Wednesday, April 24, 2024

जांच टीम की रिपोर्ट: योगी की पुलिस ने आजमगढ़ में उत्पीड़न के साथ ही महिलाओं से की अश्लील हरकतें

जमुआ, आजमगढ़। उत्तर प्रदेश के आज़मग़ढ़ जिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रॉजेक्ट मंदुरी हवाई अड्डा विस्तारीकरण आजकल पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। आज़मग़ढ़ में पहले से ही एक हवाई पट्टी है लेकिन मुख्यमंत्री इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हावई अड्डे में तब्दील करके यूपी की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिये ‘विकास’ का एक मॉडल बता रहे हैं।

हक़ीक़त में विस्तारीकरण परियोजना का स्थानीय नागरिकों द्वारा खुलकर विरोध किया जा रहा है। हालॉकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज़मग़ढ़ तो आज तक कभी नहीं आये लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की एक बड़ी रैली जरूर यहाँ आयोजित की गई थी जिसमें उन्होंने यहां हवाईअड्डा बनाने की घोषणा की थी।  इसका शिलान्यास 2018 में किया गया था। इस पूरे मामले का 5 नवंबर को बनारस से गयी एक जांच टीम ने जायजा लिया।

आप बीती सुनाती ग्रामीण महिलाएं।

जांच टीम के मुताबिक आज़मग़ढ़ शहर से लगभग 19 किलोमीटर दूर मंदुरी हवाई पट्टी मौजूद है। हवाई पट्टी के विस्तारीकरण से 8 ग्राम सभाओं की कृषि योग्य उपजाऊ जमीन, 4 हजार मकान और 45 हज़ार लोग प्रभावित होंगे। इस योजना के तहत सरकार ने कुल 670 एकड़ जमीन को कब्जाने का मन बनाया है। सर्वे और जमीन नपाई का काम सरकार दो चरणों में करेगी। पहले चरण में 360 एकड़ जमीन का सर्वे कार्य पूरा किया जा चुका है और 310 एकड़ जमीन के दूसरे चरण का सर्वे कार्य अभी होना बाकी है। सर्वे कार्य में राजस्व विभाग, विकास और जल निगम के कर्मचारी लगाए जा रहे हैं।

 मंदुरी के निकट ग्राम जमुआ हरिराम (तहसील सगड़ी जनपद)

में सरकार द्वारा जमीन कब्जाने और महिलाओं के साथ लाठीचार्ज के सवाल पर पिछले 26 वें दिन से (यह रिपोर्ट लिखे जाने तक) धरना चला रहा है और इसमें सबसे अधिक महिलाएं शामिल हैं और आंदोलन का नेतृत्व भी कर रही हैं।

जांच टीम में शामिल ऐपवा नेता कुसुम वर्मा ने बताया कि जमुआ हरिराम में दलितों और अतिपिछड़ी जाति के गरीब परिवार हैं जिनके पास एक बिस्वा या आधा बिस्वा जमीन का मालिकाना हक है। परिवार में अधिकांश महिलाएं खेतों में अधिया पर काम करती हैं और अनाज के रूप में अपनी मज़दूरी ग्रहण करती हैं। अधिकाशं पुरुष निर्माण मजदूर हैं।

इसी गांव की नीलम ने जांच टीम को बताया कि “12 अक्टूबर को दिन में पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी जिसमें एसडीएम और लेखपाल भी थे बिना किसी पूर्व सूचना के गांव में हमारी जमीन- मकान की नपाई शुरू कर दी। हमने विरोध किया तो तेज आवाज में हम पर चिल्लाने लगे और गालियां देने लगे”। नीलम ने कहा कि गांव की महिलाओं ने सामूहिक विरोध किया तो वह सभी वापस चले गए।

इसी गांव की ऊषा और साथ में अन्य महिलाओं ने जांच टीम को बताया कि दिन में वापस चले जाने के बाद आधी रात में ( 13 अक्टूबर को) बिना नोटिस के फिर क़ई दर्जन पुलिसकर्मी, पीएसी के जवान और सगड़ी के एसडीएम तहसीलदार, तहसील कर्मचारी की टीम  गांव में घुस आई और जब लोग घरों से बाहर निकले तो हमें पुलिस डंडों से मारने लगी और अधिकारी हमारे चरित्र का मूल्यांकन करते हुए  अश्लील गालियां देने लगे।

