Friday, April 26, 2024

बनाने वालों को दुत्कारना मोदी की पुरानी फितरत

गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन मुख़्यमंत्री और आज के देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि एक मौत के सौदागर की हो गई थी। यही बात थी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें राज धर्म निभाने की नसीहत दी थी। यदि वह वीडियो देखी जाये तो समझ में आ जाता है कि मोदी की नजरों में उस समय अटल बिहारी वाजपेयी ने कितना बड़ा अपराध कर दिया था। उस समय तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी उनके संरक्षक के रूप में उभर के सामने आये थे। मतलब आडवाणी ने उन्हें राजनीतिक जीवनदान दिया था। आज अपने गुरु आडवाणी को मोदी कितना सम्मान दे रहे हैं, किसी से नहीं छिपा है क्या? 2014 के लोकसभा चुनाव में पूरी की पूरी भाजपा यहां तक कि आरएसएस भी मोदी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के पक्षधर नहीं थे। भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने आगे बढ़कर मोदी का साथ दिया। अध्यक्ष पद के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया, आज मोदी राजनाथ सिंह को कितना सम्मान दे रहे हैं, कोई अनभिज्ञ है क्या?

जिस व्यक्ति के मोदी सुपुत्र हैं, जिनकी वजह से उनका अस्तित्व है उनके बारे में कोई जानता है क्या? जिस महिला ने मोदी को 9 महीने पेट में रखा, परवरिश की उनको मुख्यमंत्री या फिर प्रधानमंत्री रहते हुए मोदी ने कितने दिन अपने साथ रखा? जिस महिला ने मोदी की पत्नी होती हुए पूरी जिंदगी एक विधवा के रूप में काट दी, वह महिला कभी किसी ने मोदी के साथ देखी है क्या? जिन भाई-बहनों, जिन मित्रों रिश्तेदारों के बीच में मोदी का जीवन बीता उनका नाम लेते हुए कभी मोदी को किसी ने देखा है क्या? जिन बच्चों के साथ मोदी ने चाय बेची, उनमें से किसी को कोई जानता है क्या? भाई क्यों उम्मीद लगाए बैठे हो मोदी से। उनका एकसूत्रीय कार्यक्रम है कि उन्हें देश नहीं विश्व का नेता बनना है। अब लोग कहेंगे कि मोदी को प्रधानमंत्री तो भारत की जनता ने बनाया है तो भाई ठगी करना तो मोदी का पुराना पेशा है। अब जनता ही ठगने के लिए तैयार बैठी है तो इसमें उनका दोष? ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि मोदी उनके साथ एहसान करने वाले को धोखा देते हैं तो फिर अडानी और अम्बानी पर इतना मेहरबान क्यों हैं?

दरअसल उपरोक्त जितने भी लोगों को उन्होंने ठगा है अब वे उनके किसी भी काम के नहीं रहे। अडानी और अंबानी से अभी उन्हें बहुत काम निकालने हैं। आज की परिस्थितियों में कभी भी जनता के साथ ही भाजपा के बड़े नेता और आरएसएस भी उनके खिलाफ मुखर हो सकता है। ऐसे में जिन अपने अमीर मित्रों अडानी और अम्बानी को वह देश के संसाधन लुटवा रहे हैं, उनके बलबूते अपना पाला मजबूत रखना चाहते हैं। प्रश्न यह भी उठता है कि क्या मोदी को जनता की जरूरत नहीं है तो भाई 2019 में आम चुनाव में वह समझ चुके हैं कि देश की जनता को बरगलाने का हुनर उन्हें आता है। फिर कोई पुलवामा जैसा आतंकी हमला करवा देंगे और राष्ट्रवाद का नारा दे देंगे।

कुछ भी हो मोदी की इस बात में तो तारीफ करनी पड़ेगी कि मोदी ने रेडियो पर अपना कार्यक्रम दिल की बात, जनता की बात, देश की बात, समाज की बात या फिर सबकी बात नहीं रखा। उन्होंने जनता को उपदेश देने के लिए मन की बात कार्यक्रम रखा। वैसे भी मन तो चंचल ही होता है। लोग मोदी के मन की बात को गंभीरता से लेते ही क्यों हैं? गोदी मीडिया को लेने दो, उसे जनता को भ्रमित जो करना है।

आज ही देख लीजिये कार्यक्रम ‘मन की बात’ में वे खपत से दस गुणा आक्सीज़न के उत्पादन का दावा कर रहे हैं। भाई इसमें मोदी की गलती क्या है। जब कोरोना मरीजों को आक्सीजन की जरूरत थी तो उनकी देश से ज्यादा जरूरत प. बंगाल को थी। अब जब मोदी ने आक्सीजन की व्यवस्था कर दी तो कोरोना वायरस कमजोर ही पड़ गया। वैसे भी मोदी जुमलों के तो माहिर हैं ही। उनके हिसाब से तो देश में वैक्सीन भी खपत से दस गुणा ज्यादा है। वह भी फ्री में। अब लोग सोचें कि वैक्सीन लगवाने के लिए एक बार में ही रजिस्ट्रेशन हो जायेगा तो फिर रजिस्ट्रेशन की जरूरत ही क्या थी? वैसे भी वैक्सीन भागी थोड़े ही जा रही है। ज्यादा ही जल्दी ही तो मोदी ने प्राइवेट अस्पतालों में पूरी व्यवस्था कर दी है। अब प्राइवेट है तो पैसे तो लगेंगे ही। हां, यदि रुसी वैक्सीन स्पूतनिक वी लगवानी है तो अपोलो जाना पड़ेगा।

