जहां एक तरफ पूरे देश का ध्यान महाराष्ट्र और झारखंड में किसकी सरकार बनने जा रही है, पर लगा हुआ है, वहीं उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा की सीटों को जीतने के लिए योगी सरकार और राज्य मशीनरी ने सारे घोड़े खोल दिए हैं।
भाजपा की अन्दरुनी राजनीतिक घमासान के मद्देनजर इन चुनावों का क्या महत्व है, इसका महात्म्य भले ही आम मतदाताओं को न हो, लेकिन राजनीति में गहरी रूचि रखने वाले पाठकों की नजर में यह सब छुपा नहीं है। वर्ना ये उपचुनाव हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के साथ ही निपट जाने थे। लेकिन उत्तर प्रदेश में और ज्यादा तैयारी से लड़ने के नाम पर इसे 13 नवंबर 2023 तक के लिए टाल दिया गया था। लेकिन शायद इसके बाद भी तैयारी में कुछ अधूरा महसूस हुआ, इसलिए योगी आदित्यनाथ की दिल्ली यात्रा के बाद इन चुनावों को कार्तिक पूर्णिमा का हवाला देते हुए महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों के साथ कराया जा रहा है।
ध्यान रहे कि कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को थी, और चुनाव 13 नवंबर को होने थे। लेकिन जब चुनाव आयोग जेबी कार्यकर्ता के तौर पर काम करने लग जाये तो उससे इससे बेहतर अपेक्षा करना सही नहीं होगा।
बहरहाल, किसी तरह 10 में से 9 विधानसभा सीटों पर आज मतदान शुरू हो गया है, लेकिन जैसी आशंका व्यक्त की जा रही थी, कुछ वैसा ही नजारा सुबह से देखने को मिल रहा है। जगह-जगह से वीडियो आ रहे हैं, उससे पता चल रहा है कि पोलिंग बूथ के बाहर यूपी पुलिसकर्मी वैध मतदाता की शिनाख्त करने के नाम पर अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं को निशाना बना रही है। कई महिला मतदाताओं ने अपने बयान में कहा है कि उनके पास वोटर आई कार्ड और आधार कार्ड होने के बावजूद उनसे राशनकार्ड सहित दसियों प्रकार के कार्ड को वेरीफाई कराने के लिए कहकर हैरान-परेशान किया जा रहा है।
ऐसे में मतदाता वोट डालने के बजाय अपने-अपने घरों को बेरंग वापस लौट रहे हैं। इस बारे में समाजवादी पार्टी ने कल से ही अभियान छेड़ रखा था। दूसरी तरफ भाजपा की ओर से मुस्लिम महिला मतदाताओं की पहचान के लिए बुर्कानशीं महिलाओं का बुर्का उतारकर पहचान किये जाने के संबंध में चुनाव आयोग को पत्र तक लिखा गया है। यह काम मतदान केंद्र पर तैनात चुनाव आयोग के कर्मचारियों का है, जिन्हें यदि फर्जी मतदान की आशंका होगी तो वह ऐसा कर सकती है। लेकिन इसका दूसरा उद्येश्य हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण को तेज करना लगता है। बहरहाल, सबसे बड़ा सवाल तो पुलिस बैरिकेडिंग और मतदाता की चेकिंग की बाधा को पार कर पोलिंग बूथ तक जाने का ही बना हुआ है।
यूपी में विधानसभा की कुल 9 सीटों पर 90 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। मुरादाबाद में कुंदरकी विधानसभा सीट पर वैध दस्तावेज होने के बावजूद मुस्लिम मतदाताओं को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। आज यूपी में 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं और सभी निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं के दमन की एक जैसी कहानियां सामने आ रही हैं। बूथ के भीतर एजेंट मुस्लिम मतदाताओं की पर्चियों को नकली बताकर वापस भेज रहे हैं। सीकरी ग्राम पंचायत के मतदाताओं का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें युवा मतदाताओं के अलावा वृद्ध और महिलाओं तक का कहना है कि उन्हें वोट डालने से रोका जा रहा है।
सपा नेता धर्मेन्द्र यादव का इस बारे में कहना है कि, “उत्तर प्रदेश में हर जगह के प्रशासन ने भाजपा को जिताने का टेंडर ले रखा है। लेकिन जनता बहुत स्वाभिमानी है। मतदाताओं को बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है। उनके पास वोटर आईडी, आधार कार्ड होने के बावजूद उन्हें बूथ से लौटाया जा रहा है। सपा के प्रभाव क्षेत्रों को छावनी बनाया जा रहा है। बैरिकेडिंग की जा रही है। इसके बावजूद जनता बहुत स्वाभिमानी है। यदि उनके स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ होगा तो उसका जवाब जनता देगी।”
