कुशीनगर में कर्जमाफी सम्मेलन को संबोधित करने जा रहे नेताओं को बीच रास्ते में प्रशासन ने किया गिरफ्तार

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लखनऊ। भाकपा (माले) ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा रविवार को कुशीनगर में कर्जमाफी सम्मेलन को संबोधित करने जा रहे नेताओं को बीच रास्ते गिरफ्तार कर लेने की कड़ी निंदा की है।

गिरफ्तार व्यक्तियों में जन संस्कृति मंच (जसम) के राष्ट्रीय महासचिव मनोज सिंह, किसान नेता शिवाजी राय, भाकपा (माले) राज्य स्थायी समिति सदस्य व अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) के प्रदेश सचिव राजेश साहनी व अन्य नेता शामिल हैं।

पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने आज बताया कि तमकुही तहसील के दुदही नगर पंचायत स्थित सुराजी बाजार में खेग्रामस की ओर से 12 जनवरी को कर्जमाफी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। दो हफ्ते से इसकी तैयारी व प्रचार चल रहा था। प्रशासन को भी रजिस्टर्ड डाक से लिखित सूचना भेजी गई थी।

इसके बावजूद सम्मेलन को रोकने के लिए तमकुही राज की पुलिस 10-12 की संख्या में रविवार रात 11 बजे कुशीनगर के भाकपा (माले) प्रभारी परमहंस सिंह के पांडेयपुर स्थित आवास पहुंची। घर की तलाशी ली। बीमार पत्नी के साथ अभद्रता की और माले नेता को धमकाया। इससे पहले दिन में थानाध्यक्ष ने फोन कर सम्मेलन न करने की बात की थी।

एसडीएम का रोक लगाने का आदेश लिखित में मांगने पर धमकी दी। इसी तरह बभनौली निवासी बिगु प्रसाद के घर भी रात में तीन बार पुलिस गई, नहीं मिलने पर गली-गलौज किया और धमकी दी। यही नहीं, गरीब लोगों की बस्तियों में भी पुलिस ने जाकर आतंकित किया और सम्मेलन में न जाने की बात कही।

सोमवार को सम्मेलन को संबोधित करने उक्त नेता दुदही जा रहे थे। उन्हें गुरवलिया (कुशीनगर) में पुलिस ने रोक कर गिरफ्तार कर लिया और 17 किमी दूर तमकुही राज लाकर एसडीएम कार्यालय में बैठा दिया गया।

खेग्रामस के कर्जमाफी सम्मेलन में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के कर्जों पर बात होनी थी। आरबीआई की गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित करने, असम सरकार की भांति उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी माइक्रो फाइनेंस द्वारा दिए गए गरीबों के कर्जे माफ करने, बिजली बिल सहित अन्य सभी प्रकार के कर्ज माफ करने एवं बिजली के निजीकरण का रोक लगाने की मांग सम्मेलन में पारित कराकर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, आरबीआई के क्षेत्रीय प्रबंधक सहित अन्य उच्च अधिकारियों के भेजने का कार्यक्रम था।

माले राज्य सचिव ने पुलिस की कार्रवाई को लोकतंत्र व अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ बताया। उन्होंने इसे अघोषित आपातकाल कहा। 

प्रशासन की घेरेबंदी के बावजूद सम्मेलन स्थल पर सैकड़ों ग्रामीण जुट गए और स्थानीय नेताओं की मौजूदगी में अपनी व्यथा सुनाई। उधर, गिरफ्तार नेताओं ने कहा कि आपातकाल जैसी स्थिति बनाकर जनता के वाजिब सवालों को रोका नहीं जा सकता। इसको लेकर आगे कार्यक्रम किया जाएगा और लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाया जाएगा। बाद में गिरफ्तार नेता रिहा कर दिए गए।

(भाकपा माले की ओर से जारी विज्ञप्ति..)

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