नई दिल्ली। 21 फरवरी, 2020 को मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ़ हुए विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लेने के जुर्म में हैदराबाद विश्वविद्यालय के 14 छात्रों के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज़ करवायी गयी है।
एफआईआर में पुलिस ने सौरभ कुमार, हदीफ निसार, आशिकुरसूल इस्माइल, ताहिर जमाल, मणिकांता, अमल जोस, आकाश राठौर, स्नेहा जॉर्ज, भास्कर सरकार, अनंतू राजगोपाल, मानसी चौधरी, जियाद, अकरम, सोनल समेत हैदराबाद यूनिवर्सिटी के सभी छात्रों का उल्लेख किया है।
ये एफआईआर दुर्गापुरम पुलिस स्टेशन के एसआई मुरलीधर द्वारा तहरीर देकर लिखवायी गयी है। अपनी तहरीर में मुरलीधर ने लिखा है कि “केंद्रीय विश्वविद्यालय के लगभग 20-30 छात्र अवैध रूप से कॉफी डे की दुकान पर एकत्र हुए और वहां से एक रैली का नेतृत्व करते हुए मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय तक ले गए। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए और उनके हाथों में सरकार विरोधी प्लेकार्ड था। उन्होंने अपने भाषणों के माध्यम से परिसर में शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की। “
पुलिस ने यह भी आरोप लगाया कि छात्रों ने मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय तक निकाली रैली के लिए पुलिस से अनुमति भी नहीं ली थी।
बता दें कि 21 फरवरी को हैदराबाद यूनिवर्सिटी और मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) के छात्रों ने MANUU में सीएए-एनआरसी के खिलाफ़ एक संयुक्त विरोध-प्रदर्शन का आयोजन किया था। छात्रों ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी कैंपस से MANUU तक शांतिपूर्वक विरोध रैली भी निकाला था। हालांकि स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा जुलूस को दो बार रोका गया। और कई छात्रों को धमकाया भी गया।
सभी 14 नामजद छात्रों को नोटिस भेजकर 6 अक्तूबर को जांच अधिकारी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था। 14 में से एक छात्र मणिकांत बताते हैं कि उन्हें सुबह ही एफआईआर की प्रति पोस्ट से मिली है। नोटिस में 6 अक्तूबर को जांच अधिकारी के सामने पेश होने का आदेश है जबकि नोटिस को 8 अक्तूबर को डिस्पैच किया गया है। और मैं अभी तेलंगाना के निर्मल जिले में हूँ।
एफआईआर में जिन छात्रों का नाम है वो देश के विभिन्न राज्यों के हैं और कोविड-19 के चलते अपने-अपने घरों में हैं। वहीं रायदुर्गम थाने के एसएचओ एस रविंद्र का कहना है कि हमने प्राथमिकी फरवरी में ही दर्ज़ की थी और तदनुसार जांच कर रहे हैं।
इससे पहले गचीबोवली पुलिस ने 26 जनवरी को हैदराबाद विश्वविद्यालय के 22 छात्रों के खिलाफ एक मार्च आयोजित करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी।
बता दें कि छात्र यूनिवर्सिटी कैंपस से कोंडापुर के मस्जिद बांदा स्थित अम्बेडकर मूर्ति तक विरोध मॉर्च निकाल रहे थे। इन छात्रों को विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर भी पुलिस द्वारा रोका गया था और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पहले दिल्ली की सांप्रदायिक हिंसा में पुलिस द्वारा छात्रो़ं और एक्टिविस्टों के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज़ करवायी गयी, फिर लखनऊ में पत्रकार प्रशांत कनौजिया के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज़ करवायी गयी, फिर हाथरस केस में लखनऊ पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज़ करवायी गयी, अब हैदराबाद के छात्रों के खिलाफ़ पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज़ करवाने का मामला सामने है। ऐसा लग रहा है कि हर राज्य की पुलिस व्यक्तिगत तौर पर उन छात्रों और एक्टिविस्ट, पत्रकारों से खुद लड़ रही है जो सरकार की तानाशाही के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं।
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