कल ही सपा नेता राजकुमार भाटी ने चुनाव आयोग का हवाला देते हुए एक पत्र साझा करते हुए लिखा था, ‘उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि पुलिस को मतदाताओं की पहचान करने का कोई अधिकार नहीं है l यह काम मतदान कर्मियों का है l समाजवादी पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं से अपील है कि कल मतदान के दिन यदि पुलिस किसी भी मतदान केंद्र पर अथवा उसके आसपास पहचान पत्र चेक करती हुई अथवा मतदाताओं से उनकी पहचान पूछती हुई दिखाई दे तो तुरंत उसकी वीडियो बनाकर चुनाव आयोग और पार्टी कार्यालय को भेजें l’
लेकिन आज सुबह कुंदरकी विधानसभा के मतदाताओं को अपने मोहल्ले से मतदान केंद्र जाने के रास्ते में पुलिस की बैरिकेडिंग का सामना करना पड़ा। मौके पर मौजूदा विधायक और प्रत्याशी हाजी रिजवान को हस्तक्षेप करना पड़ा और उसके बाद पुलिस ने बैरिकेडिंग हटाई है। ऐसा बताया जा रहा है कि यूपी पुलिस इस मोहल्ले के मतदाताओं का आधार कार्ड चेक कर ही उन्हें बाहर निकलने दे रही थी। ऐसे में सवाल उठता है कि चुनाव आयोग के लिखित निर्देश के बावजूद यूपी पुलिस ऐसा किसके कहने पर कर रही है? क्या योगी सरकार के आगे चुनाव आयोग ने आत्मसमर्पण कर रखा है?
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिलेश यादव ने इस बारे में सोशल मीडिया साइट X पर एक के बाद कई ट्वीट किये हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और केंद्रीय चुनाव आयोग से अपील करते हुए अपने संदेश में कहा है, “माननीय सर्वोच्च न्यायालय और निर्वाचन आयोग से अपील है कि अभी-अभी प्राप्त वीडियो साक्ष्यों के आधार पर तत्काल संज्ञान लेते हुए दंडात्मक कार्रवाई करें और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया को भी सुनिश्चित करें। जो भी पुलिस अधिकारी वोटर कार्ड और आधार आईडी चेक कर रहे हैं, उन्हें वीडियो के आधार पर तुरंत निलंबित किया जाए। पुलिस को आधार आईडी कार्ड या पहचान पत्र जाँचने का कोई अधिकार नहीं है।”
अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग के जमीर को ललकारते हुए अपील की है कि अगर निर्वाचन आयोग का कोई जीता-जागता अस्तित्व है तो वो जीवंत होकर, प्रशासन के द्वारा वोटिंग को हतोत्साहित करने के लिए तुरंत सुनिश्चित करे: लोगों की आईडी पुलिस चेक न करे। रास्ते बंद न किये जाएं। वोटर्स के आईडी ज़ब्त न किये जाएं। असली आईडी को नक़ली आईडी बताकर जेल में डालने की धमकी न दी जाए। मतदान की गति घटायी न जाए। समय बर्बाद न किया जाए, ज़रूरत पड़ने पर वोटिंग का टाइम बढ़ाया जाए। प्रशासन सत्ता का प्रतिनिधि न बने। चुनावी गड़बड़ी की सभी वीडियो रिकार्डिंग का रीयल टाइम संज्ञान लेकर तत्काल बेईमान अधिकारी हटाए जाएं।
अभी कुछ देर पहले सपा नेता, अखिलेश यादव ने एक और बयान जारी कर बगैर वोट डाले अपने घरों को लौट चुके मतदाताओं को आश्वस्त करते हुए अपील की है कि, ‘उत्तर प्रदेश में जिन मतदाताओं को पुलिस-प्रशासन द्वारा वोट डालने से रोका गया है, वो एक बार फिर से वोट डालने जाएं। इस चुनावी गड़बड़ी की सूचना हर तरफ़ फैल गई है। चुनाव आयोग भी सतर्क हो गया है और अब उसकी तरफ़ से ये आश्वासन मिल रहा है कि जिन लोगों को वोट डालने से रोका गया है, वो एक बार फिर से जाएं और अपना वोट ज़रूर डालें। अब कोई गड़बड़ी नहीं होने दी जाएगी।
अगर फिर से कोई रोके तो आप वहाँ उपस्थिति चुनाव आयोग के अधिकारियों या राजनीतिक दलों के लोगों को सूचित करें या चुनाव आयोग से सीधी शिकायत करें। चुनाव आयोग से मिले इस आश्वासन के लिए धन्यवाद। प्रशासन व पुलिस के बेईमान अधिकारी बख़्शे नहीं जाएंगे। उनके वीडियो साक्ष्य उनके ख़िलाफ़ वैधानिक कार्रवाई का आधार बनेंगे।बेख़ौफ़ जाएं और अपना वोट ज़रूर डालकर आएं!’
