प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) 11 महीने में भी कार्ति चिदंबरम के दिल्ली के जोरबाग स्थित बंगले को आईएनएक्स मीडिया से अर्जित आय से खरीदे जाने का कोई पुख्ता सबूत नहीं जुटा पायी है। ईडी पिछले पांच महीने से स्पष्ट निर्देश के बावजूद पीएमएलए अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष जवाब दाखिल नहीं कर सकी है। इससे इस आरोप को बल मिल रहा है की चिदंबरम परिवार पर राजनीतिक प्रतिशोध के तहत निशाने पर लिया गया है।
पीएमएलए अपीलीय न्यायाधिकरण ने चिदंबरम के जोर बाग के घर को खाली करने के ईडी के आदेश पर यथास्थिति कायम रखने के आदेश दिए हैं लेकिन कुर्की बरकरार रहेगी। न्यायाधिकरण ने कहा कि सीबीआई द्वारा कोई चार्जशीट दायर नहीं की गई है। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा है कि ऐसा कोई सबूत नहीं दिया गया है जिससे पता चलता हो कि कार्ति चिदंबरम के सह-स्वामित्व वाले जोर बाग हाउस को अपराध से अर्जित आय से खरीदा गया था। इस टिप्पणी को पी चिदंबरम और उनके परिवार के लिए अंतरिम राहत माना जा रहा है।
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने एक अगस्त को कार्ति को नोटिस जारी कर 10 दिनों में जोर बाग घर खाली करने को कहा था। 115-ए, ब्लॉक 172, जोर बाग के घर को ईडी द्वारा 10 अक्टूबर, 2018 को कुर्क किया गया था, और दावा किया गया था कि आईएनएक्स मीडिया मामले में ‘अपराध की आय’ से इसे हासिल किया गया था। कुर्की आदेश की पुष्टि पीएमएलए द्वारा प्राधिकृत अधिकारी ने इस मार्च में की थी।
पीएमएलए अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह ने ईडी को चिदंबरम की इस संपत्ति पर “यथास्थिति” बनाए रखने का निर्देश दिया है। 3 सितंबर को पारित अपने आदेश में अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा है कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे प्रदर्शित होता हो कि उक्त संपत्ति अपराध की आय से अर्जित की गई थी। ऐसा भी कोई सबूत नहीं है कि अपीलकर्ता (कार्ति चिदंबरम) द्वारा पीएमएलए कार्यवाही को विफल करने के लिए संपत्ति को बेचने की संभावना है। न्यायाधिकरण यह भी कहा है कि ईडी ने पांच महीने तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया जबकि न्यायाधिकरण ने 23 अप्रैल को निर्देश दिया था कि कार्ति के आवेदन पर छह सप्ताह के भीतर ईडी जवाब दाखिल करे।
हालांकि न्यायाधिकरण ने यह स्पष्ट किया कि जब तक कार्ति की अपील पर अपीलीय न्यायाधिकरण का फैसला नहीं हो जाता तब तक सम्पत्ति पर कुर्की का आदेश बना रहेगा। कार्ति के वकीलों ने आश्वासन दिया कि जबतक अपील लंबित है, कार्ति घर को नहीं बेचेंगे। आईएनएक्स मीडिया मामले में तिहाड़ जेल में बंद चिदंबरम को सीबीआई ने पिछले महीने उसी घर से गिरफ्तार किया था। न्यायाधिकरण ने कहा कि सीबीआई द्वारा कोई चार्जशीट दायर नहीं की गई है। अपीलकर्ता (कार्ति) के खिलाफ पीएमएलए के तहत कोई अभियोजन शिकायत दर्ज नहीं किया गया है। आदेश में कहा गया है कि कार्ति घर में केवल 50 फीसद अविभाजित शेयर के मालिक हैं जिसमें कार्ति की पत्नी और बेटी भी रहते हैं। कार्ति के पिता पी चिदंबरम और मां भी उसी घर में रहते हैं।
ईडी ने कार्ति चिदंबरम द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत का कड़ा विरोध किया था। ईडी के वकीलों ने दावा किया था कि एक बार पुष्टि आदेश (संलग्न संपत्ति का) पारित हो जाने के बाद अगला कदम अधिनियम की धारा 8 की उप-धारा 4 के प्रावधानों के तहत कब्जा लेने के लिए है। यह भी कहा गया कि जब तक मजबूत मामला नहीं बनता, कोई भी अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि ईडी ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के दिल्ली के जोरबाग स्थित बंगले को 10 अक्टूबर, 2018 को कुर्क किया था। ईडी ने दावा किया था कि आईएनएक्स मीडिया घोटाले में मिले पैसों से उन्होंने बेटे कार्ति चिदंबरम के साथ मिलकर देश और विदेशों में कई संपत्तियां खरीदी गयी थीं। ईडी ने पी. चिदंबरम को इस केस में बेटे के साथ सह आरोपी बनाया था। ईडी ने नई दिल्ली के जोरबाग स्थित जिस बंगले को कुर्क किया था,उसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए है। ईडी ने कार्ति की चेन्नई स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक की नुंगाबक्कम शाखा में एक फिक्सड डिपॉजिट खाते को भी सील कर दिया था। इस खाते में 9.23 करोड़ रुपये हैं। वहीं इसके अलावा डीसीबी बैंक में कार्ति की कंपनी एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के 90 लाख रुपये की एफडी को भी अटैच किया था। ईडी ने दावा किया था कि पीटर मुखर्जी ने एएससीपीएल को 3.09 करोड़ रुपये का भुगतान गलत तरीकों से जारी किए गए डेबिट नोट के जरिए किया था।
