गांधी विचार संस्थानों के ध्वंस के बारे में सोचना भी कठिन, हम ऐसी दुर्भाग्यजनक घटना के शिकार हुए: चंदन पाल

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वाराणसी। ‘न्याय के दीप जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह’ आज 21 सितंबर 2024 को अपने 11 वें दिन में प्रवेश कर गया। सत्याग्रह का प्रारंभ सुबह 6:00 सर्व धर्म प्रार्थना के साथ हुआ। आज के सत्याग्रह में ओडिशा के कटक जिले के निवासी डॉ विश्वजीत उपवास पर बैठे हैं। डॉ विश्वजीत सर्व सेवा संघ के आंदोलन समिति के संयोजक हैं।

पेशे से डॉक्टर डॉ विश्वजीत ओडीशा के जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी तथा सर्वोदय नेता मनमोहन चौधरी की प्रेरणा से राष्ट्रीय युवा संगठन के जरिये सर्वोदय आंदोलन में शामिल हुए। राष्ट्रीय युवा संगठन के राष्ट्रीय संयोजक रहे विश्वजीत अभी केंद्रीय गांधी स्मारक निधि के ट्रस्टी, गांधी शांति प्रतिष्ठान के नियामक मंडल के सदस्य, कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट के ओडिशा इकाई के मार्गदर्शक आदि कई जिम्मेवारियों को निभा रहे हैं। केंद्र सरकार, रेलवे तथा वाराणसी प्रशासन ने जिस तरह से सर्व सेवा संघ परिसर-साधना केंद्र को तोड़ा, उसके प्रतिवाद में वे पहले दिन से ही आंदोलनरत हैं।

आज के सत्याग्रह में सर्व सेवा संघ अध्यक्ष चंदन पाल, अनुलेखा पाल, ईश्वर चंद्र, देवाशीष बेरा, विश्वजीत घोडोई, अलख भाई, अंतर्यामी बरल, बिपिन बारिक, सूर्य सेठी, अरविंद कुशवाह, ध्रुव भाई, अजय यादव, आर्यभट्ट मोहंती आदि शामिल हैं। शाम 6 बजे सर्व धर्म प्रार्थना और दीप प्रज्वलन के साथ आज का सत्याग्रह संपन्न हुआ।

गांधी अच्छाई की प्रेरणा हैं- डॉ विश्वजीत

डॉ विश्वजीत का कहना है कि इस सरकार के पूर्वजों ने गांधी जी को गोली मारी, लेकिन वह मरे नहीं, दुनिया भर में फैल गए। बापू के आश्रमों को तोड़ने का सिलसिला चला रही निरंकुश सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि गांधी अच्छाई की प्रेरणा के रूप में देश के हर नागरिक के हृदय में वास करते हैं। जुल्म और अहंकार सांप्रदायिक सरकारों के पतन के कारण बनेंगे।

सत्याग्रह का उद्देश्य सत्य को मजबूत करना है- चंदन पाल

सत्याग्रह पर बैठे सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल ने कहा कि यह कार्यक्रम झूठ के वातावरण में सत्य के प्रति आग्रह को मजबूत करने के लिए है। हमारा किसी से विद्वेष नहीं है, हम किसी के विरुद्ध नहीं है, हमारा कोई शत्रु नहीं है। बस, हम न्याय, शांति और मानवता की स्थापना के लिए स्वयं को कष्ट देकर हर संभव प्रयत्न कर रहे हैं।

चंदन पाल ने आगे जोड़ा कि गांधी विचार संपूर्ण मानवता की विरासत है। गांधी विचार से जुड़े संस्थानों के ध्वंस के बारे में सोचना भी कठिन है, लेकिन ऐसी दुर्भाग्यजनक घटना के हम शिकार हुए हैं। सर्व सेवा संघ अपने 100 दिन के सत्याग्रह के माध्यम से ध्वंसकर्ताओं के मन में आत्म निरीक्षण, परिमार्जन और पश्चाताप का भाव जगाना चाहती है। जिन्होंने इस परिसर का नाश किया है वे अगर फिर से इसे हमें वापस कर देते हैं तो यह सत्याग्रह पूर्ण माना जाएगा। वैसे सत्याग्रह की कोई अवधि नहीं होती है यह समाज को परिष्कृत करने की निरंतर प्रक्रिया है। सर्व सेवा संघ सत्याग्रह की इस पद्धति को आवश्यकता पड़ने पर भविष्य में भी जारी रखेगी।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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