बिहार सरकार में ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव राज्य के उन राजनीतिज्ञों में से हैं, जिन्होंने हारना नहीं जाना है। बिजेंद्र यादव साल 1990 में पहली बार जनता दल के टिकट पर सुपौल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और विजयी हुए। उसके बाद से अब तक हुए सभी चुनावों में विजयी रहे हैं। साल 2014 में जब लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, तब मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में बिजेंद्र यादव का नाम सबसे अग्रिम पंक्ति में था। सुपौल जिला और कोसी क्षेत्र में इन्हें विश्वकर्मा कहा जाता है।
ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव सह सीएमडी संजीव हंस ईडी के शिकंजे में फंस चुके हैं। जिसके बाद 25 जुलाई को राजधानी पटना के गांधी संग्रहालय में ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव द्वारा सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के सबूत पेश करते हुए आरोप लगाए हैं कि पिछले 34 वर्षों से लगातार विधायक रहते हुए सुपौल में सिर्फ भ्रष्ट अधिकारियों, ठेकेदारों और दलालों का विकास किया है, लेकिन हैरत की बात है कि कोसी क्षेत्र में भ्रष्टाचार का संरक्षक होने के बावजूद मंत्री जी ने सफेदपोश समाजवादी की एक नकली छवि बना रखी है।
हाल में ही बिहार के सीनियर आईएएस अधिकारी संजीव हंस के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर ईडी की टीम ने संजीव हंस के पटना स्थित आवास से लेकर दिल्ली और पुणे तक उनके ठिकानों पर छापेमारी की थी। जांच के दौरान पटना पुलिस को संजीव हंस की काली कमाई के कई साक्ष्य मिले हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गवाह सुनील सिन्हा ने आरोप लगाया हैं कि चंडीगढ़ में संजीव हंस के एक रिसॉर्ट को 95 करोड़ रुपए में खरीदा गया है। संजीव हंस की सख्ती की वजह से बिहार में प्रीपेड मीटर की इतनी डिमांड बढ़ाई कि मीटर वालों ने मर्सिडीज गाड़ी गिफ्ट कर दी। प्रीपेड मीटर वालों से जो पैसा मिला, उसे संजीव हंस ने सहारा में जमीन लेने के लिए गुलाब यादव और सुभाष यादव के साथ लगाया है। प्रीपेड मीटर की खराबी को लेकर बिहार में लगातार विवाद और आंदोलन हुए हैं।
इस विषय को लेकर अनुपम ने मीडिया क़ॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हर तरफ ऊर्जा विभाग की किरकिरी हो रही है, लेकिन मंत्री बिजेंद्र यादव की चर्चा तक नहीं हो रही है। कमाल की बात तो यह है कि लंबे समय से जिस ताकतवर मंत्री के पास ऊर्जा विभाग का जिम्मा है, उन्होंने अपने प्रिय अधिकारी पर अब तक कोई एक्शन नहीं लिया। एक्शन तो दूर की बात, मंत्री जी द्वारा आरोपी अधिकारी पर जांच की अनुशंसा या सवाल भी पूछा गया हो ऐसी हमें जानकारी नहीं।
आगे अनुपम ने कहा कि तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में गुलाब यादव के साथ संजीव हंस के पार्टनरशिप की तो खूब चर्चा हो रही है। लेकिन इससे बड़ी पार्टनरशिप बिजेंद्र यादव और उनके प्रिय आईएएस हंस के बीच है। ऐसे में अगर प्रवर्तन निदेशालय मंत्री जी से पूछताछ नहीं करती तो ईडी की जांच भी दिखावा ही है। बिजेंद्र यादव में आखिर ऐसी कौन सी विलक्षण प्रतिभा है जो पिछले 33 वर्षों से बिहार में किसी और को ऊर्जा मंत्री लायक समझा नहीं गया। कहा जाता है कि किसी अधिकारी को तीन साल से अधिक एक पद पर नहीं रहना चाहिए। लेकिन बिजेंद्र यादव शायद देश के एकमात्र मंत्री हैं जो इतने लंबे समय से एक ही विभाग के कर्ताधर्ता बने हुए हैं। प्रीपेड मीटर से लेकर बिजली विभाग में ठेकों के आवंटन भी सवालों के घेरे में है। आईएएस संजीव हंस ऊर्जा मंत्री जी के अत्यंत करीबी माने जाते हैं। बिहार के बांका जिले में एसडीएम के पद पर रहने के बाद जिलाधिकारी के रूप में उनका प्रोमोशन सुपौल में हुआ था।
अनुपम ने कई सबूत और कागज़ात पेश करते हुए तथ्यों के आधार पर मंत्री जी के कारनामों को उजागर किया और मंत्री बिजेंद्र यादव के सगे संबंधियों और करीबियों को भ्रष्ट प्रशासन की मदद से फायदा पहुंचाने के भी ठोस सबूत पेश किए है।
1) अपनी शैक्षणिक योग्यता को लेकर हर चुनावी घोषणा में खुद को स्नातक विज्ञान बताया जो 2020 विधानसभा चुनाव में घटकर इंटर पास हो गया
