पनामा के बाद पंडोरा पेपर्स में भी आया हरीश साल्वे का नाम,सरकार की बोलती बंद

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मोदी सरकार ,बीजेपी शासित राज्य सरकारें और अंधभक्त देश भर में हर तबके के लोगों को बात बात में राष्ट्रद्रोही होने के लांछन से नवाजते हैं लेकिन पंडोरा पेपर्स के रोज हो रहे खुलासे में अनिल अंबानी,विनोद अडानी ,सचिन तेंदुलकर,जैकी श्रॉफ जैसे नामों के सामने आने के बाद उनकी बोलती बंद है। इसमें नया नाम देशभक्त सरकार की ओर से महत्वपूर्ण मामलों की पैरवी करने वाले देशभक्त वकील हरीश साल्वे का जुड़ गया है।

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार की आंखों के तारे वकील साल्वे ने लंदन अपार्टमेंट खरीदने के लिए बीवीआई फर्म का अधिग्रहण किया। उन्हें याद नहीं है कि क्या आयकर विभाग को इसका खुलासा किया गया था। इससे पहले पनामा पेपर्स में खुलासा हुआ था कि उन्होंने तीन वर्जिन आइलैंड्स फर्मों का अधिग्रहण किया था। मोदीजी आयकर, ईडी या एसआईटी द्वारा कोई जांच की गई?

हरीश साल्वे ने लंदन में एक अपार्टमेंट खरीदने के लिए साल 2015 में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स (बीवीआई) में मार्सुल कंपनी लिमिटेड अधिग्रहीत की थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साल्वे को 15 सितंबर, 2015 को मार्सुल में 50,000 शेयर आवंटित किए गए थे। साल्वे को कंपनी के लाभकारी मालिक के रूप में नामित किया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि कंपनी का स्वामित्व उनके पास है।

साल्वे साहब निदेशक होने के साथ-साथ मार्सुल के सचिव भी हैं।ऑफशोर कंपनी द्वारा अपने सभी ग्राहकों के जोखिम प्रोफाइल को सूचीबद्ध करते हुए उन्हें एक उच्च जोखिम वाले पीईपी (राजनीतिक रूप से संवेदनशील व्यक्ति) के रूप में चिह्नित किया गया था।

साल्वे साहब का कहना है कि मैंने मार्सुल का अधिग्रहण किया क्योंकि यह वह कंपनी थी जिसके पास पार्क टॉवर में लंदन में एक फ्लैट था।मैं एक एनआरआई था, इसलिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं थी। यह पूछे जाने पर कि क्या आयकर विभाग को इस बारे में सूचित किया गया था, उन्होंने कहा कि इसका पूरी तरह से खुलासा किया गया है।

इससे पहले साल 2016 में हुए पनामा पेपर्स खुलासे में भी साल्वे का नाम आया था।पनामा स्थित कंपनी मोजैक फोंसेका के रिकॉर्ड से पता चला था कि साल्वे और उनके परिवार के सदस्यों ने लंदन स्थित एजेंट रावी एंड कंपनी के माध्यम से नई दिल्ली में वसंत विहार के साथ भारत के पते के रूप में बीवीआई में तीन ऑफशोर कंपनियों को पंजीकृत किया था।तब साल्वे ने कहा था कि सभी कंपनियां निष्क्रिय थीं।

पंडोरा पेपर्स लीक संबंधी रिपोर्ट इंटरनेशनल कंसोर्टियम आफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आइसीआइजे) की ओर से जारी किया गया है। दुनिया भर के 117 देशों के 600 से अधिक पत्रकारों ने करीब 12 मिलियन दस्तावेजों की जांच के बाद वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित खुलासा किया है। पंडोरा पेपर्स के जरिए मुख्य तौर पर यह खुलासा किया गया है कि कैसे दुनिया के कई अमीर और शक्तिशाली लोग अपनी संपत्ति छिपा रहे हैं।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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