Monday, March 27, 2023

पिराना डंपिंग साइट मामले में एनजीटी ने लगाया गुजरात सरकार पर 75 करोड़ का जुर्माना

Janchowk
Follow us:

ज़रूर पढ़े

अहमदाबाद। अहमदाबाद स्थित पिराना डंपिंग साइट को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वायु प्रदूषण का बड़ा कारण मानते हुए गुजरात सरकार को निर्देश दिया है कि “पिराना डंपिंग साइट के हल के लिए सरकार Escrew एकाउंट में 75 करोड़ रुपये जमा कराए।” एनजीटी ने गुजरात सरकार और अहमदाबाद नगर निगम को शहर के कचरे के पहाड़ की समस्या के हल के लिए ठोस कदम उठाने को कहा है। 

एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श गोयल ने पिराना डंपिंग की स्थिति को भयनाक बताते हुए कहा “इसके हल की दिशा में तेज़ी से काम करने की आवश्यकता है।” जस्टिस गोयल ने दो सप्ताह में ठोस योजना बनाकर एक महीने के भीतर कचरे के पहाड़ को साफ करने का निर्देश दिया है। escrew खाते में 75 करोड़ जमा करने के अलावा इस भयनाक परिस्थिति से निपटने के लिए एक समिति गठित करने को कहा है। ताकि एक्शन प्लान बनाकर उस पर अमल किया जा सके।  समिति में चीफ सेक्रेटरी, आर्थिक एंव शहरी विकास सचिव, म्युनिसिपल कमिश्नर, शहरी विकास अथॉरिटी के CEO, केन्द्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय डायरेक्टर और राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सदस्य को शामिल करने के लिए कहा गया है। 

pirana dumping small1
पिराना डंपिंग साइट।

इसके पहले मार्च महीने में पिराना डंपिंग को हटाने की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस एसआर ब्रह्मभट्ट और जस्टिस वीबी कायानी ने अहमदाबाद नगर निगम के अभाववादी दृष्टिकोण की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि “आप को समझना चाहिए शहर का सौंदर्यीकरण तब तक संभव नहीं है जब तक शहर की साफ-सफाई सुनिश्चित नहीं कर दी जाती। यह कचरे का पहाड़ बड़ा अवरोध है”। आप को बता दें भारत स्वच्छ अभियान के सर्वे में अहमदाबाद शहर को छठा स्थान मिला है जबकि पिछले वर्ष बारहवें स्थान पर था। छह पायदान की छलांग को नगर निगम बड़ी उपलब्धि मानता है।

वर्ष 2016 में अहमदाबाद के ही सामजिक कार्यकर्ता कलीम सिद्दीकी द्वारा पिराना कचरे के पहाड़ को हटाने तथा वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। यह टिप्पणी इसी याचिका को सुनवाई के दौरान आयी थी। कोर्ट ने अहमदाबाद नगर निगम के वकील को 4 दशक पुराने डंपिंग स्टेशन को बंद करने तथा वैकल्पिक साइट विकसित करने की योजना को 15 अप्रैल तक साफ करने को कहा था। जिसके बाद सिविक अथॉरिटी द्वारा segregation प्रोसेस शुरू करने के अलावा गयासपुर में नई डंपिंग साइट का कार्य शुरू कर दिया गया। कंपनी abellon clean energy को AMC यानी अहमदाबाद म्यूनिसिपल कार्पोरेशन ने कचरे का अलगाव करने तथा खाद बनाने का ठेका दिया है। साइट सुपरवाइज़र मयूर वेगड़ा ने बताया ” कचरे के अलगाव के लिए अभी दो मशीनें काम कर रही हैं। 35 से 40 और मशीनें लगाने की कंपनी की योजना है। जिसके लिए पैड बन रहे हैं।” 

pirana dumping small2
पिराना डंपिंग साइट पर कलीम सिद्दीकी और मुजम्मिल।

वन एंव पर्यावरण विभाग द्वारा गठित निमाबेन आचार्या समिति ने अप्रैल 2018 में गुजरात विधान सभा में रिपोर्ट पेश की थी जिसमें कहा गया था कि “पिराना डंपिंग साइट पर क्षमता से तीन चार गुना अधिक कचरा डंप किया जा चुका है। इस डंपिंग साइट के कारण वायु ही नहीं अंडर ग्राउंड वॉटर भी दूषित हो चुका है। दूषित पानी के कारण डंपिंग साइट के आस-पास बसने वाले नागरिक कई प्रकार की बीमारियों की जकड़ में हैं। समिति सिफारिश करती है पिराना डंपिंग साइट को तत्काल प्रभाव से बंद कर देना चाहिए।”

डंपिंग स्टेशन के नजदीक बसे सिटीजन नगर के नदीम सैय्यद कहते हैं ” कोर्ट की टिप्पणी और ट्रिब्यूनल का निर्णय हमारे लिए वरदान है। अब हमें आशा है यह पहाड़ हटेगा और स्वस्थ वायु मिलेगी।” स्थानीय पार्षद शहज़ाद खान का कहना था कि यह एक बहुत बड़ी समस्या थी जिससे लोग बहुत परेशान थे। हमारी योजना थी कि इस डंपिंग साइट को हटाने के लिए एक Fight to Finish आन्दोलन शुरू किया जाए। परंतु अब एनजीटी के निर्णय के बाद किसी आन्दोलन की आवश्यकता नहीं है। हम निर्णय का स्वागत करते हैं और इस कार्य में नगर निगम को सहयोग देंगे। “

Waste management rule 2016 के अनुसार डंपिंग साइट के 200 मीटर के दायरे में कोई बस्ती या फिर नेशनल हाईवे नहीं होना चाहिए। परंतु यह डंपिंग स्टेशन धोराजी सोसायटी और सिटीजन नगर से सटा हुआ है। चंद मीटर की दूरी पर नेशनल हाईवे नंबर आठ है। 20 किलोमीटर के अंदर एयरपोर्ट या हवाई पट्टी नहीं होनी चाहिए। लेकिन 16 किलो मीटर की दूरी पर सरदार वल्लभ भाई पटेल एयरपोर्ट है। डंपिंग स्टेशन के आस-पास की बस्ती में किडनी, सांस की बीमारी, टीबी, गर्भपात जैसी समस्याएं आम हैं। अहमदाबाद की यह डंपिंग साइट माप दंडों पर खरी नहीं थी। फिर भी लंबे समय से सिविक अथॉरिटी चला रही थी। लेकिन अब एनजीटी और हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद आशा है कि तीन चार वर्षों में यह डंपिंग स्टेशन पूरी तरीके से बंद कर दिया जायेगा।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

तिरूपति मंदिर ट्रस्ट के पास 27 करोड़ की विदेशी मुद्रा

आंध्र प्रदेश। देश के सबसे अमीर धार्मिक ट्रस्ट, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़...

सम्बंधित ख़बरें