नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के एनसीवेब और एसओएल यानी कि नॉन कॉलेजिएट वुमन एजुकेशन बोर्ड और स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति मनमाने ढंग से की जाती है।
अतिथि शिक्षक संघ ने आरोप लगाया है कि इस नियुक्ति प्रक्रिया में 2019 के तहत एनसी वेब में पहले आओ, पहले पाओ की नीति को अपनाया जिस पर कई सवाल भी खड़े हुए थे। इन दोनों संस्थानों की नियुक्ति प्रक्रिया हमेशा से संदेह में रही है।
1-नियुक्ति प्रक्रिया में क्या-क्या किया जाता है?
2-कौन शामिल होता है?
3-और मुख्य बात कितने पदों पर नियुक्तियां होती हैं?
4-विषयवार पद संख्या क्या है?
उपरोक्त सवालों को बताये बिना इन पदों पर संवैधानिक आरक्षण संभव ही नहीं है यह कहना है अतिथि शिक्षक संघ का।
अतिथि शिक्षक संघ ने इन दोनों संस्थानों में अलग-अलग आरटीआई द्वारा इस बात को जानने की कोशिश की तथा इस मुद्दे को अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के संज्ञान में भी लाया। दोनों संस्थानों द्वारा आरटीआई के उत्तर में गोल मोल कर के दिए गए जवाब संस्थानों की नीयत को साफ करते हैं।
इसी सिलसिले में मंगलवार 7 सितंबर, 2021 को अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने दोनों संस्थानों की आरटीआई, आयोग में जमा किया गया व पत्र सौंपकर अपनी मांग सामने रखा कि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता हो, कुल पदों की संख्या, उन पर लागू होने वाले आरक्षण को बताया जाए इन सब बातों को अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग, यूजीसी व दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति के सामने रखा। आयोग के सामने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति ने आश्वासन दिया कि वह इस पर काम करेंगे। अतिथि शिक्षक संघ की ओर से इसमें अध्यक्ष आरती रानी प्रजापति व सचिव रवि शामिल हुए।
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