उच्चतम न्यायालय ने आईपीएस राकेश अस्थाना को दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नियुक्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर अगली सुनवाई 9 फरवरी को होगी । उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अगर 9 फरवरी को मामले की सुनवाई पूरी नहीं होती तो अगले दिन 10 फरवरी को सुनवाई की जाएगी। इससे पहले जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अगर तमाम पक्षकार अपनी दलील मंगलवार को पूरा कर सकते हैं तो हम मंगलवार को ही सुनवाई करेंगे। राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति के खिलाफ जनहित याचिका सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन की ओर से प्रशांत भूषण ने दाखिल की है. याचिका में अस्थाना की नियुक्ति रद्द करने की मांग की गई है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मौजूदा पीठ में साथी जज जस्टिस संजीव खन्ना हैं। आने वाले दिनों में यह कंबिनेशन उपलब्ध नहीं होगा ऐसे में अगर सुनवाई शुरू होती है तो वह सुनवाई मंगलवार को ही खत्म होना चाहिए। लेकिन तमाम वकीलों ने अपनी अपनी दलीलों में लगने वाले वक्त के बारे में बताया तो कोर्ट ने कहा कि सुनवाई मंगलवार को खत्म नहीं होगी ऐसे में हम 9 फरवरी को सुनवाई करेंगे।सॉलिसिटर जनरल और अस्थाना के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि वो आज किसी दूसरे मामले में पेश होने वाले हैं, लिहाजा, इस मामले में विस्तार से बहस नहीं कर पाएंगे। इसके बाद कोर्ट ने मामले को 9 फरवरी के लिए सूचीबद्ध किया है।
दिल्ली के पुलिस कमिश्नर के तौर पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने 6 जनवरी को कहा था कि याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। उच्चतम न्यायालय में गृह मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी की ओर से हलफनामा दायर कर कहा गया था कि यह याचिका कानूनी प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल है। याचिका बदला लेने के इरादे से दाखिल किया गया है और यह व्यक्तिगत गरज के कारण किया गया है। याचिका सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट प्रकाश सिंह से संबंधित वाद का हवाला देकर दाखिल किया गया है। जबकि अस्थाना की पुलिस कमिश्नर के तौर पर नियुक्ति तय प्रक्रिया के तहत ही हुआ है।
उच्चतम न्यायालय ने 26 नवंबर 2021 को याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। एनजीओ की ओर से दिल्ली के पुलिस कमिश्नर के तौर पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। इस मामले में उच्चतम न्यायालय में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें हाई कोर्ट ने केंद्र द्वारा अस्थाना को पुलिस कमिश्नर नियुक्त करने के फैसले को सही ठहराया था। एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन की ओर से अर्जी दाखिल कर अस्थाना को पुलिस कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई है।
आईपीएस राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा जमा किया। जिसमें केंद्र ने कहा कि उन्हें नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली में पैदा हुई हालिया कानून और व्यवस्था की स्थिति पर प्रभावी पुलिसिंग के लिए चुना गया था। केंद्र ने अपने हलफनामे में मांग की कि अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज किया जाए। उनके तबादले और सेवा विस्तार दोनों को अदालत में चुनौती दी गई है।
जनवरी के पहले हफ्ते में उच्चतम न्यायालय में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है, यह महसूस किया गया कि विभिन्न राजनीतिक दल और कानून व्यवस्था की समस्या वाले एक बड़े राज्य के लिए सीबीआई व अर्धसैन्य बल और पुलिस बल में काम करने वाले अधिकारी की जरूरत थी। इसी को ध्यान में रखते हुए 1984 बैच के राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्नर पद पर नियुक्ति की गई है। राकेश अस्थाना सभी रूपों में इस पद के लिए पूरा अनुभव रखते हैं।
गृह मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कि इस तरह का अनुभव अधिकारियों के वर्तमान पूल में नहीं था। इसलिए सार्वजनिक हित में अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनाने का निर्णय लिया गया। राकेश अस्थाना को चुनने के पर्याप्त तर्क के अलावा प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2016 के आदेश का भी पालन किया गया है। उनकी नियुक्ति में कोई प्रक्रियात्मक या कानूनी खामी नहीं है। हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि किसी राज्य के पुलिस प्रमुख को कम से कम छह महीने की सेवा की आवश्यकता होती है, केवल पुलिस महानिदेशक या राज्यों के पुलिस प्रमुखों पर ये कानून लागू होता है, लेकिन दिल्ली जैसे केंद्र शासित प्रदेशों पर नहीं।
इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को सेवानिवृत्ति की तारीख 31 जुलाई से चार दिन पहले दिल्ली पुलिस आयुक्त बनाने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा था। दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 अक्तूबर को अपने फैसले में अस्थाना को दिल्ली का पुलिस आयुक्त नियुक्त करने के केंद्र के फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि उनके चयन मे कोई भी अवैधता या अनियमित्ता नहीं है। हाईकोर्ट ने अस्थाना के चयन को चुनौती देने वाली जनहित खारिज करते हुए कहा था कि इस नियुक्ति के बारे में केंद्र द्वारा बताए गए कारण ठीक हैं और इसमें न्यायिक समीक्षा की आवश्यकता नहीं है।
( जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)
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