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सीएए: देश को बांटने का एक और औज़ार
जिस समय इलेक्टोरल बॉण्ड से जुड़ा बड़ा घोटाला परत-दर-परत देश के सामने उजागर हो रहा था, ठीक उसी समय केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू करने के लिए नियमों और प्रक्रिया की घोषणा कर दी। यह अधिनियम करीब 4 साल पहले संसद द्वारा पारित किया गया था। इसे लागू करने…
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रोजी-रोजगार विमुख लाभार्थी योजना कल्याणकारी नहीं है, न सेंगोल ही संवैधानिक न्याय का प्रतीक है
सत्रहवीं लोक सभा का अवसान हो चुका है। याद करें तो, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई जा चुकी है, उसकी राजनीतिक हैसियत भी ठीक कर दी गई है। राम मंदिर में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा का भव्य-दिव्य आयोजन हो चुका है। उपलब्धियों और कीर्तिमानों के अंबार को इतिहास के हवाले कर दिया गया है। सेंगोल…
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समान नागरिक संहिता और हिंदुत्व की राजनीति
2024 के लोकसभा चुनाव में अब मुश्किल से दस महीने शेष हैं और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को हर हालत में वह चुनाव जीतना है। ‘सब का साथ, सब का विकास और सब का विश्वास’ की चाहे जितनी बातें करें, सच्चाई यह है कि नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के पिछले…
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धर्म, जाति, लिंग आधारित नफरत भारतीयों को बना रही बीमार
12 अप्रैल, 2023 के नवभारत टाइम्स में छपी एक खबर के अनुसार एक बच्चे की मां ने बताया कि उसकी बेटी आज रोती हुई घर में आई और उसने पूछा ‘ क्या हम मुसलमान इतने गंदे है? ‘ छठी कक्षा की उसकी सहपाठिन ने जब उस पर थूक दिया था तो उसे पता चला कि…
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प्यार में शाहीन बाग: प्रतिरोध की ज़मीन पर उगते प्रेम के फूल
इंकलाब प्रेम की आखिरी मंज़िल है। प्रतिरोध के पत्थर पर ही मुहब्बत के फूल खिलते रहे हैं। ‘प्यार में शाहीन बाग’ एक ऐसी ही कहानी है, जो खुद में सब कुछ समेटे है। अल्पसंख्यकों के हक़ के सवाल, ध्रुवीकरण की तीखी रेखाएं और इस बीच आम आदमी का जीवन, जो इन सब से प्रभावित होता…
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देश में किसी व्यक्ति को एक ही कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री होना चाहिए: अरुंधति रॉय
आज जब हम नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया पर दिल्ली पुलिस के हमले के दो साल पूरे होने को याद कर रहे हैं, तो हमें सीएए-एनआरसी से बात शुरू करनी चाहिए। हमें यह याद करने की ज़रूरत है कि जामिया से लेकर शाहीन बाग़ और पूरे देश में जो आंदोलन खड़ा हुआ, वह किन अंदेशों…