ऊषा ने कहा कि गांव के नौजवान महिलाओं को बचाने में आगे आये तो उनको भी डंडों से पीटने लगे। घरेलू कामगार सुनीता अपने परिवार में अकेले कमाने वाली हैं। पुलिस के हमले में गम्भीर रूप से घायल हुईं उसकी बांह पर पुलिस ने कसकर डंडा मारा जिसकी वजह से वह क़ई दिन तक काम पर भी नहीं जा सकीं और उसकी मज़दूरी भी काटी गई।

फूलमती देवी (उम्र 50 वर्ष,पत्नी तूफानी ग्राम जमुआ, थाना कंधरापुर) ने बताया कि 12 अक्टूबर को साढ़े दस बजे के करीब दरोगा, एसडीएम, सीओ और दो गाड़ी पीएससी के साथ आए। उन्होंने कहा कि सर्वे कर रहे। हमने कहा कि हम जमीन नहीं देंगे तो किस बात का सर्वे तो उन्होंने गाली देते हुए कहा कि “चमार जाति की हैं यह औरतें ऐसे नहीं मानेंगी। उन्होंने हमें मारने की धमकियां दी और हमारे साथ बदसलूकी की मेरे पैर के घुटने में गम्भीर चोट आई।

सुनीता भारती का (22 वर्ष, पुत्री स्वर्गीय हरिराम) जमुआ हरिराम गांव में बहुत सम्मान है क्योंकि अपने बल पर उसने स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है। सुनीता ने बताया कि 12 अक्टूबर को एसडीएम आए और कहे कि हम फसल देखने आए हैं कि किसका नुकसान हुआ है उसको मुआवजा मिलेगा। तभी वो फीता लगाने लगे। जब पूछे तो कहा कि हवाई अड्डा बनेगा, हमने कहा कि हमें नहीं चाहिए। इस पर एसडीएम गाली देने लगे कहा कि इनको घाटी-समोसा, टिकुली-काजर चाहिए। मुझे जबरदस्ती तीन बार पुलिस की गाड़ी में बैठाया गया हमने कहा कि हम किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देंगे।

प्रभा देवी (40 वर्ष,पत्नी दिनेश) ने कहा कि पुलिस का लश्कर जब दुबारा हमारे गांव में आया तो इस बार महिला पुलिस साथ में नहीं थी। प्रभा ने कहा कि जब पुलिस डंडों से हमें मारने लगी हम धान के खेत में गिर गए और मुझे जांघ के ऊपरी हिस्से में चोट आई। दुःखी होकर रुआंसे अंदाज में प्रभा ने कहा कि इस जमीन से हमारा रोजगार जुड़ा हुआ है पूरा हमारे परिवार का जीवन इससे जुड़ा है। यह सब खत्म कर देगी सरकार तो हम सभी जीते जी मर जाएंगे।

वंदना (28 वर्ष) के मुताबिक एसडीएम ने कहा कि इसकी पीठ खूब मारने लायक है इसे मारो! हमने कहा कि साहब आपकी बहन-महतारी-बिटिया नहीं हैं।

ज्ञानमती (50 वर्ष) ने बताया कि गांव की हम महिलाओं ने कहा कि साहब हम गरीबों को मत उजाड़िये, तो वे हम लोगों को भगाने लगे इसमें मेरे हाथ में चोट आ गई। वे कह रहे थे कि तुम बूढ़ी हो किसके लिए जमीन चाहिए। ज्ञानमती का कहना था कि पुलिस-प्रशासन आधी रात से लेकर भोर तक अपना तांडव मचाते रहे थे लेकिन जब गांव की सभी औरतों, बच्चों और पुरूषों ने हिम्मत जुटाकर उनका मुकाबला किया तो उन्हें अपने गाड़ियों में बैठकर वापस जाना पड़ा। 

