Friday, March 29, 2024

काश! सरकारें जोशीमठ की बाबत आईआईटी पंजाब की शोध रिपोर्ट पर ध्यान देतीं!        

उत्तराखंड के जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धंसाव की बाबत पंजाब के आईआईटी ( भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान) रोपड़ ने भी ठीक एक साल पहले चेतावनी दी थी लेकिन उसे किसी ने अतिरिक्त गंभीरता से नहीं लिया। अगर आईआईटी रोपड़ की भविष्यवाणी पर रत्ती भर भी गौर किया होता तो हालात इतने संगीन नहीं होने थे जितने आज दरपेश हैं।                          

आईआईटी रोपड़ (पंजाब) का दावा है कि उसके सिविल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर रीत कमल तिवारी की अगुवाई में शोधकर्ताओं की एक विशेष टीम ने मार्च, 2021 की शुरुआत में जोशीमठ बाढ़ परिदृश्य के लिए ग्लेशियल विस्थापन का मानचित्रण किया था।

इसी के आधार पर भविष्यवाणी और चेतावनी दी गई थी कि निकट भविष्य में जोशीमठ ऐसी किसी आपदा का शिकार हो सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़ की ओर से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक प्रोफेसर डॉक्टर रीत कमल तिवारी और आईआईटी पटना में सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर व उनके तत्कालीन पीएचडी छात्र डॉक्टर अक्षर त्रिपाठी ने गहन शोध के बाद पाया था कि जोशीमठ मौत के मुहाने पर खड़ा है।                                 

संस्थान के आधिकारिक बयान के अनुसार शोधार्थियों ने अध्ययन के लिए सेंटिनल-1 उपग्रह जाटा का इस्तेमाल करते हुए परसिस्टेंट सेक्टर एसएआर इंटरफेयरोमेट्री (पीएसआईएनएसएआर) तकनीक का इस्तेमाल किया था। उसी के आधार पर निकले शोध नतीजों से जाहिर हुआ कि जोशीमठ शहर में इमारतों के लिए 7.5 से 10 सेमी विस्थापन के बीच की भविष्यवाणी की गई थी। 

डॉ. रीत कमल तिवारी।

शोधार्थियों ने अपने जर्नल में तथ्यों सहित साफ लिखा था कि आने वाले समय में जोशीमठ और आस पास की कई इमारतों में बड़े पैमाने पर दरारें पैदा हो सकती हैं। संस्थान के मुताबिक पिछले दिनों से कुछ ऐसी ही तस्वीर जोशीमठ में सामने आ रही हैं। पूरे अध्ययन की रिपोर्ट 16 अप्रैल, 2021 को लखनऊ में आयोजित एक सम्मेलन में प्रस्तुत भी की गई थी और उत्तराखंड तथा केंद्र सरकार को भी आगाह किया गया था।

डॉक्टर रीत कमल तिवारी का कहना है कि केंद्र सरकार को फौरी कदम इस बाबत यह भी उठाना चाहिए कि हिमालयी आपदाओं पर एक अंतर-आईआईटी उत्कृष्टता संस्थान स्थापित करना चाहिए। यह हिमालयी आपदाओं पर अपनी तरह का पहला सफल अंतर-संस्थागत अध्ययन साबित होगा। इसी मानिंद डॉक्टर अक्षर त्रिपाठी ने भी इंटर-डिसीप्लिनरी और इंटर-आईआईटी स्थापित करने की जरूरत पर जोर दिया है। 

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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