बुल्ली बाई एप मामले में चौथी गिरफ्तारी, सभी इंजीनियरिंग के छात्र

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बुल्ली बाई (Bulli Bai) ऐप मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की IFSO टीम ने नीरज विश्नोई (20) को गिरफ्तार किया है, वह असम के जोरहाट के दिगंबर इलाके का रहने वाला है और वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भोपाल के बीटेक का छात्र है।

दिल्ली पुलिस ने मुख्य आरोपी नीरज विश्नोई (20) को गिरफ्तार किया है।  दिल्ली पुलिस सूत्रों के अनुसार मुख्य आरोपी नीरज विश्नोई को असम से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक इसी ने GITHUB पर बुल्ली बाई एप बनाया था। यही मुख्य ट्विटर अकाउंट होल्डर भी था।

डीसीपी (आईएफएसओ) केपीएस मल्होत्रा ने बताया है कि उन्हें दिल्ली लाया जा रहा है। पुलिस टीम आज 3:30 बजे आरोपी को लेकर एयरपोर्ट पहुंचेगी।

तीन आरोपी इंजीनियरिंग छात्र, लड़की भी कर रही इंजीनियरिंग की तैयारी

बुल्ली बाई ऐप मामले में यह चौथी गिरफ्तारी है। साइबर सेल ने इसके पहले उत्तराखंड से श्वेता सिंह (19) और बेंगलुरु से इंजीनियरिंग छात्र विशाल कुमार झा (21) को गिरफ्तार किया था। साथ ही 21 साल के मयंक रावत को बुधवार तड़के गिरफ्तार किया गया।

आज गिरफ्तार नीरज विश्नोई वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भोपाल के बीटेक का छात्र है। विशाल कुमार झा शहर के एक नामी कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष का छात्र है। मयंक रावत भी इंजीनियरिंग छात्र है। जबकि श्वेता सिंह इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही थी

मृत पिता की आईडी वाला सिम इस्तेमाल कर रही थी श्वेता सिंह

आरोपी श्वेता सिंह बुल्ली ऐप के कंट्रोलरों में से एक थी। श्वेता ऐसे ही तीन ऐप के अकॉउंट को कंट्रोल कर रही थी। पहले आरोपी ह्वाट्सएप के जरिये कंटेंट पोस्ट करते थे, बाद में ओरिजनल अकॉउंट से पोस्ट करने लगे।

इस संबंध में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि शहर पुलिस की साइबर सेल द्वारा उत्तराखंड से गिरफ्तार की गई 18 साल की लड़की श्वेता सिंह मुख्य आरोपी है, जिसने ऐप का ट्विटर हैंडल बनाया था।

उन्होंने दावा किया कि सिंह ने 12वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की है और वह इंजीनियरिंग करने की योजना बना रही थी। इससे पहले दिन में, मुंबई के पुलिस आयुक्त हेमंत नगराले ने संवाददाताओं से कहा कि इस मामले में कुछ और लोगों के शामिल होने की आशंका है।

उत्तराखंड के रुद्रपुर से गिरफ्तार श्वेता सिंह जो सिम अपने मोबाइल में इस्तेमाल कर रही थी, उसकी आईडी को लेकर मुंबई पुलिस भी हैरान थी। यही कारण रहा जब मुंबई साइबर सेल की टीम ने मोबाइल की सीडीआर और आईडी निकाली, तो यह आईडी पुरुष के नाम पर मिली। इसके बाद मुंबई पुलिस रुद्रपुर पहुंची और जब आदर्श कॉलोनी में दबिश दी तो आरोपी एक युवती निकली। इसके बाद मुंबई पुलिस ने स्थानीय महिला पुलिस की मदद से आरोपी युवती श्वेता को गिरफ्तार किया।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, मुख्य आरोपी श्वेता सिंह के पिता की कोविड-19 से और उसकी मां की कैंसर से मौत हो गई थी।