पुलिस की पिटाई से घायल महिलाओं से जब जांच टीम ने यह पूछा कि क्या आपने इसके ख़िलाफ़ थाने में एफआईआर दर्ज कराई और क्या आपका मेडिकल हुआ? तो सभी महिलाओं का जवाब था कि  जब पुलिस वाले ही रात के अंधेरे में हम गांव की महिलाओं की पिटाई कर रहे हैं, बड़े अधिकारी गाली गलौच कर रहे हैं तो किस थाने में जाकर हम अपनी गुहार लगाएं और किस अधिकारी से फ़रियाद करें। गांव के कुछ लोगों का यहाँ तक कहना था कि जब ज़मीन अधिग्रहण के सवाल पर गांव के लोगों का प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी से मिला तो उन्होंने अपने कमरे से उन्हें भगा दिया और  कहा “चले जाओ यहां से तुम लोग सरकारी काम में व्यवधान मत डालो नहीं तो रासुका लगा देंगे”

कैसे शुरू हुआ जमुआ हरिराम में जमीन आंदोलन

महिलाओं ने बताया कि हमें तो लगता था कि पुलिस-प्रशासन गरीबों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए होता है लेकिन 12 और 13 अक्टूबर को दिल दहला देने वाली घटना से हम सभी अभी तक  स्तब्ध हैं और हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हमारे साथ मार- पिटाई और गाली गलौच का मामला हो या हमारी अपनी जमीन हड़पने का मामला हो अब इसे रोकने के लिए हम महिलाओं को ही संगठित होना पड़ेगा और अपने अन्याय के ख़िलाफ़ बोलना पड़ेगा इसलिए 13 अक्टूबर को हम लोगों ने फैसला किया कि जब तक हमारा उत्पीड़न करने वाले दोषी पुलिककर्मियों को सजा नहीं हो जाती और इस हवाई अड्डा विस्तारीकरण परियोजना को सरकार अपने मौलिक रूप में वापस नहीं लेती तब तक हम आंदोलनरत रहेंगे।

गांव के सरकारी प्राथमिक पाठशाला के सामने खेरिया गांव में विगत 13 अक्टूबर से हर रोज दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक धरना  चलता रहता है। आस-पास के क़ई गांवों की हज़ारों महिलायें न यहां न्याय के लिए एकजुट होकर बैठती हैं।

यह धरना “जमीन-मकान सँघर्ष समिति” के नाम से आयोजित किया जा रहा है। गौरतलब है कि यह महिलाएं कभी अपने घर से बाहर नहीं निकली और न ही ऐसे किसी धरने प्रदर्शन का उन्हें अनुभव है लेकिन ऐसा लगता है कि अपने ऊपर हुए पुलिसिया दमन और जमीन हड़प के सवाल पर न्याय मिलने तक संगठित रूप से आंदोलन करना  महिलाएं बहुत अच्छी तरह से समझ गई हैं।

इस गांव से 2 किलोमीटर दूर इंटर कालेज है जिसमें रंजिता कुमारी कक्षा 11 की विद्यार्थी हैं रंजिता का सपना है कि वह उच्च शिक्षा ग्रहण कर एक अच्छी नौकरी करें। लेकिन जमीन अधिग्रहण के बारे में सुनकर वह भावुक हो जाती हैं और कहती हैं यदि मेरा घर चला गया तो मेरा परिवार सड़क पर आ जाएगा और मेरी पढ़ाई करने का सपना टूट जाएगा। रंजिता की दिलचस्पी समाज कार्य में है इसी वजह से जांच टीम से देश के प्रधानमंत्री पर सवाल उठाते हुए कहती हैं कि एक तरफ तो मोदी जी पर्यावरण दिवस पर देश की जनता को पेड़ लगाने की प्रेरणा देते हैं लेकिन आज आज़मग़ढ़ में हवाई अड्डा विस्तारीकरण के नाम पर हमारी खेती की ज़मीन को हड़प लिया जाएगा तब क्या पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा?

प्रधान प्रतिनिधि का बयान

नौजवान सुमन यादव जमुआ हरिराम की ग्राम प्रधान हैं वह बीमार थीं इसलिए उनसे जांच टीम की मुलाकात नहीं हो सकी लेकिन प्रधान प्रतिनिधि मनोज यादव से मुलाकात कर हमने पूछा कि भूमि अधिग्रहण से सम्बंधित क्या कोई सरकारी सूचना या पत्र पंचायत स्तर से उन्हें प्राप्त हुआ है ? उनका जवाब था कि ऐसे किसी पत्र या सूचना की जानकारी उन्हें नहीं है। प्रधान प्रतिनिधि ने अपनी बातचीत में महिलाओं के साथ हुए पुलिसिया उत्पीड़न की कड़ी निंदा की और न्याय की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि यदि विकास के लिए और अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए सरकार राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बनाना ही चाहती है तो किसी खुली और बंजर जमीन पर बनाये विस्तारीकरण कृषि योग्य भूमि पर नहीं होना चाहिए।

