गुजरात में 22,842 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी, सीबीआई ने शिपयार्ड कंपनी एबीजी के खिलाफ दर्ज किया मुकदमा

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गुजरात में देश का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड सामने आया है। सूरत के एबीजी शिपयार्ड ने 28 बैंकों को 22,842 करोड़ रुपए का चूना लगाया है। सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कराया है। सीबीआई ने कहा कि कंपनी जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत का काम करती है। इसके शिपयार्ड गुजरात के दहेज और सूरत में स्थित है।

सीबीआई ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, कफे परेड, कोलाबा मुंबई ब्रांच के डीजीएम बालाजी सिंह समानता की शिकायत पर मेसर्स एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, मगदला विलेज, ऑफ डुमास रोड, सूरत, गुजरात कंपनी, ऋषि कमलेश अग्रवाल, चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर, गारंटर संथानम मुथास्वामी, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अश्वनी कुमार, डायरेक्टर सुशील कुमार अग्रवाल, डायरेक्टर रवि विमल निवेदिता, डायरेक्टर मेसर्स एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और अज्ञात सरकारी लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश, चीटिंग, क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट, पोस्ट का दुरुपयोग करके कॉन्सॉर्टियम ऑफ बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ई स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (मौजूदा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया), ई स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर (मौजूदा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) जिसे आईसीआईसी बैंक लीड कर रहा था, उन्‍हें कुल 22,842 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है।

अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि यह मुकदमा भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के एक संघ से कथित रूप से 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के संबंध में दर्ज किया गया। यह सीबीआई की ओर से दर्ज किया गया सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी का मामला है। इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा किया गया है।

बैंकों के संघ ने सबसे पहले आठ नवंबर 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर सीबीआई ने 12 मार्च 2020 को कुछ स्पष्टीकरण मांगा था। बैंकों के संघ ने अगस्त, 20 में एक नई शिकायत दर्ज की और डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच करने के बाद सीबीआई ने इस पर कार्रवाई की। अधिकारी ने कहा कि कंपनी को एसबीआई के साथ ही 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2468.51 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें धन का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है।

बैंकों की ओर से कंपनी को ‘फ्रॉड अकाउंट’ में घोषित करने के दो साल बाद एजेंसी ने एबीजी शिपयार्ड और उसके निदेशकों के खिलाफ यह कार्रवाई की है। सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक फर्म पर आईसीआईसीआई का 7,089 करोड़, आईडीबीआई बैंक का 3634 करोड़, एसबीआई का 2925 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा का 1614 करोड़ और पीएनबी व इंडियन ओवरसीज बैंक का 1200 करोड़ से ज्यादा बकाया है।

शिकायत में मौजूद आरोप और फैक्ट्स के मुताबिक आईपीसी 120बी, 409, 420 और 13(2), 13(1) (d), ऑफ प्रिवेंशन औ करप्शन एक्ट के तहत (1) एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, (2) ऋषि कमलेश अग्रवाल, (3) संथानम मुथोस्वामी, (4) अश्वनी कुमार, (5) सुशील कुमार अग्रवाल, (6) रवि विमल निवेतिया, (7) मेसर्स एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, (8) अज्ञात पब्लिक सर्वेंट और प्राइवेट लोगों के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया है और सीबीआई के पीआई नई दिल्ली कमलेश चंद्र तिवारी को जांच करने के लिए आदेश दिया गया है।

दरअसल कंपनी को एसबीआई के साथ ही 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2468.51 करोड़ रुपए के ऋण को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें धन का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है।

कंपनी जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत का काम करती है। इसके शिपयार्ड गुजरात के दहेज और सूरत में स्थित है। इस बीच 22,842 करोड़ रुपए के बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई मुंबई में एबीजी शिपयार्ड से जुड़ी कई जगहों पर छापेमारी कर रही है। इससे पहले नीरव मोदी ने बैंकों के साथ लगभग 13,200 करोड़ रुपए का घोटाला किया था।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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