पैसे खर्च करने के नाम पर यह मत कहना कि देश के लोगों को पैसे में दे रहे हैं और विदेश में फ्री में भेज दी। तो भाई जब उन्हें देश से ज्यादा सम्मान विदेश में मिलता है तो फिर देश से ज्यादा चिंता विदेश की तो बनती है न। हाउडी मोदी कार्यक्रम किसने कराया था? लीजेंड ऑफ़ मेरिट पुरस्कार किसने दिया? ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड किसने दिया? चैम्पियन ऑफ़ द अर्थ सम्मान किसने दिया? किंग अब्दुदाजीज साश अवार्ड किसने दिया? देश ने दिया था क्या? अरे भाई हमें तो मोदी पर गर्व होना चाहिए कि देश में मुस्लिमों को औकात में रखने के बावजूद मुस्लिम देशों पर भी अपना रंग जमा दिया। जिन पांच देशों ने उन्हें अपने देश के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया उनमें से चार मुस्लिम देश हैं। आप क्या चाहते हैं पाकिस्तान भी सम्मानित कर दे तो उसकी व्यवस्था भी मोदी ने कर दी है।

इसके लिए सऊदी अरब को लगा दिया गया है। अब ये मत कहना की इन पुरस्कारों के लिए देश को बड़ी कीमत पड़ी। जनता की अरबों की कमाई मोदी ने विदेशी दौरों पर भूंक दी। अरे भाई हर बड़ी उपलब्धि के लिए बड़ी कीमत तो चुकानी पड़ती ही है। वह बात दूसरी है कि यह उपलब्धि देश की नहीं मोदी थी। तो क्या हुआ प्रधानमंत्री तो देश के ही हैं न। बुरा हो इस कोरोना की दूसरी लहर का। नहीं तो मोदी ने तो देश के लिए शांति के लिए नोबल पुरस्कार की भी व्यवस्था कर दी थी। कुछ लोग यह कहेंगे कि जब देश ही बर्बाद हो जाएगा तो इन पुरस्कारों का क्या करेंगे? देश रहे या न रहे पर देश के प्रधानमंत्री का नाम तो रहेगा।

दुनिया देश के इस प्रधानमंत्री को इतने पुरस्कारों के लिए याद तो रखेगी। अब लोग यह कहेंगे कि लाखों कोरोना संक्रमित लोग मोदी सरकार की अव्यवस्था की भेंट चढ़ गए और मोदी स्वास्थ्य सेवाओं की सराहना कर रहे हैं। भाजपा सांसद रूडी प्रताप सिंह के यहां कई एम्बुलेंस खड़ी होना का मुद्दा पूर्व सांसद पप्पू यादव ने उठाया तो उसको जेल भेज दिया गया। अरे भाई। जब मोदी सरकार और उसके सांसदों की आलोचना करते हुए विपक्ष डर रहा है। मीडिया नहीं कर पा रहा है तो फिर पप्पू क्यों पंगा ले लिए? आखिकार प्रधानमंत्री मोदी हैं न।

लोग कहेंगे कि मोदी कह रहे हैं “जब हम ये देखते हैं कि अब भारत दूसरे देशों की सोच और उनके दबाव में नहीं, अपने संकल्प से चलता है, तो हम सबको गर्व होता है। जब हम देखते हैं कि अब भारत अपने खिलाफ साज़िश करने वालों को मुंहतोड़ ज़वाब देता है तो हमारा आत्मविश्वास और बढ़ता है। पर चीन समय-समय पर हमें सीमा के साथ ही आर्थिक और मानसिक नुकसान पहुंचा रहा है। यहां तक नेपाल भी कई बार घुड़की दे चूका है। हमारा दुश्मन पाकिस्तान भी कोरोना की आड़ में मदद की बात कर हमें नीचा दिखाने लगा तो भाई ये हमारे पड़ोसी देश हैं न, कोई बात नहीं। लोग कहेंगे कि मोदी एक ओर कृषि उत्पादन के लिए किसानों की तारीफ कर रहे हैं और दूसरी ओर आंदोलित किसानों की सुन नहीं रहे हैं। अरे भाई मोदी को ऊंची आवाज पसंद नहीं है। कोई उनके खिलाफ खड़ा हो उन्हें बर्दाश्त नहीं। वैसे भी देश का सबसे कमजोर तबका मोदी को ललकारेगा?

(चरण सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल दिल्ली में रहते हैं।)

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