नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र मामले में केंद्र से गवर्नर को दिए गए समर्थन के दोनों पत्र को कल सुबह 10.30 बजे तक कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है।कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार वह पत्र पेश करे जिसके आधार पर महाराष्ट्र की सरकार का गठन हुआ है। इसके पहले महाराष्ट्र मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शिवसेना और एनसीपी की तरफ से दायर इस याचिका की सुनवाई जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय बेंच कर रही थी। बेंच के बाकी दो सदस्यों में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अपना पक्ष रखा।
देवेंद्र फडनवीस के पक्ष का प्रतिनिधित्व एडवोकेट मुकुल रोहतगी कर रहे थे। जबकि शिवसेना और एनसीपी की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल थे।सिब्बल पूरे घटनाक्रम का विकास और तथ्य कोर्ट के सामने रखा। उन्होंने कहा कि सरकार के गठन में गवर्नर को विवेकाधिकार हासिल है। लेकिन उसका इस्तेमाल संविधान के नियमों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के तहत होना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि गवर्नर ने सीधे राजनीतिक पार्टी के निर्देश पर काम किया है। उन्होंने कहा कि यहां एक भी ऐसा पत्र नहीं है जिसमें बहुमत का दावा किया गया हो।
बीजेपी और कुछ निर्दलीय विधायकों की तरफ से खड़े हुए एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि गवर्नर को मुख्यमंत्री को नियुक््ति करने का अधिकार है और उसे कहीं भी चुनौती नहीं दी जा सकती है। यहां तक कि उसका कानूनी पुनरीक्षण भी नहीं हो सकता है। उन्होंने इस सिलसिले में आर्टिकल 361 का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि गवर्नर और राष्ट्रपति के फैसले को कहीं भी चुनौती नहीं दी जा सकती है।
याचिकाकर्ताओं ने महाराष्ट्र में गठित सरकार को असंवैधानिक करार दिया है। और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से 24 घंटे के भीतर नवनियुक्त मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस को अपना बहुमत साबित करने के लिए निर्देश देने की अपील की है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि ऐसा नहीं होने पर हार्सट्रेडिंग को बढ़ावा मिलेगी जो लोकतंत्र के लिए उचित नहीं होगा।
कोर्ट में कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चाह्वाण और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला भी मौजूद हैं।
इस बीच महाराष्ट्र में लगातार राजनीतिक घटनाक्रम तेज होता जा रहा है। उप मुख्यमंत्री बने अजित पवार बताया जा रहा है कि पवार के घर आए हुए हैं। इसके साथ ही एनसीपी ने 51 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र राज्यपाल को सौंपने के लिए पार्टी के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन भेजा है।

एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने प्रेस से कहा है कि अजित पवार को वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडनवीस सदन के फ्लोर पर बहुमत नहीं साबित कर पाएंगे। लिहाजा उनकी सरकार जानी तय है।
इसके पहले पवार को वापस लाने के लिए पार्टी के मुखिया शरद पवार ने अपने तीन नेताओं को अजित से मिलने के लिए भेजा था। लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला। यहां तक कि पवार की बेटी सुप्रिय सुले ने अजित पवार को भावनात्मक संदेश भेजा था जिसमें उन्होंने कहा था कि परिवार को टूटने से बचा लीजिए और घर वापस आ जाइये।