लखनऊ। उत्तर प्रदेश की महिलाओं ने गुजरात में बिल्किस बानो के बलात्कारियों की रिहाई के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया है। लखनऊ में आयोजित इस विरोध कार्यक्रम में सैकड़ों महिलाओं ने शिरकत की। यह कार्यक्रम कई महिला संगठनों की अगुआई में हुआ।
इस मौके पर सरकार को दिए गए ज्ञापन में महिलाओं ने कहा कि “हम उत्तर प्रदेश के महिला, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन व जागरूक नागरिक गुजरात राज्य सरकार के इस अन्यायपूर्ण निर्णय के खिलाफ गुजरात सरकार के उस फैसले पर आक्रोश व्यक्त करते हैं जिसके तहत गुजरात राज्य सरकार ने क्षमा नीति के तहत 11 बलात्कारियों व हत्यारों को रिहा कर दिया। और यह काम उस दिन किया गया जब स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले से नारी शक्ति व नारी सम्मान की बात कर रहे थे”। गौरतलब है कि गुजरात दंगे में 5 महीने की गर्भवती बिल्किस बानो को इन बर्बर अपराधियों ने सामूहिक बलात्कार का शिकार बनाया और उनके परिवार के सात लोगों सहित 14 लोगों की हत्या कर दी थी।
बिल्किस की तीन साल की बेटी को गोदी से छीनकर ज़मीन पर कुचलकर मार दिया। सीबीआई की जांच के बाद 12, (एक की मौत हो गई) लोगों के खिलाफ पुख्ता सबूत के आधार पर उन्हें उम्र कैद की सजा हुई थी। उन्होंने आगे कहा कि “आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर ऐसे जघन्य अपराधियों को रिहा करना और उनका फूल मालाओं से स्वागत करना, हिंदुस्तान की महिलाओं के अपमान के साथ देश के हर संवेदनशील नागरिक का भी अपमान है। इस निर्णय ने बलात्कार पीड़िताओं के मनोबल को कमज़ोर किया है। बिल्किस ने इंसाफ़ के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी और अब पीड़िता व उनके परिवार के साथ पुनः नाइंसाफी हो गई। बिल्किस का परिवार आज भय और असुरक्षा के साये में जी रहा है” ।
इस मौके पर मौजूद महिलाओं ने गुजरात सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार ने उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी का और एक आवास का वायदा पूरा नहीं किया है। हम सभी संवेदनशील नागरिक गुजरात सरकार के इस फैसले से बहुत आहत और आक्रोशित हैं।
यह फैसला निश्चित रूप से दंगाइयों, हत्यारों व बलात्कारियों को एक विशेष समुदाय के खिलाफ किये गये अपराध को सरकार की मौन स्वीकृति देता है और अपराधियों को राजनैतिक संरक्षण भी देता है। उन्होंने कहा कि हम सभी लोग इस विरोध प्रदर्शन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से मांग करते हैं कि बिल्किस बानो मामले में हत्या और सामूहिक बलात्कार के दोषियों की सजा माफ करने के गुजरात सरकार के अमानवीय और दुस्साहसिक फैसले को रद्द कर देना चाहिए। हम सरकार से बिल्किस के परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग करते हैं ।
संगठनों ने इस मौके पर राजस्थान के जालौर में घटी मासूम बच्चे के साथ हैवानी घटना को भी उठाया। उन्होंने कहा कि हम आज़ादी के इस अमृतकाल में राजस्थान के जालौर में एक 9 साल के मासूम की जातिगत ज़हर के कारण हुई हत्या की सख्त निंदा करते हैं । हालांकि हत्यारा शिक्षक गिरफ्तार हो चुका है लेकिन आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी आये दिन आजाद हिंदुस्तान में इस तरह की घटनाओं का होना निश्चित रूप से हमारी सरकारों व समाज पर भी एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है।
उन्होंने कहा कि हम इस धरने के माध्यम से कहना चाहते हैं कि हमारा संविधान देश के हर व्यक्ति को जाति और धर्म के भेदभाव से मुक्ति देकर एक नागरिक का गरिमापूर्ण स्थान देता है लेकिन कुछ राजनीतिक स्वार्थी ताकतें हमारे देश में “मनुस्मृति” के सिद्धांतों को गौरवान्वित कर रही हैं। आज़ादी के 75 वर्षों बाद हमारे समाज में सामंती व्यवस्था की बर्बर मानसिकता को बढ़ाने का हर कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।
उनका कहना था कि हम सभी जागरूक नागरिक इस सामंती मानसिकता का सख़्त विरोध करते हैं ।
हम अपने विरोध प्रदर्शन के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय से बिल्किस के लिए इंसाफ की मांग करते हैं, तथा समाज में फैलाये जा रहे जातिगत ज़हर के खिलाफ लड़ाई का ऐलान करते हैं।
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)