केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की

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सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के 24 घंटे के भीतर ही केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। पांचों जज 6 फरवरी को शपथ लेंगे। इस बीच  प्रयागराज में एक कार्यक्रम में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी को नकार दिया है। रिजिजू ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी है। जबकि यहां कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता। हम जनता के सेवक हैं, हम संविधान के हिसाब से काम करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों को स्वीकार करते हुए केंद्र ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की। इन पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति अधिसूचना जारी की गई है : 1. राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पंकज मिथल 2. पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजय करोल, 3. मणिपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पीवी संजय कुमार 4. पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस अमानुल्लाह 5. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस मनोज मिश्रा ।

उधर, हाईकोर्ट के जजों की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति होने पर खाली हुए पदों पर केंद्र ने कार्यवाहक जजों की नियुक्ति की है। मनींद्र मोहन श्रीवास्तव को राजस्थान हाई कोर्ट, चक्रधारी शरण सिंह को पटना हाई कोर्ट और एम वी मुरलीधरन को मणिपुर हाईकोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश नियुक्त किया गया है।

भारत के सुप्रीम कोर्ट में 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत शक्ति है और वर्तमान में वह 27 न्यायाधीशों के साथ कार्य कर रहा है। इन नियुक्तियों के साथ सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 32 हो जाएगी।

भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित करने के एक दिन बाद नियुक्तियों को मंजूरी दी। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने कहा था कि केंद्र सरकार बहुत जल्द सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा दिसंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने की सिफारिशों को मंजूरी दे देगी।

अब सुप्रीम कोर्ट में केवल दो रिक्तियां रह गई हैं और यदि एससी कॉलेजियम का 31 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार को एससी न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने का प्रस्ताव राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है तो शेष दो रिक्तियों को भी आने वाले दिनों में भरा जा सकता है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जजों की नियुक्ति में देरी पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने सरकार से कहा कि ये बेहद गंभीर मामला है। हमें ऐसा स्टैंड लेने पर मजबूर न करें, जिससे परेशानी हो। इस पर केंद्र ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि भेजी सिफारिश अगले पांच दिन में मंजूर हो जाएगी।

दरअसल जिस कॉलेजियम पर यह पूरा विवाद हो रहा है, वह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर की प्रणाली है। कॉलेजियम के सदस्य जज ही होते हैं। वे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को नए जजों की नियुक्ति के लिए नामों का सुझाव भेजते हैं। मंजूरी मिलने के बाद जजों को अपॉइंट किया जाता है।

देश में कॉलेजियम सिस्टम साल 1993 में लागू हुआ था। कॉलेजियम में 5 सदस्य होते हैं। भारत के चीफ जस्टिस इसमें प्रमुख होते हैं। इसके अलावा 4 वरिष्ठतम जज होते हैं। अभी इसमें 6 जज हैं।

16 जनवरी को कानून मंत्री किरण रिजिजू ने चीफ जस्टिस  को पत्र लिखकर कॉलेजियम में अपना प्रतिनिधि शामिल करने की बात कही थी। केंद्र के रुख का जवाब देने के लिए चीफ जस्टिस की अगुआई में कॉलेजियम ने तय किया कि इस बार सारे मामले को सार्वजनिक किया जाए।

प्रयागराज में एक कार्यक्रम में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी को नकार दिया है। रिजिजू ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी है। जबकि यहां कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता।

सुप्रीमकोर्ट में नियुक्त होनेवाले 5 जज

जस्टिस पंकज मित्तल- वर्ष 1982 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक और मेरठ कॉलेज से एलएलबी पास करने के बाद, न्यायमूर्ति पंकज मित्तल ने 1985 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की। जनवरी 2021 में, उन्हें जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।

जस्टिस संजय करोल- जस्टिस करोल को 11 नवंबर, 2019 को पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। इससे पहले, उन्होंने त्रिपुरा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में कार्य किया था।जस्टिस करोल ने त्रिपुरा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पैट्रन-इन-चीफ के साथ-साथ त्रिपुरा ज्यूडिशियल अकेडमी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। करोल का जन्म 23 अगस्त 1961 को शिमला में हुआ था।

जस्टिस पीवी संजय कुमार- जस्टिस कुमार ने 2021 में मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और इससे पहले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के जस्टिस थे।उनका जन्म 14 अगस्त, 1963 को आंध्र प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता (1969 से 1982) स्वर्गीय श्री पी. रामचंद्र रेड्डी के घर हुआ था।

 जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह- 20 जून, 2011 को जस्टिस अमानुल्लाह को पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और फिर 10 अक्टूबर, 2021 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया गया। फिर उन्हें पिछले साल 20 जून को पटना हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया।अमानुल्लाह का जन्म 11 मई, 1963 को हुआ था और 27 सितंबर, 1991 को बिहार स्टेट बार काउंसिल में उनका नामांकन हुआ था।

जस्टिस मनोज मिश्रा- जस्टिस मिश्रा ने 1988 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून में ग्रेजुएट किया और 12 दिसंबर 1988 को एक वकील के रूप में नामांकित हुए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दीवानी, राजस्व, आपराधिक और संवैधानिक पक्षों की प्रैक्टिस करने के बाद, उन्हें 21 नवंबर 2011 को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।उन्होंने 06 अगस्त, 2013 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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