोस्त बने फिर दोनों के बीच प्यार हो गया। आरोपी साहिल ने फरवरी 2018 में ग्रेटर नोएडा के गलगोटिया कॉलेज में डी फार्मा में, जबकि निक्की ने उसी कॉलेज में बीए (इंग्लिश ऑनर्स) में एडमिशन लिया।

इसके बाद दोनों ग्रेटर नोएडा में एक साथ किराए के मकान में रहने लगे। वे एक-दूसरे के बहुत करीब हो गए और मनाली, ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून घूमने भी गए। पुलिस ने कहा, “कोरोना लॉकडाउन के दौरान दोनों अपने घर लौट आए और लॉकडाउन खत्म होने के बाद वे द्वारका इलाके में किराए के मकान में एक साथ रहने लगे।” आरोपी ने इस रिश्ते की जानकारी अपने घर वालों को नहीं दी थी।

साहिल के घरवाले शादी के लिए बना रहे थे दबाव

पुलिस ने बताया कि आरोपी साहिल के घरवाले उस पर किसी और लड़की से शादी का दबाव बना रहे थे। आखिरकार दिसंबर 2022 में आरोपी की सगाई और दूसरी लड़की के साथ शादी की तारीख 9 फरवरी को तय की गई। इस संबंध में आरोपी ने निक्की यादव को कोई जानकारी नहीं दी। पुलिस के मुताबिक, निक्की को जब शादी के बारे में पता चला तो उसने इस बारे में साहिल से बात की। बातचीत के दौरान दोनों के बीच बहस हो गई। इसी दौरान आरोपी ने अपनी कार में रखे मोबाइल फोन के डेटा केबल की मदद से निक्की का गला घोंटकर उसे मौत के घाट उतार दिया।

महिला अधिकार कार्यकर्ता कुमुदिनी पति कहती हैं “भारतीय समाज में अभी भी महिलाओं की स्थिति दोयम दर्जे की है। पितृसत्तात्मक और सामंती समाज में महिलाओं को बराबरी का हक नहीं होता है। जब अपने देश में शुरुआत में लिव-इन रिलेशन की चर्चा शुरू हुई तो मैंने कहा था लिव-इन में रहने वाले कोई जिम्मेदारी नहीं लेते और कमिटमेंट का भी अभाव होता है। लिव-इन में रहने वाली लड़कियों के घर-परिवार वाले इस रिश्ते को स्वीकर नहीं करते, कभी-कभी लड़के-लड़की दोनों के मां-बाप औऱ परिवार इस रिश्ते को स्वीकर नहीं करते। ऐसे में लड़कियां घर-परिवार, रिश्तेदार और यहां तक कि समाज से भी कट जाती हैं। लिव-इन में रहने वाली लड़कियों को चाहिए कि घर-परिवार से समर्थन न मिलने पर समाज और महिला संगठनों से जुड़ने की पहल करें, उनको अकेले नहीं रहना चाहिए।”

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कुमुदिनी पति कहती हैं कि घर-परिवार से कटने के बाद लड़का लड़की को यह समझाने में सफल हो जाता है कि तुम्हारे मां-बाप, घर-परिवार, रिश्तेदार और समाज सब तुम्हारे दुश्मन हैं, एक मैं ही हूं जो तुमको जानता-समझता हूं। ताजा मामला राखी सावंत का है। राखी कुछ दिनों से लिव-इन में रह रही थीं। या शादी भी की होंगी तो सार्वजनिक नहीं किया था। जब राखी के लिव-इन पार्टनर के घरवाले ये रिश्ता स्वीकर नहीं किए तो वह एक झटके में उसे छोड़कर निकल लिया। राखी के दोस्तों का कहना है कि हम लोगों ने उसे समझाया था लेकिन वह नहीं मानी।

दरअसल, घर-परिवार से कटने बाद अक्सर लोग मानसिक और शारीरिक रूप से अलगाव में पड़ जाते हैं। लिव-इन दो व्यक्तिओं के बीच का संबंध बनकर रह जाता है।

बहुत ही कम लोगों के संपर्क-संबंध में होने के कारण जब घटना घट जाती है तब पता चलता है कि दोनों के बीच काफी दूरी बढ़ गयी थी। जहां तक हत्या करके शव को फ्रिज में रख देना या किसी बॉक्स मे बंद कर देने की घटनाएं समाने आ रही है तो
माना जा रहा है कि ये टीवी सीरियल्स का बुरा असर हो सकता है।