2) अदालत द्वारा 1992 के एक मामले को लेकर वर्ष 2000 में मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव को फरार घोषित कर दिया गया। वर्ष 2000 से 2006 तक वो फरार रहे, इस बीच 2005 में चुनावी नामांकन में इस मामले का जिक्र ही नहीं किया। कार्यपालक दंडाधिकारी ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर उनके फरार होने की बात कही लेकिन प्रशासन इस पर भी हमेशा के लिए सुस्त हो गया और नेताजी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
निम्नलिखित मामलों में सत्ता का दुरुपयोग कर भ्रष्ट तरीकों से मंत्री के सगे संबंधियों और करीबियों को फायदा पहुंचाया गया-
1) वीरेंद्र कुमार उर्फ विनोद भगत मंत्री जी के सरकारी पीए थे जो रिटायर होने के बाद प्राइवेट पीए हो गए हैं। विनोद भगत के साले अखिलेश्वर भगत को बिजली विभाग के सरकारी कार्यों का ठेका मिलता है। उनका दूसरा साला योगेश भगत, विनोद भगत की कंपनी के कर्ताधर्ता हैं। विनोद भगत का अपना भाई टुनटुन भगत शराब का कारोबारी है, जो 21 मार्च 2024 को केस संख्या 68/2024 में गिरफ्तार हुआ। मंत्री के पीए ने प्रशासन का दुरुपयोग कर फर्जी ढंग से ज़मीन रजिस्ट्री करवाई। विनोद भगत का चचेरा भाई चंदन भगत बिजली विभाग सहित सभी कार्यालयों में मैटेरियल (जैसे कंप्यूटर, फर्नीचर) आपूर्ति देने का काम करता है।
2) मंत्री बिजेंद्र यादव के बेटे विकास यादव का साला प्रकाश पथ निर्माण विभाग (कैलाश प्रसाद यादव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड), ग्रामीण कार्य विभाग, सिंचाई, LAEO में ठेका लेता है l इनकी कंपनी 500 करोड़ से अधिक का काम करती है। यह जिस भी कंपनी में निविदा डालता है, उनमें इसका पार्टनर NKSP प्राइवेट लिमिटेड भी निविदा डालता है। ज्यादातर मामलों में बाकी कंपनियों के निविदा रद्द हो जाते हैं और टेंडर इन्हें ही मिल जाता है।
3) बिजेंद्र यादव के बेटे नरेश कुमार ने प्रशासन का दुरुपयोग कर बिहार सरकार की जमीन को छह लोगों के साथ खरीदा। नरेश कुमार के जमीन के दाखिल-खारिज पर राजस्व अधिकारी ने 9 जुलाई 24 को आपत्ति दर्ज किया। लेकिन 11 जुलाई को जिलाधिकारी कौशल कुमार के द्वारा राजस्व अधिकारी स्नेहा कुमारी के विरुद्ध एक ही दिन में 4 पत्र निर्गत किया गया। अगले ही दिन 12 जुलाई को सुपौल डीएम ने उनका वेतन स्थगित कर अनुशासनिक कार्रवाई करने की चेतावनी दी। 13 जुलाई को दूसरी सीओ बुच्ची कुमारी द्वारा दाखिल-खारिज कर दिया गया।
अनुपम ने कहा कि इन उदाहरणों से यह समझा जा सकता है कि मंत्री बिजेंद्र यादव के लिए सत्ता का दुरुपयोग और प्रशासन पर कब्जा कितनी आम बात है। मैं मांग करता हूं कि कि ऊर्जा विभाग में ठेकों के आवंटन से लेकर मंत्री जी के विधानसभा क्षेत्र सुपौल में ज़मीन की खरीद-फरोख्त तक की स्वतंत्र जांच हो। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, उनका पद पर बने रहना न ही नैतिक रूप से उचित है और न ही प्रशासनिक दृष्टि से।
कौन हैं ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम?
2018 में छात्रों के एक आंदोलन से दिल्ली में ‘युवा हल्ला बोल’ संस्था का निर्माण हुआ था। जो बेरोजगारी, गरीबी और भ्रष्टाचार और युवाओं के मुद्दे पर काम करती है। इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं अनुपम। अनुपम बिहार के सुपौल जिला स्थित सुखपुर गांव के रहने वाले है। अनुपम युवाओं के मुद्दे पर देश की प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में अक्सर बहस करते दिख जाते है। अनुपम बिहार में रोजगार यात्रा भी कर चुके है। 2 अक्टूबर 2023 को सुपौल के गांधी मैदान में अनुपम ने एक महापंचायत बुलाई थी। जिसमें प्रशांत भूषण जैसे नेता भी शामिल हुए थे। यह महापंचायत बेरोजगारी, नशा, जमीन समस्या, स्वास्थ्य और बाढ़ आपदा को मिटाने के नाम पर किया गया था। जिसमें 20,000 से ज्यादा व्यक्ति शामिल हुए थे। सुपौल के स्थानीय व्यक्ति के मुताबिक लालू प्रसाद यादव की रैली के बाद सुपौल में पहली बार ऐसी भीड़ देखी गई।
प्रेस वार्ता के दौरान आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल कुमार सिंह ने बताया कि सुपौल में मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के मर्जी के बिना पत्ता नहीं हिलता और पूरा प्रशासन नतमस्तक रहता है। विरोधियों को कुचलने के लिए मंत्री जी किसी भी हद तक जा सकते है। मंत्री जी की पहचान है यही है कि अधिकारी इनको भ्रष्ट पसंद है, ठेकेदार इनको पिसी देने वाला पसंद है, और नागरिक इनको घुटने टेकने वाला पसंद है।
(राहुल कुमार गौरव की रिपोर्ट।)