लक्ष्य का चौथाई हिस्सा भी हासिल नहीं कर सकीं केंद्र की बहु-प्रचारित योजनाएं

नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा के प्रत्याशी मोदी के काम औऱ नाम पर वोट मांग रहे हैं। भाजपा शासित राज्य सरकारों के मुखिया और मंत्री अपने काम नहीं बल्कि वह पीएम मोदी के काम की चर्चा करते रहते हैं। लेकिन केंद्र सरकार की कई योजनाएं धरातल पर अपने लक्ष्य को ही हासिल नहीं कर पा रही हैं। केंद्र सरकार जो लक्ष्य निर्धारित कर रही है, उसके आधे तक पहुंचने में ही योजनाएं हांफने लग रही हैं। कम से कम दो केंद्रीय योजनाओं का यही हाल है। पीएम मोदी की पहली महत्वाकांक्षी योजना- प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (पीएमएवाई-जी) और दूसरी- दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में अपने लक्ष्य से कोसों दूर है।

गौरतलब है कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को पक्का आवास उपलब्ध कराने के लिए “प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) है, जो देश की प्रमुख ग्रामीण आवास योजना है। दूसरी, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) का उद्देश्य महिला स्वयं सहायता समूहों के कम ब्याज वाले बैंक ऋण प्रदान कर महिलाओं को स्वावलंबी बनाना है। लेकिन बैंकों और अधिकारियों की उदासीनता या भ्रष्टाचार के कारण महिलाओं को बैंक लोन नहीं मिला।

इन दोनों योजनाओं की प्रगति का लेखा-जोखा विपक्षी दल या किसी अखबार और न्यूज चैनल ने नहीं किया है। बल्कि भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ( NSO) द्वारा जारी एक रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट, “बीस सूत्री कार्यक्रम-2006: अप्रैल से जून 2023 की अवधि के लिए प्रगति रिपोर्ट” संकलित की।

रिपोर्ट से पता चलता है कि इस साल अप्रैल और जून के बीच पीएमएवाई-जी के तहत पूरे देश में लगभग 4.97 लाख से भी कम घर बनाए गए । सरकार ने इस तिमाही में 14.18 लाख आवास बनाने का लक्ष्य रखा था। जबकि योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए देशव्यापी लक्ष्य 56.71 लाख घर है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय ग्रामीण आवास योजना की सफलता दर सिर्फ 35 प्रतिशत है। हालांकि, विभाग का कहना है कि बंगाल और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों ने इस अवधि के लिए अपनी उपलब्धि का डेटा उपलब्ध नहीं कराया है।

दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) केंद्र की प्रमुख गरीबी-विरोधी योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए संस्थान बनाना है। इसकी विशेषताओं में से एक “परिक्रामी निधि” है – महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को दिया जाने वाला कम ब्याज वाला बैंक ऋण जिसे किसी जरूरतमंद सदस्य या गैर-सदस्य को थोड़े अधिक ब्याज पर पुनः ऋण दिया जा सकता है। हालांकि, यह अभी भी उस ब्याज से कम है जो व्यक्ति को सीधे बैंक से ऋण लेने पर चुकाना पड़ता है।

सरकार का लक्ष्य 2023-24 में 12.33 लाख एसएचजी को रिवॉल्विंग फंड उपलब्ध कराना था, जिसमें पहली तिमाही के 2.74 लाख एसएचजी भी शामिल थे। लेकिन अप्रैल और जून के बीच बमुश्किल 1.17 लाख एसएचजी (43 प्रतिशत से कम) को धन प्राप्त हुआ। (हालांकि इस मामले में उत्तर प्रदेश और बंगाल सरकार द्वारा पेश किया गया डेटा भ्रांतिजनक रहा है)।

जहां तक पीएमएवाई-जी का सवाल है, केंद्र का लक्ष्य अगले साल मार्च तक सभी 2.95 करोड़ पात्र परिवारों के लिए आवास उपलब्ध करना है। इन परिवारों की पहचान सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) 2011-12 के माध्यम से की गई थी।

सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे का कहना है कि “धीमी प्रगति के अलावा, पीएमएवाई-जी अस्पष्टता से भी ग्रस्त है। योजना में कई अपात्र लोगों को लाभ प्रदान किया गया है। कुछ लोग जिनके पास पहले से ही घर हैं उन्हें भी धन मिलता है, जिसका उपयोग वे अन्य उद्देश्यों के लिए करते हैं। लाभार्थियों के चयन में कोई पारदर्शिता नहीं है। वेटिंग लिस्ट में बहुत छेड़छाड़ होती है।”

निखिल डे का कहना है कि “सरकार को लाभार्थियों की प्रतीक्षा सूची को हर गांव में दीवारों पर लगाकर सार्वजनिक करना चाहिए। 2011-12 एसईसीसी के निष्कर्षों के आधार पर 2.95 करोड़ घरों का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन अब तक कई और योग्य परिवार सामने आ चुके हैं। सरकार को उनकी भी मदद करनी चाहिए।”

पीएमएवाई-जी के तहत सरकार एक परिवार को घर बनाने के लिए मैदानी इलाकों में 1.2 लाख रुपये और पहाड़ी इलाकों में 1.3 लाख रुपये मुहैया कराती है।

एनएसओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल अप्रैल-जून तिमाही में छह कल्याण कार्यक्रमों का प्रदर्शन खराब रहा है, जबकि छह अन्य का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है, जिसमें 90 प्रतिशत या उससे अधिक लक्ष्य हासिल किया गया है। जिसमें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, एकीकृत बाल विकास सेवाएं, बिजली आपूर्ति और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम शामिल हैं।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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