छत्तीसगढ़ ने ढूंढ लिया ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प, कोरोना कॉल में हो रही है लाउडस्पीकरों से पढ़ाई

Estimated read time 1 min read

रायपुर। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए छत्तीसगढ़ में ‘पढ़ई तुंहर दुआर पोर्टल’ से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई है। जिले के 43 हजार छात्र मोबाइल न होने या कनेक्टिविटी ठीक नहीं होने से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। इसे देखते हुए अब शिक्षा विभाग ने पंचायतों में मोबाइल के अलावा 9 तरीकों से पढ़ाई कराने की तैयारी शुरू की है। बस्तर और सरगुजा के नक्सल प्रभावित इलाकों में जहां कनेक्टिविटी नहीं है वहां अपनाया गया तरीका रायगढ़ जिले में भी लागू किया जाएगा। एक प्रस्ताव बनाकर कलेक्टर के पास स्वीकृति के लिए भेजा है।

छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण को देखते हुए अब लाउडस्पीकर से स्कूलों में पढ़ाई कराई जाएगी। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने सभी जिलों की प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक स्कूल में इस योजना को उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से आगामी एक सप्ताह के भीतर प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं। डॉ. टेकाम अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बस्तर जिले में इस योजना के क्रियान्वयन से जुड़े अधिकारियों से विस्तार से चर्चा किया। टेकाम ने कहा कि बस्तर जिले में लाउडस्पीकर से 56 पंचायतों में पढ़ाई प्रारंभ हो चुकी है। छत्तीसगढ़ में कोविड-19 के दौरान बच्चों की पढ़ाई जारी रखने यह मॉडल बनेगा। यह ऑनलाइन पढ़ाई की वैकल्पिक व्यवस्था है।

कोविड की वजह से हुए लॉकडाउन में छ्त्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग ने बहुत तेजी काम शुरू किया है। आनलाइन अध्ययन सुविधा के साथ-साथ ऑफलाइन के लिए भी विभिन्न मॉडल सोचकर उनका क्रियान्वयन शिक्षकों ने किया है। विभाग ऐसे सभी शिक्षकों का आभार मानता है, जिन्होंने कोविड के दौरान अपने-अपने घर से नियमित ऑनलाइन कक्षाएं ली हैं। इसके अलावा बहुत से शिक्षकों ने विभिन्न ऑफलाइन मॉडल को भी सफलतापूर्वक लांच किया। लगभग 10 ऐसे मॉडल राज्य में शिक्षकों द्वारा क्रियान्वित किए गए हैं।

इनमें से एक मॉडल “लाउडस्पीकर स्कूल” का संचालन जिसका प्रारंभ बस्तर जिले में किया गया है, का अध्ययन स्कूल शिक्षा मंत्री द्वारा किया गया। उन्होंने बस्तर जिले में इस योजना के क्रियान्वयन से जुड़े अधिकारियों से कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विस्तार से चर्चा की और इस मॉडल को वर्तमान कोरोना लॉकडाउन के लिए काफी उपयुक्त पाया। इस मॉडल में पंचायत द्वारा बच्चों की पढ़ाई के लिए ग्रामों में उपलब्ध या डीजे वालों से सहयोग लेकर लाउडस्पीकर उपलब्ध करवाया जाता है। लाउडस्पीकर से शिक्षक बच्चों को पढ़ाना शुरू करते हैं। बच्चे अपने अपने घर या छोटे-छोटे समूहों में बैठकर ध्यान से पाठों को सुनते हैं। ऐसी कक्षाएं प्रतिदिन राज्यगीत के साथ प्रारंभ होती हैं।

लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों को गृह कार्य भी दिए जाते हैं और जोड़ी में शिक्षक पाठ के दौरान गांव में घूमकर बच्चों को कार्य करते हुए भी देख सकते हैं। गांव में भी बच्चों की कक्षाएं नियमित लग रही है अथवा नहीं, पूरे गांव को पता चल जाता है। स्कूल शिक्षामंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम बस्तर के शिक्षकों के इस नवाचार से अभिभूत हैं। उन्होंने सभी जिलों से अपील की है कि वे अपने-अपने जिले के प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक स्कूल में इस योजना को उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से आगामी एक सप्ताह के भीतर प्रारंभ करें और इसमें पढ़ाने हेतु इच्छुक शिक्षकों एवं ग्राम से सहयोगियों की व्यवस्था करें। उन्होंने पालकों से भी अपील की है कि सुरक्षा संबंधी सभी मानकों का उपयोग करते हुए बच्चों को घर में रहते हुए लाउडस्पीकर स्कूल से सीखना जारी रखने में सहयोग करें।

बस्तर जिले में गत एक सप्ताह में 11 पंचायतों से बढ़कर 56 पंचायतों ने लाउडस्पीकर स्कूलों को प्रारंभ कर लिया है। राज्य में लगभग दस हजार पंचायतें हैं और यदि सभी पंचायतें आगे बढ़कर योजना को लागू करती हैं तो प्रदेश के लाखों बच्चों का सीखना इस मॉडल से जारी रखा जा सकता है। समग्र शिक्षा, छत्तीसगढ़ द्वारा इस योजना के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश भी बनाए गए हैं।

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author