गुजरात में भाजपा की मदद कर रहे कांग्रेस नेता, स्लीपर सेल की भूमिका में कांग्रेस ?

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राहुल गांधी द्वारा आरएसएस और बीजेपी के हिंदुत्व पर टिप्पणी के बाद बौखलाए संघियों ने अहमदाबाद के पालड़ी में स्थित राजीव गांधी भवन (प्रदेश कार्यालय) पर हमला कर दिया था। राहुल के पोस्टर पर कालिख पोतने के अलावा पुलिस की उपस्थिति में पथराव भी किया। 1 और 2 जुलाई को हुई इस घटना के बाद पुलिस ने 5 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार कांग्रेसी कार्यकर्त्ताओं को तीन दिन की पुलिस रिमांड पूरी होने के बाद सिटी सिविल एंड सेशन कोर्ट ने सभी पांच की ज़ामिन अर्ज़ी को नामंज़ूर करते हुए न्यायायिक हिरासत में भेज दिया है।

कांग्रेस अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल का आरोप है कि पुलिस बीजेपी के इशारे पर एक तरफ़ा कार्यवाही कर रही है। तो दूसरी तरफ जोन 7 डीसीपी का कहना है कि अभी किसी को क्लीनचिट नहीं मिली है, जांच जारी है। जांच में जिसका नाम आया उसके खिलाफ उचित कार्यवाही की जाएगी।

प्रतिष्ठित गुजराती अख़बार गुजरात समाचार ने कांग्रेस पार्टी के विधायक शैलेश परमार पर सीधा आरोप लगाया है कि उनके इशारे पर भाजपा के शहर अध्यक्ष अमित शाह के पुत्र का नाम FIR में नामज़द नहीं किया गया। उसे कांग्रेस के नेताओं ने ही बचा लिया। अहमदाबाद नगर निगम में कांग्रेस नेता शेहजाद खान पठान को पुलिस ने पहले नंबर पर ही नामज़द किया है। पठान भूमिगत हैं और अभी तक सोशल मीडिया पर ऐसा कोई वीडियो नहीं वायरल हुआ है जिसमें शेहजाद खान पत्थरबाज़ी या कोई अपराध करते दिखे हों। शेहजाद खान को आरोपी बनाए जाने से मुस्लिम समाज में गुस्सा है। अहमदाबाद के मुसलमानों को लगता है कि पठान को मुस्लिम होने की वजह से कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं ने बलि का बकरा बनाया है। ऑस्ट्रेलिया से बिज़नेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले खान को नागरिकता कानून के खिलाफ हुए आन्दोलन में भी आरोपी बनाया गया था।

राहुल गांधी ने अहमदाबाद दौरे पर दिए गए भाषण में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा था डरो मत। लेकिन इसी कार्यकर्त्ता सम्मलेन में गांधी सहित कांग्रेस के किसी नेता ने शेहजाद खान का नाम नहीं लिया। कांग्रेस पार्टी को डर था कि खान का नाम लेने से ध्रुवीकरण होगा। बीजेपी और कांग्रेस के बीच हुए इस संघर्ष को कांग्रेस आन्दोलन का रूप नहीं दे पाई। कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी के इस हमले का राजनैतिक लाभ ले सकती थी। लेकिन कांग्रेस ने मौके को बीजेपी के साथ ईलू ईलू कर गंवा दिया। इस मुद्दे पर कांग्रेस को लाभ होने के बजाय जनता के बीच एक ख़राब सन्देश गया कि बीजेपी के स्लीपर सेल कांग्रेस में हैं और कांग्रेस में रहकर बीजेपी के हित में काम कर रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश नेताओं और बीजेपी नेताओं के बीच चल रहे ईलू ईलू की कहानी दिल्ली हाई कमान तक पहुंच गई है। लेकिन आम जनता के बीच कांग्रेस के इस रवय्ये को लेकर कुछ सवाल सवाल उठ रहे हैं।

1. पहला सवाल यही है कि शैलेश परमार पर जब मीडिया खुलकर आरोप लगा रही है तो कांग्रेस पार्टी ने अभी तक परमार पर सफाई नहीं दी है और न ही किसी प्रकार का बयान जारी किया है।

2. शैलेश परमार को डिटेंशन के बाद छोड़ दिया गया। परमार को प्रोटोकॉल के अनुसार डिटेन नहीं किया गया। परमार दलित विधायक हैं एट्रोसिटी का मुकदमा दर्ज करवाने के अलावा विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी दिया जा सकता है। तो कांग्रेस पार्टी मात्र विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करने से कैसे संतुष्ट हो गई।

3. गुजराती अख़बार आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा शहर अध्यक्ष अमित शाह को शैलेश परमार ने बचाया। मुस्लिम बहुल विधान सभा से जीतने वाले शैलेश परमार ने अमित शाह के बेटे को बचाया और शेहजाद खान को क्यूं नहीं बचाया?

4. यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस और बीजेपी के ईलू ईलू की कहानी बाहर आई हो जब भी कांग्रेस की तरफ से बीजेपी के खिलाफ कोई आन्दोलन होता है तो कांग्रेस के ही बड़े नेता आन्दोलन की हवा निकाल देते हैं। ऐसे नेताओं के खिलाफ पार्टी कोई कार्यवाही क्यूं नहीं करती ?

5. जिग्नेश मेवाणी ने जब मीडिया में कमिश्नर ऑफिस के घेराव की बात कही और 6 जुलाई को घेराव क्यूं नहीं हुआ। क्या कांग्रेस घेराव या मुकदमे से डरती है।

6. इस पूरी घटना में कांग्रेस पार्टी का लीगल सेल कहां था। लीगल सेल के वकीलों ने क्या काम किया, कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट करना चाहिए।

7. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं पुलिस ने एकतरफा कार्यवाही की है। तो कांग्रेस पुलिस के खिलाफ हाई कोर्ट अब तक क्यूं नहीं गई।

(अहमदाबाद से कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट)

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