वाराणसी। बीएचयू सर सुंदरलाल अस्पताल के हृदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ, ओमशंकर का आमरण अनशन चिकित्सा विज्ञान की नई एथिक्स मुनाफा नहीं सेवा और संवेदना लिख रहा है। हृदय रोगियों के लिए उपलब्ध बेड न दिए जाने से ख़फ़ा डॉ ओमशंकर पिछले पांच दिनों से आमरण अनशन पर है। अनशन पर होने के बावजूद मरीजों से उनका रिश्ता छूटा नहीं है अपने चेंबर में आमरण अनशन पर बैठे डॉ. ओमशंकर लगातार मरीजों को देख कर दवा भी लिख रहे हैं। उनकी दलील है कि मरने वाले में हर तीसरे व्यक्ति की मौत की वजह अगर हृदयरोग है तो अस्पताल में हर तीसरा बेड हृदय रोगियों के लिए होना चाहिए। बीएचयू के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ है जब रोगियों के अधिकार के लिए कोई विभागाध्यक्ष आमरण अनशन पर बैठा है।
आम आदमी को स्वास्थ्य का अधिकार दिए जाने की उनकी लड़ाई पहले से ही जारी है। उनका कहना है कि सरकारें कभी भी आम आदमी के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं रही है। आज भी लोग बिना इलाज के मर रहे है। बदहाल चिकित्सा जगत की तस्वीर किसी से छुपी नहीं है खुद एम्स का दर्जा प्राप्त सर सुंदरलाल चिकित्सालय में स्ट्रेचर पर मरीजों का इलाज आज भी किया जाता है। कैंसर जैसे गंभीर मरीजों को भी किमो थैरेपी के लिए घंटों तो कभी दूसरे दिन तक का इंतजार करना पड़ता है।
डॉ ओमशंकर के सवालों को यूं ही दरकिनार नहीं किया जा सकता। अस्पताल में हृदय रोगियों की संख्या में जिस अनुपात में वृद्धि हो रही है उस अनुपात सुविधाएं नहीं बढ़ रही है। बेड न होने के कारण मरीजों वापस होना पड़ता है या फिर निजी अस्पतालों के चंगुल में फंसकर लूट का शिकार। सुपर स्पेशियलिटी भवन में हृदय रोग को दिए जाने वाले बेड्स पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ कैलाश कुमार गुप्ता ने डिजिटल लॉक लगा रखा है। इसी डिजिटल लॉक को खोलने की बात डा. ओमशंकर पिछले दो सालों से कर रहे है। उनका कहना है कि हम गंभीर रूप से पीड़ित हृदय रोगियों का इलाज नहीं कर पा रहे हैं। पिछले दो सालों में लगभग 35 हजार रोगियों को बेड नहीं मिला इनमें से हजारों रोगियों की जाने चली गई जिन्हें हम बचा सकते थे।

रोगियों के हितों के लिए लगातार सक्रिय डॉ ओमशंकर कुलपति को लगातार पत्र लिखते रहे हैं पर उन्हें जवाब नहीं मिलता फिर भी वो बैठते नहीं उनकी कलम नहीं रुकती। देश के प्रधानमंत्री और बनारस के सांसद नरेन्द्र मोदी को वो लिखते हैं कि बीते अक्टूबर 2023 में सुपर स्पेशियलिटी भवन के सम्पूर्ण पांचवा तल्ला हृदय रोग विभाग को आवंटित किए जाने के अनुशंसा के वावजूद चिकित्सा अधीक्षक महोदय इसे नहीं मानते। बीते 8 मार्च को आमरण अनशन पर बैठने से पहले आईएमएस के निदेशक महोदय भी आदेश जारी कर डिजिटल लॉक को तत्काल खोलने के लिए कहते हैं लेकिन चिकित्सा अधीक्षक महोदय सुनते नहीं।

डॉ ओमशंकर कहते हैं कि विश्वविद्यालय में लूट और अराजकता का खेल जारी है। निदेशक महोदय का आदेश चिकित्सा अधीक्षक नहीं मानते। बावजूद इसके तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी वो अपने पद पर कैसे बने रह सकते हैं?
डॉ ओमशंकर पिछले पांच दिनों से आमरण अनशन पर है और विश्वविद्यालय प्रशासन मौन। प्रधानमंत्री मोदी भी बीएचयू के मुख्य द्वार पर स्थित मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर लौट गए है लेकिन डॉ ओमशंकर अनशन पर बैठकर आम आदमी के जीवन की रक्षा के लिए बेड मांग रहे है। उनका कहना है कि चिकित्सा आम आदमी का अधिकार है और सरकार का काम है उस अधिकार की सुरक्षा करना।
मरीजों के दिल का इलाज करने वाले डॉक्टर का मरीजों के हक में आमरण अनशन पर बैठना बताता है कि कहीं तो कुछ गड़बड़ है। वहीं डॉ. ओमशंकर के आमरण अनशन के समर्थन में विश्वविद्यालय के छात्रों ने बुधवार को आक्रोश मार्च निकाला।
(बनारस से भाष्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट)
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