नई दिल्ली। 2014 में केंद्र में संघ-भाजपा की सरकार आने के बाद से देश में अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of Speech) पर सबसे अधिक हमले हो रहे हैं। मुख्य धारा की मीडिया सत्ता के इशारे पर काम कर रही है। अब सरकार सोशल मीडिया को भी अपने इशारे पर नचाना चाह रही है। सोशल मीडिया पर सत्ता से असहमत लोगों को तो पहले से ही ट्रोल किया जाता रहा है। लेकिन अब ऑनलाइन क्लासेस चलाने वालों को भी नहीं बख्शा जा रहा है।
ऐसा ही एक मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसमें बीजेपी की आईटी सेल के लोगों ने एक शिक्षक को ट्रोल करना शुरु कर दिया। अनएकेडमी (Unacademy) के एक शिक्षक करण सांगवान ऑनलाइन क्लास के दौरान अपनी व्यक्तिगत राय साझा करते हुए छात्रों से कहते हैं कि “अगली बार जब आप वोट देने जाएं तो किसी पढ़े-लिखे इंसान को वोट दें”। करण सांगवान की करीब 44 सेकंड की ये वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। जिसके बाद बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्त्ताओं को ये लगा कि ये शिक्षक उनके सबसे बड़े नेता को निशाना बनाते हुए कह रहा है कि बीजेपी को वोट मत दो।
अनएकेडमी एक ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म है और वहां पर कई विषय के शिक्षक पढ़ाते हैं और यह प्लेटफॉर्म हाल के समय में ही शुरू हुआ है।
नये भारत में आपका स्वागत है
प्रधानमंत्री मोदी नये भारत की बात करते हैं, कहीं वो इसी नए भारत की बात तो नहीं करते है जहां एक शिक्षक अपने छात्रों को बेहतर बनने और बेहतर चुनने के लिए सुझाव देता है, तो लोग इस बात को भी गलत ठहरा कर उस शिक्षक पर भद्दे कमेंट करने लग जाते हैं। आज इस मौके पर चाणक्य द्वारा कही गई एक लाइन याद आती है, वाक्य इस तरह से है “शिक्षक कभी साधारण नहीं होता प्रलय और निर्माण दोनों उसकी गोद में खेलते हैं।”
इस बात में कोई शक नहीं कि एक शिक्षक चाहे तो अपने छात्रों को देश के निर्माण के बारे में भी सिखा सकता है और देश का विनाश कैसे करें? यह भी सिखा सकता है। बात करें करण सांगवान की तो वो एक बेहतर राष्ट्र निर्माण की बात कर रहे थे, क्योंकि इस देश में किस तरह के लोग नेता बन जाते हैं इस बात से कोई अछूता नहीं है। एक शिक्षित नेता हमेशा अपने लाभ से पहले पद की गरिमा रखते हुए जनता के लाभ को ऊपर रखता है, लेकिन इस देश में भ्रष्टाचार है, हिंदू-मुस्लिम जैसी चीजें हैं और इस तरह के कई प्रोपेगेंडा देश में चलाए जा रहे हैं जिससे लोग बंटते जा रहे हैं।
टूट पड़ी भाजपा आईटी सेल
ऐसा कहा जाता है कि हरेक बात को रखने का एक तरीका होता है, करण सांगवान के द्वारा कही गई बात को सुने तो कहीं से ये नहीं लगता है कि उसने किसी एक व्यक्ति या एक पार्टी को टारगेट करते हुए बोला हो लेकिन फिर भाजपा और अंधभक्तों कैसे पता चल गया कि वे उनके नेता को और पार्टी के खिलाफ बोल रहे हैं?
बाला नाम के ट्विटर आईडी ने इस शिक्षक के वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा है कि “इस शिक्षक से वह निराश है क्योंकि उसे वह काम करना है जिसके लिए उसे भुगतान मिल रहा है। इसलिए वह अपने छात्रों से कह रहे हैं कि नए बदलाव लाने वाली सरकार यानी बीजेपी को वोट न दें।”
मिस्टर सिन्हा नाम के ट्विटर आईडी ने करण के वीडियो पर कमेंट करते हुए लिखा है कि “यह सच है कि अनएकेडमी के करण ने बिना किसी का नाम लिए अपने छात्रों से अशिक्षित राजनेताओं को वोट न देने का आग्रह किया, लेकिन वह यहीं नहीं रुके और 3 नए आपराधिक न्याय कानूनों को बदलने के लिए मोदीजी को गाली दी। “वह किसी का नाम नहीं ले रहे हैं” इसीलिए इस तर्क का कोई मतलब नहीं है, वह स्पष्ट रूप से पीएम मोदी के बारे में बात कर रहे थे।”
इस तरह की कई आईडी से करण को लेकर ट्वीट होते रहे हैं, लेकिन ये समझ पाना मुश्किल था कि जब साफ तौर पर वीडियो में किसी का नाम नहीं लिया गया है तो लोग इसे प्रधानमंत्री मोदी से कैसे जोड़ रहे हैं या फिर यह हो सकता है कि वो अपने नेता को अशिक्षित मानते हैं तभी जोड़ रहे होंगे। हालांकि जब एक तरफ से भाजपा आईटी सेल टूट पड़ी तो कुछ लोग करण सांगवान के सपोर्ट में भी आ गए। जबकि आज के समय में हमें सोशल मीडिया पर इस तरह के वीडियो भी देखने को मिलते हैं। जिसमें शिक्षक अपने छात्रों से भाजपा और हिंदुत्व को चुनने के लिए कहते हैं, तब इसे कोई गलत नहीं ठहराता है, कोई आईटी सेल उस पर हमला नहीं करती है तो फिर करण के साथ ऐसा क्यों?
(राहुल कुमार की रिपोर्ट )
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