नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बीआर आंबेडकर का हवाला देते हुए और संविधानवाद के उनके विचार की सराहना करते हुए कहा कि संविधान कितना भी बुरा क्यों न हो, यह अच्छा हो सकता है यदि इसके कामकाज के लिए जिम्मेदार लोग “अच्छे लोग” हों।
सीजेआई ने 22 अक्टूबर को अमेरिका में ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी, वाल्थम, मैसाचुसेट्स में ‘डॉ. बीआर आंबेडकर की अधूरी विरासत’ पर छठे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने मुख्य भाषण के दौरान ये टिप्पणियां कीं।
सीजेआई ने आंबेडकर के संविधानवाद के विचार पर प्रकाश डाला, जिन्होंने भारतीय संविधान को तैयार करने के लिए गठित समिति का नेतृत्व किया था और कहा कि यह गहरी जड़ें जमा चुके जाति पदानुक्रम को खत्म करके और हाशिए पर रहने वाले समूहों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देकर भारतीय समाज को बदलने में सहायक था।
उन्होंने कहा कि “आंबेडकर की विरासत आधुनिक भारत के संवैधानिक मूल्यों को आकार दे रही है, सामाजिक सुधार और सभी के लिए न्याय की खोज के लिए एक प्रकाशस्तंभ के रूप में काम कर रही है।”
उन्होंने आंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि जिन्होंने कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, उसका खराब होना तय है क्योंकि जिन लोगों को इस पर काम करने का दायित्व सौंपा जाता है, वे बहुत खराब होते हैं।
सीजेआई ने आंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा, “संविधान कितना भी खराब क्यों न हो, यह अच्छा हो सकता है अगर जिन लोगों को इस पर काम करने के लिए बुलाया जाए वे अच्छे हों।”
अमेरिका में मौजूद सीजेआई को शनिवार को हार्वर्ड लॉ स्कूल के सेंटर ऑन लीगल प्रोफेशन कि और से ‘वैश्विक नेतृत्व पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। सीजेआई चंद्रचूड़ को पुरस्कार के प्राप्तकर्ता के रूप में चुने जाने की घोषणा 11 जनवरी, 2023 को एक ऑनलाइन समारोह में की गई थी।
वह शनिवार को हार्वर्ड लॉ स्कूल में प्रोफेसर और सेंटर ऑन लीगल प्रोफेशन के फैकल्टी डायरेक्टर डेविड विल्किंस के साथ गहन बातचीत के लिए हार्वर्ड लॉ स्कूल में मौजूद थे।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)
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