राजघाट, वाराणसी। न्याय के दीप जलाएं – 100 दिवसीय सत्याग्रह।
राजघाट, वाराणसी में स्थित सर्व सेवा संघ परिसर, गांधी की विरासत के विध्वंस के खिलाफ और पुनर्निर्माण के संकल्प के साथ (11 सितंबर 2024- विनोबा जयंती के अवसर से) प्रारंभ सत्याग्रह का आज 55वां दिन है।
इस सत्याग्रह में अब तक ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से लोग शामिल हो चुके हैं। सत्याग्रह में 1 नवंबर से 5 नवंबर तक आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी, अन्नामय्या, गुंटूर, एनटीआर, तिरुपति, नेल्लोर जिलों के सर्वोदय सहयोगी भाग ले रहे हैं।
एन. दत्ता मणि नायडू ने आज रखा उपवास
गांधी, विनोबा और जयप्रकाश की विरासत की रक्षा के प्रयास में, सर्व सेवा संघ ने न्याय के दीप जलाएं-100 दिवसीय सत्याग्रह शुरू किया है। आज आंध्र प्रदेश के लोक सेवक एन. दत्ता मणि उपवास पर हैं। एनटीआर जिले से आने वाली दत्ता मणि नायडू 1989 से पत्रकारिता में हैं।
उन्होंने शुरुआत में तेलुगु भाषा के दैनिक समाचार पत्रों में काम शुरू किया और बाद में कॉलम लिखने लगीं। वर्तमान में, वे एक लेखिका और अंशकालिक पत्रकार हैं।
गांधीवादी आदर्शों पर चलने वाली दत्ता मणि नायडू पत्रकारिता के साथ-साथ सर्व सेवा संघ से जुड़कर समाज को सकारात्मक दिशा देने में योगदान करती हैं।
विरासत पर हमला बर्बरता है- दत्ता मणि नायडू
सत्याग्रह स्थल पर उपवास करते हुए दत्ता मणि नायडू ने कहा कि सर्व सेवा संघ पर बुलडोजर चलाना लोकतंत्र और राष्ट्रीय अखंडता पर हमला है। यह बर्बरता है। जो प्रतीक समाज के लिए प्रकाश स्तंभ की तरह होते हैं, उसकी हिफाजत करना समाज का दायित्व होता है और सरकार को समाज की सकारात्मक आकांक्षाओं के साथ होना चाहिए।
लेकिन सरकार की यह विध्वंसक कार्रवाई गांधीवादी विचारधारा और संस्थाओं को नष्ट करने के उद्देश्य से की गई है। यह एक धरोहर स्थल है और इसे संरक्षित करना सरकार की जिम्मेदारी है। हालांकि, ऐसा नहीं किया गया, जिसके कारण आंध्र प्रदेश के गांधीवादी कार्यकर्ता विरोध में उपवास कर रहे हैं।
इस संबंध में दत्ता मणि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर परिसर को तत्काल और सम्मानजनक तरीके से वापस करने की अपील की है। साथ ही उन्होंने पूरे मामले की न्यायिक जांच कराकर दोषी अधिकारियों की पहचान कर उन्हें दंडित करने की मांग भी की है।
सरकार असंवेदनशील है- राम धीरज
वैसे तो केंद्र और राज्य की वर्तमान सरकार से हमें कोई सकारात्मक उम्मीद नहीं है, फिर भी यह कहते हुए काफी खेद हो रहा है कि इस सरकार के पास संवेदनशीलता का पर्याप्त अभाव है। आज सत्याग्रह करते हुए 55 दिन बीत चुके हैं परंतु न तो सरकार की ओर से और न ही स्थानीय प्रशासन ने कोई संपर्क या संवाद करने का प्रयास किया है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार जनता के प्रति जिम्मेवार होती है और जनता में अगर कोई असंतोष या शिकायत है तो उसे दूर करना उसका फर्ज होता है। लेकिन बुलडोजर पर सवार इस सरकार को जनता के अरमानों को कुचलने का नशा हो गया है।
यह अत्यंत निंदनीय ही नहीं बल्कि विचारणीय विषय है। लोकतंत्र के लिए सरकार को जिम्मेवार बनाना आवश्यक है नहीं तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।
आज उपवास में बैठी एन दत्ता मणि नायडू के अलावा सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, अलख भाई, शक्ति कुमार, अन्तर्यामी रथ, तारकेश्वर सिंह, बिनय कु. साहू, अजय यादव, उमेश कुमार, आशुतोष जायसवाल, अजय रोशन, शिवम चौबे, गोपाल चंद्र, प्रशांत वर्मा, लक्ष्मी साहू, ज्योति, पूनम, एडवोकेट रामदुलार, सतीश बाबू, नंदलाल मास्टर, भुपेश भूषण,राजेश मानव, एन रामबाबू नायडू, वी लता, जी शिवपार्वती,प्रदीप दास, जी रवि कुमार, डी दीनबंधु,रामधीरज आदि शामिल हैं।
(सर्व सेवा संघ की ओर से जारी।)
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