दलित सिख चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के नये मुख्यमंत्री, कल सुबह 11:00 बजे होगा शपथ ग्रहण समारोह

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दलित सिख चरणजीत चन्नी पंजाब के अगले मुख्यमंत्री होंगे। कल सुबह 11:00 बजे लेंगे शपथ। चरणजीत सिंह चन्नी 1966 में हुए राज्य के पुनर्गठन के बाद से पहले दलित मुख्यमंत्री होंगे।आज दोपहर बाद चंडीगढ़ के जेडबल्यू मैरियट में हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में चरणजीत सिंह चन्नी को नेता चुन लिया गया। कांग्रेस राज्य प्रभारी हरीश रावत ने ट्वीट करके इसकी पुष्टि करते हुये कहा – “मुझे यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि चरणजीत सिंह चन्नी को चुना गया है। वे सर्वसम्मति से पंजाब के कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए हैं। “
बता दें कि चरणजीत सिंह चन्नी प्रदेश में कांग्रेस का सिख दलित चेहरा हैं। चमकौर साहिब सीट से कांग्रेस के विधायक हैं और निवर्तमान में तकनीकी शिक्षा मंत्री हैं। चरनजीत सिंह चन्नी कांग्रेस पार्टी के तीसरी बार के विधायक हैं। इससे पहले वह राज्य में नेता विपक्ष की भूमिका भी अदा कर चुके हैं। फिलहाल वह कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में तकनीकी शिक्षा मंत्री के तौर पर कामकाज देख रहे थे। 1 मार्च 1963 को जन्मे चरणजीत सिंह चन्नी फिलहाल 58 वर्ष के हैं। मूल घर मोहाली के पास खरड़ है। वे 2007 में पहली बार विधायक बने थे। 
मुख्यमंत्री पद के लिए चन्नी के नाम पर मोहर लग जाने के बाद वे कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत के साथ राज्यपाल से मिलने गये। राज्यपाल से मिलकर लौटने के बाद चरण जीत सिंह चन्नी ने जानकारी दी है कि आज शाम कांग्रेस विधायक दल ने मुझे सर्व सन्मति से अपना नेता चुना है। राज्यपाल ने कल सुबह 11:00 बजे शपथ ग्रहण के लिये बुलाया है। 
चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री पद के लिये विधायक दल का नेता बनाये जाने के फैसले के बाद इस पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे सुखजिंदर रंधावा ने कहा है कि – “मैं पार्टी हाईकमान के फैसले को लेकर खुश हैं। मैं सभी विधायकों का आभारी हूं, जिन्होंने मेरा समर्थन किया। चन्नी मेरे लिए छोटे भाई की तरह हैं। मैं निराश नहीं हूं।” 
गौरतलब है कि आखिरी समय में पासा पलटने से पहले सुखजिंदर सिंह रंधावा को पंजाब कांग्रेस ने अपना नेता चुनकर कांग्रस हाईकमान के पास मंजूरी के लिये भेजा था। मुख्यमंत्री के प्रोटोकॉल के तहत उनके घर पर हाई सेक्युरिटी लगा दी गयी थी। और मुख्यमंत्री को दिये जाने वाले सारे प्रोटोकॉल पूरे कर लिये गये थे। ख़बर यहां तक आयी कि वो शपथ ग्रहण के लिये राज्यपाल से मिलने गये हैं। उनके घर पर मिठाई बंटने लगी थी। लोग फूल माला लेकर उन्हें बधाई देने पहुंचने लगे थे। 
यहां तक कि उन्होंने मीडिया से बात करते हुये स्वीकार कर लिया था कि वो मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। 
लेकिन आखिरी समय में दलित सिख चरणजीत सिंह चन्नी ने बाजी मार ली। चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनाव में सिख समुदाय के साथ साथ दलित वर्ग जाति को भी साधने की कोशिश की है। पंजाब की लगभग 34 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है जिसमें 14 फीसदी रामदसिया है, जिस समाज से चन्नी आते हैं। जान लें अकाली दल ने बीएसपी से समझौता किया और आम आदमी पार्टी ने भी दलित नेतृत्व की घोषणा की थी। 
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट करके चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री पद की बधाई देते हुये कहा है कि – “उम्मीद है कि पंजाब को सुरक्षित रखेंगे चन्नी। उम्मीद है कि वो पंजाब लोगों की रक्षा करेंगे। उम्मीद है कि सीमापार के ख़तरे से पंजाब को बचायेंगे। ” 

विपक्ष ने महिला उत्पीड़न का मामला उठाया 

दलित सिख को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने जहां अपना तुरुप का पत्ता फेंका है वहीं आम आदमी पार्टी और भाजपा ने महिला उत्पीड़न के आरोपी को मुख्यमंत्री बनाये जाने की निंदा की है। 
शिरोमणि अकाली दल प्रवक्ता परमहंस सिंह बंटी ने मीटू मामले में चरणजीत सिंह चन्नी को उठाते हुए कहा है कि क्या यही राहुल गांधी और सोनिया गांधी का महिला सशक्तिकरण का मॉडल है।
चरणजीत सिंह चन्नी को #MeToo से जुड़े 3 साल पुराने एक मामले में कार्रवाई का सामना इसी साल करना पड़ा था। आरोप था कि चन्नी ने एक महिला आईएएस अधिकारी को साल 2018 में गलत मैसेज भेजा था। हालांकि महिला आईएएस ऑफिसर ने इस मामले को लेकर शिकायत दर्ज़ नहीं की और उस समय अमरिंदर सिंह ने भी कहा था कि मामला सुलझा लिया गया है। लेकिन इसी साल अमरिंदर सिंह की करीबी  पंजाब महिला आयोग की अध्यक्ष मनीषा गुलाटी ने उन्हें उस मामले में नोटिस भेजा था। तब कैप्टन अमरिंदर सिंह पर आरोप लगा था कि उन्होंने चन्नी को फंसाने की कोशिश के तहत ये नोटिस भिजवाया था। गौरतलब है कि चरणजीत सिंह चन्नी की गिनती कैप्टन अमरिंदर सिंह के आलोचकों में होती रही है। 

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