बिहार: 11 मार्च को माले ‘किसान दिवस’ के तौर पर मनाएगा सहजानंद सरस्वती की जयंती

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पटना। आगामी 11 मार्च, 2021 को ब्रिटिश दौर के कंपनी राज के खिलाफ किसानों के महान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती के अवसर पर पूरे राज्य में किसान दिवस मनाया जाएगा और तीनों किसान विरोधी कानूनों की वापसी की मांग पुरजोर तरीके से उठाई जाएगी। भाकपा-माले व अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर से इस रोज जिला मुख्यालयों पर स्वामी सहजानंद सरस्वती की तस्वीरों, उनकी उक्तियां और किसान आंदोलन के वर्तमान नारों की तख्तियों के साथ कंपनी राज के खिलाफ किसान मार्च व सभा का आयोजन किया जाएगा। उसी दिन बिहटा (पटना ग्रामीण) में जहां स्वामी सहजानंद सरस्वती का केंद्र था, मोदी शासन में लागू किए जा रहे अंबानी-अडानी के कंपनी राज के खिलाफ किसान सम्मेलन’ किया जाएगा, जिसे सीपीआई एमएल के महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य संबोधित करेंगे।

उक्त जानकारी आज पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए माले राज्य सचिव कुणाल ने दी। संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केडी यादव और राज्य सह सचिव उमेश सिंह भी शामिल थे।

माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि आज भगत सिंह की धरती पंजाब से लेकर सहजानंद सरस्वती की सरजमीं बिहार तक किसान आंदोलन का विस्तार हो रहा है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बिहार में हम लगातार आंदोलनरत हैं। तीन कृषि कानूनों, खासकर बिहार में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद व एपीएमसी कानून की फिर से बहाली के मुद्दे पर गांव के स्तर पर किसान पंचायत का कार्यक्रम किया जा रहा है, किसान पंचायतों का आयोजन आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों पर बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया बयान निंदनीय है। अब वे खुलकर किसानों के खिलाफ खड़े हो गए हैं। राज्य सचिव का कहना था कि प्रधानमंत्री ने संसद में अपने भाषण में छोटे किसानों पर खूब घड़ियाली आंसू बहाए लेकिन उनके बहुप्रचारित किसान सम्मान निधि योजना में भूमिहीन किसानों व बटाईदारों के लिए कोई प्रावधान नहीं है।

उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान उनकी पार्टी से जुड़े जनसंगठनों ने विधानसभा के समक्ष आंदोलन के कई कार्यक्रम बनाए हैं। जिसका विस्तृत ब्योरा देते हुए उन्होंने बताया कि (क) 26 फरवरी को रसोइया संगठन का प्रदर्शन (ख) 1 मार्च को छात्र-युवाओं का विधानसभा घेराव (ग) 3 मार्च को खेग्रामस का प्रदर्शन (घ) 5 मार्च को स्वयं सहायता समूह व जीविका कर्मियों का प्रदर्शन और (च) 16 – 17 मार्च को आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन। रोजगार को केन्द्र करते हुए विधायकों के नेतृत्व में 4 की संख्या में शिक्षा-रोजगार यात्रा 8 से 15 फरवरी तक पूरे राज्य में निकली हुई है। 1 मार्च के छात्र-युवाओं का ऐतिहासिक विधानसभा मार्च होगा।

कॉमरेड कुणाल ने कहा कि बिहार में आज अपराध-भ्रष्टाचार चरम पर है। कोरोना मामले में उद्घाटित घोटाले ने इस सरकार के घोर अमानवीय चरित्र का पर्दाफाश कर दिया है। सरकार इस बड़े घोटाले में छोटे अधिकारियों को निशाना बनाकर अपने को अन्य घोटालों की तरह पाक-साफ दिखलाने की कोशिश कर रही है। संस्थागत भ्रष्टाचार तो इस सरकार का बुनियादी चरित्र है। काफी बदनाम और नकारा साबित होने के बाद भी मंगल पांडेय को ही स्वास्थ्य मंत्री आखिर क्यों बनाया गया? यह सबका सवाल है। ऐसे नकारे मंत्री को अविलंब पद से हटाया जाना चाहिए और पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि असली खिलाड़ी भाग न सकें।

दारोगा अभ्यर्थी परीक्षा में भी फर्जीवाड़े का मामला प्रकाश में आया है। नल-जल योजना अथवा सरकार की अन्य दूसरी योजनाओं हों, उसमें भ्रष्टाचार आज चरम पर है।

‘सुशासन’ का दावा करने वाले नीतीश कुमार मेवालाल चैधरी जैसे भ्रष्ट व्यक्ति, जिन्हें जनदबाव में अविलंब पद से हटाया गया, के बाद गंभीर आरोपितों को फिर से मंत्री बना रहे हैं। 17 से अधिक मंत्रियों पर हथियारों का जखीरा रखने से लेकर हथियार चलाने तक के गंभीर आरोप हैं। जाहिर सी बात है कि आज बिहार को भाजपा व जदयू ने मिलकर पूरी तरह से अपराध का राज बना दिया है। माले ऐसे दागी मंत्रियों को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त करने की मांग करता है। उन्होंने उत्तराखंड हादसे में मारे गए बिहार के पीड़ित परिवारों के प्रति नीतीश सरकार की उदासीनता की भी आलोचना की।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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