मुंबई पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि – “तकनीकी विश्लेषण के दौरान, हमने ऐप के अनुयायियों के बारे में जानकारी एकत्र की और आरोपी की तलाश शुरू की”।

हेमंत नागराले ने कहा है कि ” बेंगलुरु निवासी विशाल कुमार झा, सिविल इंजीनियरिंग द्वितीय वर्ष का छात्र है, जो हैंडल के पांच फॉलोअर में से एक था। नगराले ने मामले के बारे में महाराष्ट्र के बाहर कुछ ‘स्थानीय अधिकारियों’ द्वारा की गई टिप्पणियों पर भी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह अनुचित है क्योंकि उनके पास पूरी जानकारी नहीं है”।

मुंबई पुलिस आयुक्त ने यह पूछे जाने पर टिप्पणी करने से इनकार किया कि क्या मामले के आरोपी ‘सुल्ली डील’ मामले में भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि दूसरे मामले की जांच दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही है। ऐप को ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म गिटहब पर होस्ट किया गया था। बाद में इसे प्लेटफॉर्म ने ब्लॉक कर दिया। असल में यह कोई वास्तविक ‘नीलामी’ या ‘बिक्री’ नहीं थी। ऐप का उद्देश्य लक्षित महिलाओं को अपमानित करना और डराना था, जिनमें से कई सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं।

गुमराह करने या सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिये सिख आईडी का सहारा

मुंबई पुलिस ने बुधवार शाम एक विज्ञप्ति में कहा कि मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने वाले ‘बुल्ली बाई’ ऐप के प्रचार में शामिल लोगों ने गुमराह करने के लिए ट्विटर हैंडल पर सिख समुदाय से जुड़े नामों का इस्तेमाल किया। पुलिस ने कहा कि इससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता था और तीन आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी से यह टल गया।

पुलिस ने यह भी दावा किया कि ऐसा लगता है कि आरोपियों ने अपने ट्विटर हैंडल में सिख समुदाय से संबंधित नामों का इस्तेमाल किया था, जिससे कि लोगों को गुमराह किया जा सके और आरोपियों की पहचान न हो पाए।

पुलिस ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि – “सिख समुदाय से संबंधित नामों का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए किया गया कि ये ट्विटर हैंडल उस समुदाय के लोगों द्वारा बनाए गए हैं”।

पुलिस की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिन महिलाओं को निशाना बनाया गया, वे मुस्लिम थीं, इसलिए ऐसी आशंका थी कि इससे ‘दो समुदायों के बीच दुश्मनी’ पैदा हो सकती थी और ‘सार्वजनिक शांति भंग’ हो सकती थी।

पुलिस ने कहा है कि चूंकि आरोपियों को समय पर गिरफ्तार कर लिया गया’, इससे समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा होने की स्थिति टल गई। पुलिस की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऐप के ट्विटर हैंडल पर दी गई जानकारी में दावा किया गया है कि इसका निर्माता ‘केएसएफ खालसा सिख फोर्स’ है, जबकि एक अन्य ट्विटर हैंडल, ‘खालसा सुप्रीमैसिस्ट’ इसका फॉलोअर था।

इसमें कहा गया कि तकनीकी विश्लेषण के दौरान, पुलिस ने दयानंद सागर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बेंगलुरु के सिविल इंजीनियरिंग द्वितीय वर्ष के छात्र विशाल कुमार झा को इसमें शामिल पाया। विज्ञप्ति में कहा गया कि झा द्वारा कथित तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले खालसा सुप्रीमैसिस्ट हैंडल में यूजर की लोकेशन कनाडा बताई गई है। इसमें कहा गया है कि वह ‘तवस्या वत्स’ नामक एक यूट्यूब चैनल भी चलाता था। पुलिस ने उसके पास से एक मोबाइल फोन, दो सिम कार्ड और एक लैपटॉप बरामद किया है। इसने बताया कि आरोपी मयंक रावत भी इंजीनियरिंग का छात्र है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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