गुजरात निकाय चुनावः कांग्रेस फिर से सुप्रीम कोर्ट में, एक वार्ड, एक वोट, एक सीट की मांग

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अहमदाबाद। इस वर्ष के अंत तक गुजरात की सभी छह महानगर पालिका (अहमदाबाद, बड़ौदा, सूरत, भावनगर, जामनगर और राजकोट) के अलावा अन्य नगर पालिकाओं के भी चुनाव होने हैं। गुजरात के लोकल चुनाव में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीट आरक्षित हैं। यहां चुनाव पैनल सिस्टम से होता है।

एक पैनल में दो महिलाएं और दो पुरुष हो सकते हैं। एक वार्ड में मतदाता चार लोगों को मतदान करता है। इस प्रक्रिया का लाभ सत्ता पक्ष को अधिक होता है, क्योंकि एक वार्ड में एक लाख से डेढ़ लाख मतदाता होते हैं, जिस कारण वार्ड मिनी विधानसभा बन जाता है। चुनाव में उम्मीदवार की भूमिका कम और पार्टी की भूमिका अधिक हो जाती है। गुजरात के शहरी इलाकों में भाजपा के मजबूत होने का भी यह एक कारण है।

गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र रावत ने फिर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एक वार्ड, एक वोट, एक सीट की मांग की है। 2015 में भी रावत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एक वार्ड और एक वोट की मांग की थी। 2015 की याचिका लंबे समय से पेंडिंग होने के कारण रावत ने पुनः याचिका दायर की है। रावत ने जन चौक से बातचीत में बताया, “2015 में पहली बार मैंने नगर निगम की चुनावी प्रक्रिया को चुनौती दी थी।

कोर्ट में याचिका के बावजूद गुजरात सरकार और चुनाव आयोग ने राज्य के नगर निगम चुनावों की घोषणा कर दी थी और चुनाव भी हुए। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केस चलाओ यदि निर्णय तुम्हारे पक्ष में आया तो चुनाव को रद्द कर नए सिरे से चुनाव होगा। परंतु चुनाव के बाद से मैटर पेंडिंग चल रहा है। हमने दिसंबर 2019 में एफिडेविट कर मामले की सुनवाई की मांग की थी। फरवरी तक कोई सुनवाई शुरू नहीं हुई मार्च से कोविड लॉक डाउन लगने से कोर्ट में केवल अहम मामलों की ऑनलाइन सुनवाई हो रही है।

राज्य सरकार ने जुलाई में फिर से 2020 नगर निगम चुनाव से संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। जिस कारण मुझे फ्रेश याचिका करनी पड़ी है, जिसे मुख्य न्यायधीश ने गंभीरता से लेते हुए संक्षिप्त समय में दोनों याचिकाओं की सुनवाई एक साथ करने को कहा है।”

आपको बता दें कि गुजरात की सभी महानगर पालिकाओं के अलावा महाराष्ट्र  में भी नगर पालिका के चुनाव पैनल सिस्टम से होते हैं। देश के अधिकतर राज्यों में एक वार्ड, एक सीट की प्रक्रिया है। एक सीट एक प्रक्रिया से चुनाव न करने से मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा।

कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी महानगर और नगर पालिकाओं के चुनाव जीतने के लिए मनमाने ढंग से सीमांकन कर चुनाव जीतना चाहती है। रावत ने दूसरी बार गुजरात सरकार, चुनाव आयोग और बड़ौदा नगर निगम को पार्टी बनाते हुए याचिका दायर की है।

याचिका में कहा गया है कि इस प्रक्रिया से संविधान द्वारा दिए गए आरक्षण के अधिकार का हनन होता है। याचिका में 8 अगस्त को गुजरात सरकार द्वारा वार्ड की संख्या, उम्मीदवारी तथा आरक्षित सीट संबंधित जारी नोटिफिकेशन पर स्टे के लिए तुरंत सुनवाई की मांग की गई है। याचिका में 2015 की याचिका संख्या 24950/2015 के पेंडिंग होने के बारे में भी कहा गया। कोर्ट ने याचिका न. 24950/2015 और 786/2020 की सुनवाई एक साथ करने को कहा है। याचिकाकर्ता की तरफ से आनंदो मुखर्जी, कपिल सिब्बल और हरिन रावल पक्ष रख रहे हैं।

(अहमदाबाद से जनचौक संवाददाता कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)

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