लोकतंत्र में निरंकुश होती सरकार की बर्बरता पूर्ण कार्यप्रणाली को रोकना जरूरी: चंद्रशेखर

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वाराणसी। न्याय के दीप जलाएं-100 दिनी सत्याग्रह।

गांधी विरासत को बचाने के लिए सत्याग्रह का आज 47वां दिन है। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष जुलाई में वाराणसी एवं रेलवे प्रशासन ने मिलकर सर्व सेवा संघ परिसर एवं यहां स्थित प्रकाशन को अतिक्रमण बताकर बुलडोज कर दिया था। वास्तविकता यह है कि सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 व 1970 में यह जमीन उत्तर रेलवे से खरीदी थी, जिससे संबंधित सभी वैध कागजात सर्व सेवा संघ के पास हैं।

इस विरासत को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर “न्याय के दीप जलाएं” नाम से 100 दिवसीय राष्ट्रीय सत्याग्रह सर्व सेवा संघ, राजघाट परिसर के किनारे सड़क पर चल रहा है।

इस सत्याग्रह में पूरे देश के सर्वोदय सेवक,सामाजिक कार्यकर्ता व नागरिकगण शामिल हो रहे हैं। सत्याग्रह में शामिल होने सभी राज्यों के लोक सेवक एवं सर्वोदय मित्रों को अवसर मिले, इस हेतु तारीख नियत की गई है।

मध्य प्रदेश को 21 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक सत्याग्रह संचालन की जिम्मेदारी मिली है। इस जिम्मेदारी के सातवें दिन यानी सत्याग्रह के 47 वें दिन मध्यप्रदेश के शहडोल सम्भाग के दो साथी शिवकांत त्रिपाठी और चंद्रशेखर सिंह उपवास पर हैं।


सत्याग्रही शिवाकांत त्रिपाठी मानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति का एक विचार होता है जो उसे पूर्ण व परिपक्व बनाती है। ऐसा ही मेरा एवं मेरे समाज का गांधीवादी मूल्यों पर आधारित अहिंसक विचार हैं, जिसे नष्ट करने के लिए सरकार केवल हमारी धरोहर रूपी इमारत को ही नहीं कुचल रही बल्कि हमारे महापुरुषों के विचार पर भी प्रहार कर रही है।

इसी दुर्भावना का शिकार सर्व सेवा संघ का राजघाट परिसर हुआ है। लेकिन मैं गांधी, विनोबा और जयप्रकाश का सिपाही होने के नाते इस विरासत को बचाने की जिम्मेदारी के साथ संघर्ष और पुनर्निर्माण के लिए संकलबद्ध हूं।

जानकारी के लिए शिवकांत त्रिपाठी, गांधी विचार के संगठन राष्ट्रीय युवा संगठन, मध्य प्रदेश इकाई के प्रदेश संयोजक हैं। वे पूर्वी मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाके में बाल कुपोषण, महिला स्वास्थ्य एवं युवा अधिकारों के लिए काम कर रहे हैं।

इसके साथ ही सर्वोदय विचारधारा से नवयुवकों को जोड़ने हेतु जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक युवा शिविर एवं सम्मलेन के संयोजन एवं प्रशिक्षण कार्य में भी संलग्न हैं।

वहीं आज के दूसरे सत्याग्रही अनूपपुर के सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर सिंह है, जो 1996 से राष्ट्रीय युवा संगठन के साथ जुड़कर समाज सेवा का कार्य कर रहे हैं। वे मानते हैं कि सरकार की तानाशाही रवैये के खिलाफ यह जन विद्रोह है। यह विद्रोह इसलिए भी जरूरी है कि लोकतंत्र में निरंकुश होती सरकार की बर्बरता पूर्ण कार्यप्रणाली को रोका जा सके।

वे कहते हैं कि देश के लिए शर्म की बात है कि अपनी कुर्बानी देकर भारत को आजादी दिलाने वाले महान व्यक्तित्वों के चरित्र पर सरकारें कीचड़ उछालने में लगी है। इसलिए हमें हिंसक होती सरकार के विरुद्ध अहिंसक तरीके से खड़ा होना ही होगा। तभी सरकार सामाजिक धरोहरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए भविष्य में एक आम आदमी के खिलाफ भी ऐसा करने से पहले सोचेगी।

सत्याग्रह स्थल से यह कहा गया है कि 30 अक्टूबर 2024 को इस सत्याग्रह का मध्यांतर होगा अर्थात सत्याग्रह अपने 50 वें दिन में प्रवेश करेगा। उस दिन सत्याग्रही सादगीपूर्ण तरीके से अपने उन पुरखों को याद करेंगे जिन्होंने इस केंद्र की और इंसानियत के सफर को समृद्ध करने में अपना विशिष्ट योगदान दिया है।

आज के सत्याग्रह में उपवासकर्ता शिवकांत त्रिपाठी व चंद्रशेखर सिंह के अलावा अलख भाई, शक्ति कुमार, अशोक भारत, मध्य प्रदेश लोक समिति के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र त्रिपाठी, संपत कुमार नामदेव, महेश अजनबी, हिरेस, अभिलाष जागृति राही, अंकित मिश्रा, अरविंद अंजुम, सिस्टर फ्लोरिन,अवनीश,नंदलाल मास्टर,ललित नारायण,संतोष कुमार मौर्य आदि शामिल हुए।

(प्रेस विज्ञप्ति।)

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