इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ पिछले वर्ष विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में दिए गए विवादास्पद भाषण के लिए 54 राज्यसभा सांसदों द्वारा प्रस्तुत महाभियोग नोटिस पर कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर सत्यापित हो चुके हैं। यह संख्या नोटिस को आगे बढ़ाने के लिए न्यूनतम आवश्यकता को पूरा करती है, जैसा कि द इंडियन एक्सप्रेस को प्राप्त जानकारी से पता चला है।
राज्यसभा सूत्रों के अनुसार, सचिवालय ने मार्च और मई 2025 में ईमेल और फोन कॉल के माध्यम से सांसदों से हस्ताक्षरों का सत्यापन मांगा था। अब तक 44 सांसदों ने अपने हस्ताक्षरों की पुष्टि की है। शेष 10 में से छह सांसदों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। तीन सांसदों से संपर्क नहीं हो सका, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजीव अरोड़ा ने कहा कि वे लुधियाना पश्चिम उपचुनाव में व्यस्त हैं।
सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने नोटिस को खारिज नहीं किया है। न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के तहत नोटिस पर निर्णय लेने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। अधिनियम के अनुसार, महाभियोग प्रस्ताव के लिए राज्यसभा में कम से कम 50 और लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं।
पिछले साल दिसंबर में 54 सांसदों ने यह नोटिस जमा किया था। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 23 मई 2025 तक 43 सांसदों ने सचिवालय द्वारा भेजे गए ईमेल या फोन कॉल का जवाब दिया था। शेष 11 में से दो सांसदों ने फोन पर हस्ताक्षर सत्यापित करने की पुष्टि की। हाल ही में असम के निर्दलीय सांसद अजीत कुमार भुयान ने भी अपने हस्ताक्षर सत्यापित किए। जिन सांसदों ने 23 मई तक सत्यापन नहीं किया था, उनमें कपिल सिब्बल, पी. चिदंबरम, राघव चड्ढा, जोस के. मणि, फैयाज अहमद, बिकाश रंजन भट्टाचार्य, जी.सी. चंद्रशेखर और एन.आर. एलंगो शामिल हैं।
संपर्क करने पर कपिल सिब्बल ने कहा, “मैं सभापति से कई बार मिला, लेकिन उन्होंने हस्ताक्षरों के बारे में कभी नहीं पूछा। मुझे नहीं पता कि उन्होंने किस ईमेल पर मेल भेजा। मैंने ही नोटिस पर हस्ताक्षर किए और इसे सौंपा था।” उन्होंने आगे कहा कि यदि सभापति हस्ताक्षरों की पुष्टि नहीं कर पाते, तो नोटिस को खारिज कर देना चाहिए, ताकि मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाया जा सके। पी. चिदंबरम ने पुष्टि की कि उन्होंने नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन सचिवालय द्वारा सत्यापन के लिए संपर्क किए जाने से इनकार किया।
कांग्रेस सांसद जी.सी. चंद्रशेखर ने बताया कि उन्होंने फोन पर सत्यापन कर लिया है। अजीत कुमार भुयान ने कहा, “मुझे 15-20 दिन पहले कॉल आई थी, जिसमें पूछा गया कि क्या मैंने हस्ताक्षर किए हैं, और मैंने पुष्टि की।” केरल कांग्रेस के जोस के. मणि ने कहा कि उन्होंने हस्ताक्षर किए हैं और जल्द सत्यापन करेंगे।
सीपीआई-एम के बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने कहा, “मेरे हस्ताक्षर पर कोई संदेह नहीं है। मैं जल्द सत्यापन के लिए पत्र लिखूंगा।”
टीएमसी की सुष्मिता देव ने भी हस्ताक्षर की पुष्टि की। राघव चड्ढा ने सभापति से मिलने का समय मांगा है, जबकि फैयाज अहमद और एन.आर. एलंगो से संपर्क नहीं हो सका।
13 दिसंबर 2024 को विपक्षी सांसदों ने 55 हस्ताक्षरों के साथ नोटिस सौंपा था, जिसे कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा और के.टी.एस. तुलसी ने प्रस्तुत किया था। सिब्बल और तन्खा भी हस्ताक्षरकर्ताओं में शामिल थे। राज्यसभा सचिवालय ने नोटिस पर नौ हस्ताक्षरों में विसंगति पाई, जिसमें सांसद सरफराज अहमद के हस्ताक्षर दो बार दिखाई दिए। सरफराज ने बताया कि उन्होंने केवल एक बार हस्ताक्षर किए, जिसके बाद हस्ताक्षरों की संख्या 54 हो गई।
सचिवालय ने 7 मार्च, 13 मार्च और 1 मई को सांसदों को ईमेल भेजकर सभापति से मिलने और दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां लाने को कहा। 29 सांसदों ने सभापति से मिलकर हस्ताक्षर सत्यापित किए, और 23 मई को 14 अन्य सांसदों ने भी ऐसा किया। शेष 11 सांसदों से संपर्क नहीं हो सका। सांसदों से नोटिस के साथ संलग्न समाचार लेख, कानूनी रिपोर्ट और यूट्यूब वीडियो की प्रमाणित प्रतियां भी मांगी गई थीं।
8 दिसंबर 2024 को VHP के कार्यक्रम में जस्टिस यादव ने कहा था, “यह हिंदुस्तान है, और देश बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा।” समान नागरिक संहिता (UCC) का समर्थन करते हुए उन्होंने मुस्लिम समुदाय के कुछ रीति-रिवाजों पर टिप्पणी की, जैसे बहुपत्नी प्रथा। उन्होंने हिंदू प्रथाओं में सुधारों का उल्लेख करते हुए कहा कि छुआछूत, सती, जौहर और कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों को समाप्त किया गया है।
13 फरवरी 2025 को सभापति धनखड़ ने राज्यसभा में कहा कि उन्हें संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत जस्टिस यादव को हटाने की मांग वाला नोटिस प्राप्त हुआ है। उन्होंने इसे “55 कथित हस्ताक्षर” बताया और कहा कि इस पर निर्णय का अधिकार केवल सभापति, संसद और राष्ट्रपति के पास है। 17 फरवरी को राज्यसभा के महासचिव पी.सी. मोदी ने इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट के महासचिव को भेजी।
कांग्रेस ने शुक्रवार को सभापति को नोटिस पर कार्रवाई की याद दिलाई। कपिल सिब्बल ने सभापति की निष्क्रियता पर नाराजगी जताते हुए सरकार पर जस्टिस यादव को बचाने का आरोप लगाया। ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (AILAJ) ने 14 जून 2025 को जस्टिस यादव के खिलाफ आंतरिक जांच और दंड की मांग की। AILAJ ने उनके बयानों को इस्लामोफोबिक और संविधान के खिलाफ बताया। संगठन ने कहा, “न्यायमूर्ति यादव के खिलाफ कार्रवाई न करना अन्य न्यायाधीशों को असंवैधानिक पूर्वाग्रह व्यक्त करने की छूट देगा।”
2022 में केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली पर न्यायाधीशों के खिलाफ 1,600 से अधिक शिकायतें दर्ज थीं, लेकिन कोई जांच प्रक्रिया सार्वजनिक नहीं की गई। हाल ही में एक RTI आवेदन को भी अस्वीकार कर दिया गया।
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं)