चित्रकूट गैंगरेप मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति दोषी करार, एमपी-एमएलए कोर्ट 12 नवंबर को सुनाएगी सजा

Estimated read time 1 min read

सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ चित्रकूट गैंगरेप मामले में बुधवार को फैसला आ गया। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने गायत्री समेत 3 अभियुक्तों को दोषी करार दिया। कोर्ट 12 नवंबर को सजा सुनाएगी। वहीं, मामले के 4 अन्य अभियुक्तों को बरी कर दिया गया। गायत्री प्रजापति के अलावा आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को दोषी पाया गया है।जबकि चंद्रपाल, विकास वर्मा, रूपेश्वर और अमरेन्द्र सिंह पिंटू को कोर्ट ने निर्दोष माना है। खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति और छह अन्य लोगों पर चित्रकूट की एक महिला ने अपनी नाबालिग बेटी संग गैंगरेप का आरोप लगाया था ।

मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार बयान बदलना पीड़िता को भी भारी पड़ा है। पीड़िता समेत राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच के आदेश कोर्ट ने दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि किसके प्रभाव में बार-बार गवाही में बयान बदले? इसकी जांच लखनऊ के पुलिस आयुक्त कराएंगे।पीड़िता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति समेत 7 अभियुक्तों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि 2014 में गायत्री के आवास पर उसके साथ गैंगरेप हुआ था। 18 फरवरी, 2017 को थाना गौतमपल्ली (लखनऊ) में गैंगरेप, जान से मारने की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।

इस दौरान गायत्री समेत सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। गायत्री इस मामले में 15 मार्च, 2017 से जेल में बंद हैं। 18 जुलाई, 2017 को पॉक्सो की विशेष अदालत ने गायत्री समेत सभी 7 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए थे। बाद में, इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए की विशेष अदालत को शिफ्ट की गई थी।

मामले में दोषी पाए जाने के बाद गायत्री प्रजापति समेत तीनों अभियुक्तों को अधिकतम उम्रकैद की सजा या मृत्युदंड हो सकता है। आईपीसी की धारा 376-D के तहत अधिकतम सजा के लिए उम्रकैद का प्रावधान है। जबकि पॉक्सो एक्ट की धारा 6 में भी अधिकतम सजा के लिए उम्रकैद के साथ मृत्युदंड का भी प्रावधान है। दोनों ही धाराओं में न्यूनतम सजा के लिए 20 वर्ष सश्रम कैद का प्रावधान किया गया है।

गायत्री प्रजापति ने बुधवार की सुनवाई को टालने की भरसक कोशिश भी की थी।गायत्री प्रजापति की तरफ से मुकदमे की तारीख बढ़ाई जाने की मांग की गई।साथ ही दूसरे राज्य में केस ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गायत्री ने इस मामले में जमानत पाने के लिए तीन बार दरवाजा खटखटाया।

4 सालों तक कोर्ट में चले इस केस में अभियोजन की तरफ से 17 गवाह पेश किए गए। जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी की मानें तो गायत्री प्रजापति ने कानूनी पेचीदगियों में कई बार केस को उलझाने की, लंबा खींचने की भी कोशिश की। लेकिन आखिर में कोर्ट ने अभियोजन की तरफ से दी गई दलील, पेश किए गए 17 गवाह और पुलिस की चार्जशीट के आधार पर गायत्री प्रजापति को दोषी करार दिया।

18 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में सपा सरकार के खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत सात लोगों पर गैंगरेप, जान से मारने की धमकी, व पॉक्सो एक्ट की धाराओं में केस दर्ज हुआ था। 3 जून 2017 को इस मामले के विवेचक के 824 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी।

समाजवादी सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति और छह अन्य लोगों पर चित्रकूट की एक महिला ने अपनी नाबालिग बेटी संग गैंगरेप का आरोप लगाया था। महिला का कहना था कि वह मंत्री गायत्री प्रजापति से मिलने उनके आवास पर पहुंची थी, जिसके बाद मंत्री और उनके साथियों ने उसको नशा दे दिया और नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया।जब महिला ने इस मामले में शिकायत की बात कही तो गायत्री प्रजापति और उनके गुर्गों ने पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी।

पीड़िता को इस मामले में एफआईआर करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद गायत्री प्रजापति के खिलाफ गौतमपल्ली में एफआईआर दर्ज की गई थी।एफआईआर दर्ज होने के बाद गायत्री प्रजापति और अन्य आरोपियों के खिलाफ लखनऊ पुलिस ने आलमबाग इलाके से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author