कांकेर/वाराणसी। दशहरा के अवसर पर जहां पूरे देश में रावण का पुतला दहन कर विजय दशमी पर्व मनाया गया। वहीं दूसरी ओर पखांजूर इलाके के अति संवेदनशील गांव सीतराम में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों समेत छत्तीसगढ़ के नेताओं का पुतला दहन किया गया।
इनके खिलाफ किसान व आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया गया है। यहां दशहरा मनाने 68 गांव के ग्रामीण जमा हुए थे। ग्रामीणों ने रैली निकाली और जमकर नारेबाजी की। कार्यक्रम का आयोजन सर्व आदिवासी समाज ने किया था। सर्व आदिवासी समाज द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री अमित शाह के अलावा केदार कश्यप व धरम लाल कौशिक का पुतला दहन किया गया।
यहां जमा हुए बैठिया सर्किल के ग्रामीणों ने कहा कि लखीमपुर में किसानों के साथ हुई घटना को लेकर प्रधानमंत्री व गृह मंत्री अब तक चुप हैं। वे मंत्री के बेटे को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। यह दोनों किसान विरोधी हैं। जबकि सिलेगर को लेकर उनका कहना था कि यहां प्रदेश सरकार गोली चलाने का आदेश देने वाले पुलिस अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। हसदेव अरण्य को बचाने फतेहपुर से 300 किलोमीटर पैदल यात्रा कर रायपुर पहुंचे लोगों से मुख्यमंत्री ने मुलाकात तक नहीं की। छत्तीसगढ़ में पांचवीं अनुसूची व पेसा कानून को लेकर आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन आदिवासी विरोधी मानसिकता के चलते भूपेश सरकार इन मांगों को दरकिनार कर रही है।
वन अधिकार की जगह राजस्व पट्टा देने हेतु कई सालों से ग्रामीणों द्वारा मांग की जा रही है। लेकिन सरकार राजश्व पट्टा देने से बच रही है। इस दौरान छोटे बैठिया सर्किल के सर्व आदिवासी समाज के सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।
उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के बढ़ते तेवर से घबरा कर योगी सरकार अब किसान आंदोलन समर्थक नेताओ, किसान नेताओं को गिरफ्तारी करा रही है, उन्हें हाउस ऐरेस्ट कर रही हैं।
दूसरी तरफ संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर आयोजित होने वाले पुतला दहन कार्यक्रम (जिसके तहत प्रधानमंत्री, गृहमंत्री एवं केंद्रीय गृहराज्यमंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्तगी की मांग को लेकर पुतला फूंका जाना था) यूपी में सफल न हो इसी वजह से ऐपवा की महिला नेताओं को चन्दौली में हाउस अरेस्ट कर लिया।
ऐपवा जिला सचिव प्रमिला मौर्य, उपाध्यक्ष श्यामदेई , जिलाध्यक्ष मुन्नी गोंड़ को हाउस अरेस्ट किया गया और जिला सहसचिव सुनीता को लगातार फोन पर पुलिस धमका रही है।
ऐपवा नेताओ के साथ चन्दौली समेत प्रदेश के तमाम जिलों से भाकपा माले के नेताओं को भी हाउस अरेस्ट किया है। किसानों के पक्ष में लगातार आवाज उठाने वाले सोशलिस्ट किसान सभा के डॉ संदीप पांडे और रिहाई मंच के राजीव यादव समेत ढेर सारे आंदोनलकरियो को पुलिस ने कल गिरफ्तार किया गया। बलिया के किसान नेता बलवंत यादव को भी अभी गिरफ्तार किया गया है।
हाल में वाराणसी में 4 अक्टूबर को सँयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित लखीमपुर किसान नरसंहार के शहीद किसानों को श्रद्धांजलि कार्यक्रम करने के कारण बीएचयू के छात्र- छात्राओं पर फर्जी धारायें लगा दी गयी हैं।
ऐपवा इन गिरफ्तारियों और छात्र छात्राओ पर फर्जी धाराएं लगाने की तीखी निंदा की है और अतिशीघ्र ऐपवा नेताओ समेत आंदोलनकारियों की तत्काल बिना शर्त सम्मानजनक रिहाई और फर्जी धाराओं को वापस लेने की मांग की है।
ऐपवा प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि देश और प्रदेश में किसान आंदोलन के बढ़ते तेवर से योगी सरकार डर गई है और इसी वजह से नेताओं को नजरबन्द कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के तानाशाही रवैये से प्रदेश की जनता डरने वाले नहीं है बल्कि यह सरकार जितना किसानों की आवाज को दबाने का प्रयास करेगी किसान आंदोलन उतनी तेजी से आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि लखीमपुर किसान नरसंहार के हत्यारों को कड़ी सजा की गारंटी और केंद्रीय गृहराज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
ऐपवा प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि किसान आंदोलन को संगठित करने में महिलाओं की नेतृत्वकारी भूमिका है। महिलाएं अब घरों में चुपचाप नहीं बैठ रही हैं बल्कि सड़कों पर निकलकर किसान आंदोलन को मजबूत कर रही हैं। ब्राह्मणवादी मनुवादी महिला विरोधी भाजपा सरकार को महिलाओं के यह तेवर बर्दाश्त नही हो रहे इसलिए वह महिला नेताओं को उनके घरों में नजरबन्द कर रही है।
(बस्तर से तामेश्वर सिन्हा के अलावा यूपी से ऐपवा की प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित रिपोर्ट।)