श्रद्धा वॉकर हत्याकांड

इन घटनाओं को और गहराई से समझने के लिए श्रद्धा का ज़िक्र करना ज़रूरी है। श्रद्धा वॉकर की हत्या उसके प्रेमी आफताब पूनावाला ने गला दबाकर की थी, फिर उसके लाश को 35 टुकड़ों में काटकर फ्रिज में रख दिया था, और मौका मिलने पर वह एक-एक कर लाश के टुकड़ों को बाहर जंगल में फेंक आता था। शुरू में इस रिश्ते के बारे में श्रद्धा के परिजनों को नहीं पता था। लेकिन उसके कुछ करीबी दोस्त यह जानते थे। फिर एक दिन श्रद्धा ने अपने परिवार को अफताब के बारे में बता दिया लेकिन परिवार को इस रिश्ते से ऐतराज़ था।

श्रद्धा वॉकर और आफताब पूनावाला

श्रद्धा आफ़ताब के साथ घर छोड़कर दिल्ली चली आई। दिल्ली आने के बाद वह अफताब के साथ पहले पहाड़गंज के एक होटल में रह रही थी। फिर वो दोनों साउथ दिल्ली चले गए और वहां उन्होंने महरौली के पास फ्लैट ले लिया। जिसके 10 दिन बाद ही श्रद्धा को मौत के घाट उतार दिया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रद्धा और आफताब में शादी को लेकर लड़ाई हुआ करती थी। श्रद्धा अफताब से शादी करना चाहती थी लेकिन अफताब ऐसा नहीं चाहता था। इस घटना के कई महीने बाद परिवार को पता चला कि श्रद्धा की मौत हो गई है।

महिला अधिकार कार्यकर्ता एवं रिटायर्ड प्रोफेसर शुभा कहती है “आज महिलाएं और लड़कियां बहुत असुरक्षित हो गयी हैं। आज जिस परिवार में लड़कियां है वो परिवार अपने को असुरक्षित महसूस करता है। पहले सड़क या सार्वजनिक जगहों पर अगर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं होती थी तो लोग रोकते-टोकते थे और ऐसे तत्वों को भागना पड़ता था। लेकिन आज का माहौल ऐसा है कि राह चलते महिलाओं के खिलाफ हो रही छेडखानी या हिंसा पर कोई रोकता-टोकता नहीं है, यदि कोई ऐसी घटना के खिलाफ खड़ा होता है तो अराजक तत्व उसे मारने दौड़ा लेते हैं।”

शुभा कहती हैं कि दरअसल हमारे समाज-परिवार का परंपरागत सुरक्षा कवच खत्म, सामाजिक नैतिकता, आदर्श और डर खत्म हो गया है। उसकी जगह पर कोई नया सामाजिक आदर्श बन नहीं पाया है। दूसरी बात हमारी राजनीति में आज हिंसा का तत्व बढ़ गया है। राज्य मशीनरी महिलाओं के प्रति घटित यौन हिंसा-अपराध के प्रति उदासीन बना रहता है। बिलकिस बानो केस में आरोपियों का फूल-माला पहनाकर स्वागत किया गया। आज अपराध को महिमामंडित किया जा रहा है। हॉरर किलिंग और लव जिहाद के नाम पर हिंसा को लेकर प्रशासन कड़ा रुख नहीं अपनाता। ऐसे में महिलाओं के प्रति अपराधों में बढ़ोतरी हो रही है।”

दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर अनिरुद्ध देशपांडे कहते हैं कि “महिलाओं के प्रति अपराध कोई नई बात नहीं है। इसमें बहुत आश्चर्य की भी बात नहीं है। क्योंकि जिस देश में महिलाओं को जलाने के बाद सती मंदिर बनाया जाता हो वहां महिलाओं के प्रति हिंसा को कैसे रोका जा सकता है। हमारा समाज स्त्री विरोधी समाज है। इसकी जड़ पितृसत्तात्मक समाज और सामंती मूल्यों में है।

हमारे देश में पुरुष आज भी महिलाओं को अपनी संपत्ति और गुलाम समझता है। जब कोई स्त्री संपत्ति हो गयी तो वह जिस तरह से चाहता है, वैसे पेश आता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारतीय समाज ही स्त्री विरोधी है। महिलाओं के प्रति हिंसा और अपराध पूरी दुनिया में है, कहीं कम तो कहीं ज्यादा है।”

उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा “बात सिर्फ समाज औऱ परिवार की ही नहीं है। हमारा साहित्य, सिनेमा और धर्मग्रंथ महिला द्वेष से भरे हैं। समय के साथ महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा और अपराध में कमी आएगी।”

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव थोराट कहते हैं कि लिव-इन-रिलेशन में रहने वाले जोड़े एक दूसरे के प्रति जवाबदेह रहते हैं, जबकि परंपरागत विवाह में दो परिवार शामिल होते हैं। लिव-इन को बहुत महत्व नहीं देना चाहिए।

लेकिन सवाल यह है कि चाहे परंपरागत शादी हो या लिव-इन रिलेशन, महिलाएं दोनों जगह घुट और मर रही हैं। सवाल बना हुआ है कि हमारा समाज महिलाओं के प्रति हिंसक और यौन अपराधियों के प्रति इतना उदासीन क्यों है?

(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)

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