अवैध कब्जा हटाने की नोटिस के खिलाफ कोरबा के सैकड़ों ग्रामीणों ने निकाली पदयात्रा

Estimated read time 1 min read

कोरबा। अवैध कब्जा हटाने की नोटिस से आहत कोरबा निगम क्षेत्र के गंगानगर ग्राम के सैकड़ों ग्रामीणों ने भारी बारिश के बावजूद कल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, छत्तीसगढ़ किसान सभा और जनवादी महिला समिति के नेतृत्व में पदयात्रा निकाली। कोरोना महामारी के चलते हुए लॉक डाउन के कारण पुलिस ने इस पदयात्रा को बीच रास्ते में रोका, तो इसके विरोध में ग्रामीण सड़क पर चक्का जाम करके बैठ गए। एसईसीएल के अधिकारियों को पदयात्रियों के पास पहुंचकर ज्ञापन लेना पड़ा। इन अधिकारियों की उपस्थिति में ही ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से नोटिस दहन किया और बेदखली की किसी भी कार्रवाई के खिलाफ बड़े आंदोलन की चेतावनी दी। इन ग्रामीणों के संघर्ष को अपना समर्थन देते हुए आसपास के गांवों के प्रतिनिधियों ने भी पद यात्रा में हिस्सा लिया।

गौरतलब है कि गंगानगर एक पुनर्वास ग्राम है, जिसे वर्ष 1980 में एसईसीएल द्वारा ही बसाया गया था। तब घाटमुड़ा की हजारों एकड़ जमीन कोयला खदान के लिए अधिग्रहीत की गई थी और यहां के विस्थापित 75 परिवारों को 25 एकड़ का क्षेत्र बसाहट के लिए दिया गया था। उस समय ग्रामीणों ने आपसी सहमति से जमीन का बंटवारा कर लिया था। अब 40 साल बाद एसईसीएल इन विस्थापित परिवारों के घरों की चारदीवारी और सब्जी बाड़ी आदि को अवैध कब्जा बताते हुए बेदखली की नोटिस दे रहा है, जबकि ग्रामीण परिवारों की संख्या बढ़कर 200 से ज्यादा हो गई है। नोटिस पर अमल के बाद पुनः इन परिवारों के सामने गुजर-बसर और आवास की समस्या सामने आ जायेगी। ऐसे में कंवर आदिवासी बहुल इस गांव के लोगों ने अपनी भूमि से कब्जा न हटाने और बेदखली की किसी भी कार्यवाही के खिलाफ मिलकर लड़ने का फैसला किया है।

गंगानगर गांव से एक किमी चलने के बाद ही पदयात्रियों को पुलिस ने रोक लिया। पुलिस से झड़प के बाद विरोध स्वरूप सभी ग्रामीण सड़क पर ही धरना देकर बैठ गए और अपने गांव वापस लौटने से मना कर दिया। आवागमन रूकने से चक्का जाम की स्थिति पैदा हो गई। मजबूरन एसईसीएल के पर्सनल ऑफिसर वेंकटेश्वर लू और अमिताभ तिवारी नोटिस का जवाब लेने पहुंचे। ग्रामीणों ने इन अधिकारियों के सामने ही माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर और सुरती कुलदीप के नेतृत्व में नोटिस का सामूहिक दहन करते हुए बड़े आंदोलन की चेतावनी दे दी है।

माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कब्जा हटाने की नोटिस को ही अवैध करार देते हुए कहा है कि यह नोटिस पुनर्वास के नाम पर विस्थापित ग्रामीणों के साथ क्रूर मजाक और धोखा है। उन्होंने कहा कि विस्थापित घाटमुड़ा गांव के लोगों को सामूहिक रूप से 25 एकड़ रकबा देने के बाद इस जमीन पर एसईसीएल का कोई हक नहीं बनता कि किसानों को अवैध कब्जा हटाने की नोटिस दे। उन्होंने मांग की है कि जिस ग्रामीण परिवार की जितनी जमीन पर कब्जा है, उसे उतनी भूमि का अधिकार-पत्र दिया जाए और शेष भूमि पर अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत एसईसीएल बुनियादी मानवीय सुविधाओं का विकास करे।

माकपा के नेतृत्व में ग्रामीणों और एसईसीएल के अधिकारियों के बीच सहमति बनी है कि ग्रामीणों के कब्जे की पूरी भूमि का नाप-जोख करके नापी की एक प्रति विस्थापित परिवार को भी दी जाएगी। इसके पूर्व जिन शौचालयों को तोड़ा गया है, उसका भी सर्वे करके मुआवजा दिया जाएगा और लंबित नौकरियों का निराकरण जल्द किया जाएगा। ग्रामीणों ने इस सहमति पर काम न होने पर लॉक डाउन अवधि के बाद एसईसीएल मुख्यालय का घेराव करने की चेतावनी दी है।

पदयात्रा के इस कार्यक्रम का नेतृत्व माकपा नेता प्रशांत झा, धनबाई कुलदीप, मनोहर, जनक, माकपा के दोनों पार्षद राजकुमारी कंवर, सुरती कुलदीप, जनवादी महिला समिति की नेता तेरस बाई, देव कुँवारी, शशि, जानकुंवर, छग किसान सभा के नंदलाल कंवर, जवाहर सिंह कंवर, सुराज सिंह ,सत्रुहन दास, रामायण सिंह कंवर, संजय यादव, रघु, श्याम यादव, दीपक साहू व तपेश्वर तथा सीटू नेता रामपूजन यादव व अभिजीत आदि ने किया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author