दिल्ली पुलिस के तीन जवानों ने सादी वर्दी में दी माले राज्य सचिव के दरवाजे पर दस्तक

(खुद को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का सदस्य कहने वाले तीन लोगों ने आज सीपीआई (एमएल) दिल्ली राज्य कमेटी के सचिव रवि राय के दरवाजे पर दस्तक दी। उन्होंने बगैर किसी कागज या फिर नोटिस के उनके घर में घुसने की कोशिश की। लेकिन रवि राय ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। तमाम धमकियों और डराने की कोशिशों के बाद भी जब रवि राय नहीं झुके तो थक-हार कर तीनों ‘पुलिसकर्मियों’ को वापस जाना पड़ा। दिशा रवि की जिस गैरकानूनी आधार पर दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तारी की थी और उसके बाद कोर्ट ने जमानत का जो तमाचा उसके मुंह पर मारा था, लगता है दिल्ली पुलिस ने उसके बाद भी कोई सबक नहीं सीखा। पेश है पूरे वाकये की बयानी खुद रवि राय की कलम से-संपादक)

आज शाम 6 बजे के आसपास घर की घण्टी बजी और सामने 3 लोग थे, जो अपने को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल से कह रहे थे। उनसे जब मैंने पूछा कि क्या बात है तो उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनको अंदर आने दिया जाय।

घर पर मैं था, जो कि भाकपा- माले के दिल्ली राज्य का सचिव हूं, और परिवार के अन्य सदस्य थे ।

हमने कहा कि ऐसा कौन सा कानूनी नोटिस या वारंट है आपके पास जिसके तहत आप घर के अंदर आना चाहते हैं तो उनके पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। किसी FIR का जिक्र नहीं किया, कोई वज़ह नहीं बताया। उन्होनें लोकल थाने को बुला कर अंदर घुसने का दबाब बनाने की बात की तो हमने कहा कि ये गैर कानूनी बात है और आप जब तक हमारे घर मे आने का कोई कानूनी कागज़ात नहीं दिखाते तब तक हम घर का दरवाजा नहीं खोलेंगे। उसके बाद उन्होनें किसान आंदोलन के विभिन्न पहलू और फिर किसान आंदोलन के लोकप्रिय अखबार ट्रॉली टाइम्स से जुड़ी नवकिरण के बारे में पूछा। हमने ये कहा कि हम किसी भी सवाल का जवाब तभी देंगे जब आपके पास कानूनी कागज़ात होंगे।

मैंने लगातार उनसे कहा कि मैं CPI-ML, दिल्ली का स्टेट सेक्रेटरी हूँ और आपको जो भी बात करनी है उसके लिए आप हमारे ऑफिस आईये। उन्होंने घर का दरवाजा खोलने का दबाव बनाया। ये बात समझ से बाहर है कि आखिर शाम 6 बजे के बाद ऐसी कौन सी तहकीकात दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल करना चाहती थी, वो भी घर के निजी पते पर बिना किसी नोटिस-वारंट के। अगर वे किसी महिला से (जैसे नवकिरण से) बात करना चाहते थे, तब भी उनके पास CRPC के सेक्शन 160 के तहत नोटिस होना चाहिए। ऊपर से शाम 6 बजे के बाद किसी महिला से पूछताछ करना गैर कानूनी है। काफी बहस के बाद वो वापस चले गए।

याद आता है कि दिशा रवि को भी दिल्ली पुलिस, कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए अपने घर से पूछताछ के बहाने उठा ले गई, फिर बिना कर्नाटका के अदालत से सहमति प्राप्त किए हुए दिल्ली ले आयी। लगता है आज बेल ऑर्डर के फटकार पड़ने के बाद भी उन्होंने रास्ता नहीं सुधारा है।

किसान आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं पर इस तरह का दबाव बनाने, भय का माहौल बनाने की कोशिश करने, और कानून और संविधान की धज्जियाँ उड़ाने की हर कोशिश का विरोध हमें मिलजुल कर करना होगा।

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