बता दें कि उत्तर प्रदेश की कटेहरी (अंबेडकर नगर), करहल (मैनपुरी), मीरापुर (मुज़फ्फरनगर), गाजियाबाद, मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर शहर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज) और कुंदरकी (मुरादाबाद) विधानसभा की 9 सीटों पर आज उपचुनाव के लिए मतदान डाला जा रहा है।
ऐसा माना जा रहा है कि यदि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा लोकसभा की तरह उपचुनावों में भी भाजपा की जीत को सुनिश्चित करा पाने में कामयाब नहीं हुए तो उन्हें इसका खामियाजा अपनी कुर्सी गंवाकर चुकाना होगा। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से भाजपा को जो करारा झटका लगा है, उसके बाद से ही दिल्ली और उत्तर प्रदेश में दोनों उप-मुख्यमंत्री राज्य में सत्ता परिवर्तन के लिए बेकरार हैं।
भाजपा के भीतर ही नहीं, सहयोगी दलों से भी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ विरोध अभियान तेज हो गया है। हाल ही में मिर्ज़ापुर में अपना दल के एक कार्यकर्ता को कुछ गुंडों ने मारकर घायल कर दिया था, जिसे सरकारी अस्पताल में 24 घंटे बीत जाने के बाद भी न तो उचित इलाज की व्यवस्था की गई थी और न ही पुलिस प्रशासन ने मामला ही दर्ज किया था। ऐसा बताया जा रहा है कि ये अराजक तत्व उक्त कार्यकर्ता के घर घुसकर शराब पीने लगे।
जब उसने इसका विरोध किया तो उसकी बेटी को अगवा करने का प्रयास किया गया। उसके सिर पर वार कर उसे गिरा दिया। उसकी पत्नी पर भी जानलेवा हमला किया गया। इस मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्रीय राज्य स्वास्थ्य मंत्री और अपना दल की अध्यक्ष, अनुप्रिया पटेल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें उन्हें एसपी और अस्पताल प्रशासन को जमकर लताड़ लगाते देखा जा सकता है। पीड़ित परिवार की बेटी का भी कहना है कि उसने किसी तरह खुद को इन अराजक तत्वों से छुड़ाकर पड़ोस में शरण ली। हमलावरों ने उसके माता-पिता को मृत समझकर वे वहां से भाग खड़े हुए।
बता दें कि मिर्जापुर में गंगापार मंझवा विधानसभा सीट पर भाजपा और सपा की महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ रही हैं। बसपा ने भी ब्राह्मण उम्मीदवार को मैदान में उतारकर मामले को त्रिकोणीय बना दिया है, जिसमें भाजपा के वोटों की सेंधमारी बड़े पैमाने पर संभव है। मिर्ज़ापुर से सांसद, अनुप्रिया पटेल की दो घंटे के भीतर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी भी क्या उत्तर प्रदेश में उप चुनावों पर अपना असर डाल सकती है? ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के उपचुनाव भी महाराष्ट्र और झारखंड की तरह ही भाजपा के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं, विशेषकर योगी आदित्यनाथ के लिए।
(रविंद्र पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)
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