सर सुंदरलाल अस्पताल में हृदय रोग विभाग के साथ भेदभाव, विभागाध्यक्ष करेंगे कुलपति आवास पर आमरण अनशन

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वाराणसी। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में उन्हीं के सरकार द्वारा एम्स का दर्जा प्राप्त बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के हृदय रोग विभाग में जरुरत के अनुसार बेड न होने के चलते दिल के गंभीर मरीज वापस लौटने को विवश है, इनमें से कई की मौत हो चुकी है। हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओमशंकर कहते हैं कि जिस हिसाब से हृदय रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है उस हिसाब से हमें बेड नहीं दिया जा रहा है।

नये बने सुपर स्पेशियलिटी भवन में हृदय रोग विभाग के लिए आवंटित वार्ड पर चिकित्सा अधीक्षक महोदय डॉ. केके गुप्ता ने जबरन ताला बंद कर रखा है। इस डिजिटल लॉक के चलते पिछले दो सालों से 35 हजार के ज्यादा रोगियों का बेड रहते हुए भी इलाज नहीं हो पाया। उन्होंने प्रधानमंत्री को इस बारे में तत्काल प्रभाव से हस्तक्षेप करने के लिए पत्र भी लिखा है। आरोप तो यह भी है इंस्टीट्यूट आफ इमिनेंस के नाम पर मिले रुपयों का जमकर दुरुप्रयोग किया जा रहा है। रोगियों को मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं की हालत अस्पताल में लचर है।

हृदय रोग विभाग को बेड दिये जाने को लेकर विभागाध्यक्ष प्रो. ओमशंकर ने 11 मई से कुलपति आवास के सामने आमरण अनशन पर बैठने की घोषणा की है। उनका कहना है अस्पताल नियम कानून से चलेगा न कि एमएस डॉ. के.के गुप्ता के मनमानेपन और गुंडई से। प्रो. ओमशंकर ने न सिर्फ गंभीर आरोप लगाये है बल्कि आरोपों की पुष्टि के तथ्य भी सामने रखे हैं। वो बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. शंखवार के उस आदेश को दिखाते है जिसमें विगत 8 मार्च को बेड पर किए गए डिजिटल लॉक को निदेशक ने तत्काल खोले जाने का आदेश देते हुए बेड्स को हृदय रोग विभाग को देने की बात कही थी।

प्रो. ओमशंकर कहते हैं कि दो महीने बीत जाने के बाद भी चिकित्सा अधीक्षक ने निदेशक के आदेश को दरकिनार करते हुए अंकोलाजी विभाग को वो बेड दे दिया है। इस हरकत से खफ़ा प्रो. ओमशंकर कहते हैं कि संस्थान के निदेशक का आदेश सर्वोच्च है या चिकित्सा अधीक्षक महोदय की गुंडई।

गौरतलब हो इस मामले को लेकर विभागाध्यक्ष प्रो. ओमशंकर पिछले दो सालों से लड़ाई लड़ रहे है। इस बावत उन्होंने दर्जनों पत्र कुलपति को लिखे लेकिन कोई जवाब नहीं आया। इससे पहले बीते 8 मार्च को प्रो. ओमशंकर आमरण अनशन पर बैठने वाले थे लेकिन चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक से हुई उनकी बातचीत के बाद उनकी बेड की मांग को मान लिया गया था। चिकित्सा अधीक्षक पर पहले से ही ब्लड बैंक मामले में हुए अनियमितताओं के गंभीर आरोप है। इसे लेकर बनी जांच कमेटी ने 2016 में दिए अपनी रिपोर्ट में उन पर अनुशासनिक कार्यवाही की सिफारिश की थी। प्रो. ओमशंकर कहते है यहां भ्रष्टाचारियों को पुरस्कृत किया जा रहा है।

एम्स का दर्जा प्राप्त सर सुंदरलाल अस्पताल में केवल उत्तर प्रदेश के ही नहीं बिहार, मध्य प्रदेश व अन्य प्रांतों से भी बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए आते है। लेकिन यहां उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

प्रो. ओमशंकर कहते हैं कि हर तीन मरने वालों में तीसरा जब हृदय रोग से संबंधित होता है तो हृदय रोग विभाग को ज्यादा बेड क्यों नहीं? कल यानी 11 मई से आमरण अनशन पर बैठने वाले प्रो. ओमशंकर का कहना है मेरा अनशन कमजोर, जरूरत मंद रोगियों के हक में है। मुझे नोटिस भेज कर डराया जा रहा है। कुलपति विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचारियों को खुला समर्थन दे रहे हैं।

(वाराणसी से भास्कर की रिपोर्ट)

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