जमुआ हरिराम गांव में स्थानीय नागरिकों के सबसे प्रिय नेता राजीव यादव जिनकी जमीन आंदोलन को संगठित करने में मुख्य भूमिका है से जांच टीम ने सवाल किया कि जमीन आंदोलन का भविष्य कैसा है और क्या यह आज़मग़ढ़ की जनता का सवाल बन पा रहा है? राजीव कहते है कि सँयुक्त किसान मोर्चा आज़मग़ढ़ का तो पूरा समर्थन और सहयोग है साथ ही शहर के ही नही हमें पूर्वांचल के साथ साथ प्रदेश और देश भर के सामजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों का समर्थन और सहयोग केलिए हर रोज सन्देश प्राप्त हो रहा है यहां तक कि नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख नेता मेधा पाटकर और किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत आज़मग़ढ़ की ज़मीन आंदोलन को गति देने और  अपना समर्थन देने भी आ चुके हैं।

आंदोलन के संचालनकर्ता रामनयन यादव हैं। 13 अक्टूबर से अभी तक सफलतापूर्वक अनवरत चल रहे इस धरने को सुनियोजित करने में आपकी प्रमुख भूमिका है। जांच टीम द्वारा यह पूछने पर कि क्रमिक धरना प्रदर्शन से पुलिस प्रशासन पर क्या असर पड़ा है और आगे की रणनीति क्या होगी? रामनयन यादव का कहना था कि  13 अक्टूबर को पुलिस प्रशासन की ज्यादती की शिकार महिलाओं के गुस्से ने उन्हें गांव से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। तब से अब तक पुलिस दुबारा गांव में आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। 5 नवम्बर को कन्धरा एसएचओ की उपस्थिति यह जानने के लिए जरूर हुई थी कि धरने को आगे कौन से बड़े नेता सम्बोधित करने वाले हैं! वह कहते हैं कि आगे की रणनीति तो गांव वाले मिलकर बनाएंगे क्योंकि हम संविधान और लोकतंत्र में भरोसा रखते हैं। वह कहते हैं जमुआ हरिराम में जमीन आंदोलन की कमान महिलाओं के हाथ में है और उन्होंने न्याय न मिलने तक सँघर्ष जारी रखने का मन बना लिया है।

जांच टीम का निष्कर्ष

मंदुरी हावईअड्डा विस्तारीकरण परियोजना के कारण आज़मग़ढ़ के जमुआ हरिराम गांव में विगत 12 और 13 अक्टूबर को संविधान और कानून को ताक पर रखकर पुलिस और प्रशासन द्वारा आधी रात में गांव में घुसकर जमीन सर्वे के बहाने महिलाओं के साथ मार-पीट, चरित्र मूल्यांकन कर उन पर अश्लील टिप्पणी करना, गालियां देना महिलाओं का यौन उत्पीड़न करना है। जांच टीम की मांग है कि इस मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच हो और दोषियों पुलिसकर्मियों अधिकारियों पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाए।

मंदुरी हावईअड्डा विस्तारीकरण परियोजना के कारण 670 एकड़ में फैली कृषि योग्य भूमि, मकान, सड़क आदि जनउपयोगी संसाधन नष्ट हो जाएंगे इसलिए योगी सरकार की यह परियोजना जन विरोधी,महिला विरोधी और पर्यावरण विरोधी है । जांच टीम का मानना है कि सरकार के आर्थिक विकास का मॉडल नहीं बल्कि  मानव और पर्यावरण विनाश का मॉडल है। जांच टीम मांग करती है कि मंदुरी हावईअड्डा विस्तारीकरण परियोजना को जनहित में सरकार वापस ले।

जांच टीम के सदस्य

सेंटर फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) से डॉ मुनीज़ा रफ़ीक खान, ऐपवा से कुसुम वर्मा, गांव के लोग पत्रिका से अपर्णा श्रीवास्तव एवं घरेलू कामगार धनशीला देवी।

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