‘जनचौक’ की खबर का असरः चाइनीज लहसुन की जांच के लिए चलाया गया विशेष अभियान- खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने मंडियों में की छापेमारी

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वाराणसी। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में चाइनीज लहसुन की बढ़ती तस्करी और बिक्री ने प्रशासन के होश उड़ा दिए हैं। इस लहसुन की बिक्री पर पहले से ही प्रतिबंध लगा हुआ है, फिर भी मुनाफाखोर और तस्कर इसे धड़ल्ले से बाजार में बेच रहे हैं, जिससे उन्हें मोटा फायदा हो रहा है।

इस पर जब एक प्रमुख मीडिया हाउस, जनचौक ने विस्तृत रिपोर्ट छापी, तो प्रशासन हरकत में आ गया और 16 अक्टूबर 2024 को बनारस मंडल में बड़े पैमाने पर छापेमारी अभियान चलाया गया।

बनारस की पहड़िया मंडी और आसपास के अन्य इलाकों में खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने छापेमारी की। हालांकि, इस दौरान टीम को कहीं भी चाइनीज लहसुन बरामद नहीं हुआ, जिससे प्रशासन ने राहत की सांस ली। बावजूद इसके, अधिकारियों का मानना है कि तस्कर बाजार में इसे चोरी-छिपे बेचने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे जनता के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है।

चंदौली में भी हुआ निरीक्षण


चंदौली जिले में भी बुधवार को खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने मंडियों और बाजारों में सघन निरीक्षण अभियान चलाया। टीम ने खासकर उन व्यापारियों पर नजर रखी जो चाइनीज लहसुन बेचने के शक में थे। हालांकि, चंदौली में भी प्रशासन को इस दौरान चाइनीज लहसुन नहीं मिला और टीम बैरंग लौट गई।

इस पूरे अभियान के बारे में जानकारी देते हुए सहायक आयुक्त केएन त्रिपाठी ने बताया, “चाइनीज लहसुन में अत्यधिक मात्रा में पेस्टिसाइड पाया जाता है, जो लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। यह लहसुन खाने से गंभीर बीमारियों का खतरा हो सकता है। इसी वजह से इसके आयात और बिक्री पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया है।”

डीएम का सख्त निर्देश

इस बीच, वाराणसी के जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे ने भी चाइनीज लहसुन की बिक्री पर रोक लगाने का सख्त आदेश जारी किया है। उन्होंने साफ किया है कि कोई भी व्यापारी अगर चाइनीज लहसुन बेचता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सहायक आयुक्त त्रिपाठी ने आम जनता से भी अपील की है कि वे चाइनीज लहसुन का प्रयोग न करें और मंडियों में विक्रेताओं से इस बारे में जानकारी लें। यदि कहीं भी चाइनीज लहसुन बिकता हुआ नजर आए, तो तुरंत पुलिस या खाद्य विभाग के अधिकारियों को सूचित करें ताकि तुरंत कार्रवाई की जा सके।

इस अभियान के दौरान प्रशासन का मुख्य उद्देश्य न केवल चाइनीज लहसुन की तस्करी को रोकना था, बल्कि लोगों को इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करना भी था।

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