आश्चर्यजनक लेकिन सत्य! डीएम ने अपनी गाय की देखभाल के लिए लगाई 7 डॉक्टरों की ड्यूटी

Estimated read time 1 min read

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गौ संरक्षण के लिए गंभीर ही नहीं, बल्कि निरंतर प्रयत्नशील भी हैं। पूरे राज्य में गोवंश को संरक्षण देने के लिए जिस प्रकार से उन्होंने अस्थाई गौशालाओं का निर्माण करवाया तथा इसके लिए एक भारी-भरकम बजट भी प्रदान किया है। इसके पीछे उद्देश्य रहा है कि कोई भी गोवंश सड़कों पर खुले में घूमता हुआ नजर ना आए। इससे जहां किसानों को प्रति वर्ष होने वाले क्षति से बचाया जाएगा, वहीं गोवंश सड़कों पर घूमते हुए नजर नहीं आएंगे। लेकिन देखा जाए तो सरकारी मुलाजिमों की घोर लापरवाही के चलते अस्थाई गौशालाओं की स्थिति जहां दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है वहीं गौशालाओं में पनाह पाने की बजाय यह सड़कों पर घूमते नजर आते हैं।

अक्सर इनके बीमार होने की दशा में चिकित्सकों की टीम को भी मौके पर पहुंचने में कई दिन लग जाते हैं, चारा-पानी, छांव इत्यादि की बदहाली की तो बात ही निराली है। इस बदहाली भरी व्यवस्था के बीच एक सुखद खबर प्रकाश में आ रही है जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल तो हो ही रहा है, लेकिन सोचनीय भी है कि आखिरकार यह व्यवस्था किसी एक व्यक्ति विशेष के लिए ही क्यों? काश यदि ऐसी ही व्यवस्था इन सभी बेजुबानों के लिए तुरंत सुलभ हो तो इनकी दुर्दशा ना हो, लेकिन नहीं क्योंकि ऐसा संभव हो पाना तो फिलहाल नहीं नजर आता है।

यहां हम चर्चा कर रहे हैं राज्य के फतेहपुर जनपद की कलेक्टर अपूर्वा दुबे के गाय की, जिसकी तबियत ख़राब है, जिसके उपचार के लिए बकायदा सात डाक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है, बाकायदे पशु चिकित्सा अधिकारी का आदेश भी है कि शिथिलता अक्षम्य है। भला किसकी मजाल जो कलेक्टर साहब के गाय के उपचार में शिथिलता बरते वह भी अपने अधिकारी के आदेश मिलने के बाद, अब है ना यह हैरत करने वाली बात, जी हां !बिल्कुल हैरान कर देने वाली है बात तो जरूर है, लेकिन इससे भी हैरान करने वाली बात है कि अपूर्वा दूबे कानपुर कलेक्टर विशाख की पत्नी हैं। दूसरे खुद वह फतेहपुर की कलेक्टर हैं, ऐसे में उनकी गाय बीमार हो जाए तो उसका उपचार समुचित ढंग से होना तो लाजमी है ही।

फतेहपुर की डीएम अपूर्वा दुबे ने अपनी गाय की देखभाल के लिए 7 डॉक्टरों की ड्यूटी लगवाई है। सुबह-शाम 7 सरकारी पशु डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है। फतेहपुर के मुख्य पशु चिकित्सक ने आदेश जारी किया है कि डीएम की गाय की देखभाल डॉक्टरों का जत्था करेगा। हर डॉक्टर सुबह शाम अपनी रिपोर्ट भी सौंपेगा। शिथिलता अक्षम्य है। अब भला किसकी मजाल जो शिथिलता बरत दे?

सोशल मीडिया पर डीएम फतेहपुर का पत्र हुआ वायरल—

कार्यालय मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी फतेहपुर द्वारा 9 जून को जारी किए गए इस आदेश भरे पत्र के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस बात को लेकर बहस छिड़ गई है कि डीएम के गाय के बीमार होने के बाद उसके स्वास्थ्य के लिए पशु चिकित्सकों की टीम का लगाया जाना कोई गलत नहीं है, लेकिन काश! यही व्यवस्था अन्य गौ के बीमार होने, घायल होने की दशा में भी त्वरित संभव हो पाता तो कितना बेहतर होता। लेकिन ऐसा कदापि नहीं होता है। शायद ही ऐसा कोई नगर, मोहल्ला, गली, सड़क, हो जहां कोई ना कोई गोवंश अपने बदहाल भरे जीवन पर आंसू बहाता हुआ नजर ना आ जाए। आखिरकार क्यों नहीं तुरंत स्वास्थ्य सुविधा प्रदान किया जाता है?

यह सवाल हर एक व्यक्ति के जेहन में एक यक्ष प्रश्न की भांति कौंध रहा है। कहना गलत नहीं होगा कि सूबे में पशु चिकित्सालय, पशु चिकित्सक एवं कर्मचारियों की एक भारी-भरकम फौज है जिन्हें वेतन के नाम पर सरकार द्वारा अच्छी खासी रकम प्रदान की जाती है, बावजूद इसके बात जब होती है पशुओं के उपचार खासकर के गाय के उपचार की तो यह जल्दी हिलना नहीं चाहते हैं। वही जब बात डीएम के गाय के बीमार होने की सामने आई तो मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा सात पशु चिकित्सकों की टीम का तैनात कर दिया जाना क्या आश्चर्य जनक नहीं कहा जाएगा? आखिरकार यह तत्परता और उदारता किसी एक व्यक्ति विशेष के लिए ही क्यों? गाय तो गाय है चाहे वह डीएम की हो या किसी अन्य की हो उपचार का हक सभी का बनता है।

मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट पर बदहाली का लगा है ग्रहण

वैसे भी पूरे उत्तर प्रदेश में गोवंश आश्रय स्थलों की दुर्दशा किसी से छुपी हुई नहीं है, यह योगी सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में शुमार है। यूं कह लें कि यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है, बावजूद इसके बेजुबानों की दुर्दशा का आलम जारी है। कहीं चारे पानी का अभाव है तो कहीं साफ सफाई से लेकर छांव की उपयुक्त व्यवस्था नहीं है। गोवंश को गोवंश आश्रय स्थलों में सहारा मिलना चाहिए था वह सहारे के अभाव में सड़कों पर वाहनों से कुचलने के लिए बाध्य हैं। इस नजारे को राज्य के किसी भी जनपद के मुख्य मार्ग, हाईवे इत्यादि पर बड़े ही आसानी से देखा जा सकता है।

जहां दो-चार, दस की संख्या में गोवंश अपनी बदहाली भरी दास्तां को दिखाते सुनाते हुए नजर जरूर आ जाएंगे। वर्तमान समय में पड़ रही प्रचंड गर्मी का असर अस्थाई गौशालाओं पर भी साफ देखा जा रहा है जहां हरा चारा पानी तथा उपयुक्त छांव के अभाव में बेजुबान झुलसने के लिए विवश हैं। हालांकि कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित गौशालाओं में पेड़ इत्यादि होने की वजह से इन्हें सहूलियत मिल जा रही है। अन्यथा इनका बुरा हाल है। इनके आहार का आलम यह है कि इन्हें सही से सूखा भूसा भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इसके लिए सरकार को लोगों की मदद लेनी पड़ रही है अपील करनी पड़ रही है लोग भूसा दान करें। 

(मिर्जापुर से संतोष देव गिरि की रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author