झारखंड और महाराष्ट्र विधान सभाओं के चुनावों के बाद बिहार विधान सभा के चुनाव 2025 की शुरुआत में निर्धारित हैं। नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ( एनडीए ) में शामिल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू ) और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रा बाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के समर्थन से लोक सभा के 2024 के चुनावों के बाद भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) के नेता नरेंद्र मोदी भारत के फिर प्रधानमंत्री बन सके।
बिहार विधान सभा चुनाव में एनडीए की जीत के लिए नरेंद्र मोदी के इशारे पर चुनावी स्टंट शुरू हो गए हैं।
विशेष राज्य का दर्जा
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की नीतीश कुमार की केंद्र सरकार से पुरानी मांग है। नारा चंद्रा बाबू नायडू की भी केंद्र सरकार से आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की पुरानी मांग है। पर दोनों शायद भूल गए हैं कि भारत के संविधान में किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रावधान कश्मीर की विशेष स्थिति के कारण बना था।
हिंदुस्तान को ब्रिटिश हुक्मरानी से 14 और 15 अगस्त की आधी रात राजनीतिक आजादी मिलने के साथ ही उसके भूभागों का मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के पाकिस्तान के रूप में नए देश और हिन्दू बहुल क्षेत्रों के देश भारत के बीच बंटवारा कर दिया गया था।
ऐसे में मुस्लिम बहुल कश्मीर प्रिन्सली स्टेट पर पाकिस्तानी दावा से निपटने के लिए वहां के हिन्दू राजा हरि सिंह की सहमति से उसके भारत में विलय के समझौता के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए भारत के संविधान में संशोधन कर यह प्रावधान शामिल किया गया।
तब जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेस (जेकेएनसी) के संस्थापक शेख अब्दुल्ला उसके पहले मुख्यमंत्री बने थे। पर एनडीए सरकार में शामिल भाजपा की सरकार ने अपनी साम्प्रदायिक नीतियों से संसद से अधिनियम पास करवा कर भारत के संविधान से यह प्रावधान ही हटा दिया।
भाजपा की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को प्राप्त राज्य का दर्जा भी खत्म कर उसे हिन्दू बहुल डिवीजन के जम्मू , मुस्लिम बहुल डिवीजन के कश्मीर और अन्य ट्राइबल समुदायों के लोगों के बहुल डिवीजन के लद्दाख की तीन अलग यूनियन टेरिटरी में बांट दिया।
इसी वर्ष जम्मू कश्मीर विधान सभा के चुनावों में उसके मुख्यमंत्री रहे फारुख अब्दुल्ला और उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में इंडिया अलायंस की जीत हुई। एक बार फिर उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बन अपनी सरकार बना चुके हैं।
जम्मू- कश्मीर भारत का अकेला भू-भाग है, जहां के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला रहे उनके पुत्र फारुख अब्दुल्ला और उनके पोते उमर अब्दुल्ला की तीन पीढ़ी ने सत्ता की बागडोर संभाली है। जेकेएनसी जम्मू कश्मीर के फिर से पूर्ण राज्य का रुतबा प्राप्त कराने के साथ ही उसे भारत के संविधान के तहत विशेष राज्य का दर्जा चाहती है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रा बाबू नायडू और बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी अपने राज्य को भारत के संविधान के तहत विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए पहले जम्मू कश्मीर को यह दर्जा वापस दिलाना चाहिए। पर दोनों ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एयरपोर्ट और समुद्री पोर्ट के विस्तार की जैसी छोटी-छोटी सुविधाएं प्राप्त कर ही तृप्त नजर आते हैं।
बिहार में दर्जन भर नए एयरपोर्ट बनाने का स्टंट
केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने बिहार के चुनावों के पहले राज्य में नागरिक विमानों की सर्विस बढ़ाने करीब एक दर्जन एयरपोर्ट बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पटना में 14 हजार करोड़ रुपये की लागत से दूसरा एयरपोर्ट बनाने का काम शुरू किया जा रहा है।

यह एयरपोर्ट पटना से करीब 27 किलोमीटर दूर बिहटा कस्बा में भारतीय वायु सेना के बेस पर विकसित किया जा रहा है। इसके लिए भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने सशर्त अनुमति दे दी है।
शर्त यह है कि उसकी समुचित सुरक्षा के लिए सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्युरिटी फोर्स (सीआईएसएफ) और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स ( सीआरपीएफ ) के ही जवान और अधिकारी बिहार सरकार के खर्च से तैनात किए जाएं।
बिहार में मौजूदा एयरपोर्ट
बिहार की राजधानी पटना में 1973 में 254 एकड़ क्षेत्र में एयरपोर्ट बना था। उसका नाम बाद में जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल एयरपोर्ट कर दिया गया। वहां हर वर्ष करीब 25 लाख यात्री विमानों से आते-जाते हैं। बिहार के एक और शहर गया में 954 एकड़ क्षेत्र में फैले हवाई अड्डा को भी 2002 में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का दर्जा दे दिया गया।

यह एयरपोर्ट बौद्ध तीर्थस्थल बोधगया से करीब पांच किलोमीटर दूर है। भारत और चीन के बीच 1964 के युद्ध के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नहरु की सरकार के निर्देश पर देश के अन्य सीमावर्ती राज्यों की तरह बिहार के भी दरभंगा समेत सभी 17 जिला मुख्यालयों पर भारतीय वायु सेना के एयरपोर्ट बने थे।
इनका उपयोग प्रधानमंत्रियों और मुख्यमंत्रियों के आने जाने के लिए रक्षा मंत्रालय की विशेष अनुमति से किया जाता रहा है। बिहार में जिलों की संख्या 17 से बढ़ कर अब लगभग दोगुनी हो गई है पर नए एयरपोर्ट नहीं बने। बिहार के मुजफ्फरपुर , बेगूसराय, भागलपुर, मुंगेर, सहरसा, रक्सौल, बिहटा, पूर्णिया, गोपालगंज, बीरपुर, छपरा, कटिहार आदि जगह बने डिफेंस एयरपोर्ट बंद पड़े हैं।

दरभंगा डोमेस्टिक एयरपोर्ट
रक्षा मंत्रालय की अनुमति से दरभंगा डोमेस्टिक एयरपोर्ट से प्राइवेट एयर सर्विस 8 नवंबर 2020 से जारी है। इस एयरपोर्ट पर 30 विमानों के आने-जाने और रुकने के हैंगर के साथ 6 चेक इन काउंटर हैं।
इस एयरपोर्ट पर अभी यात्रियों की सुविधा के लिए प्रबंध बहुत ही खराब है। हाल में वहां नए पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग, कार्गो फेसिलिटी और एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर का निर्माण शुरू किया गया है। भारत भर की तरह बिहार के भी सभी हवाई अड्डों का संचालन एयरपोर्ट ओथोरिटी ऑफ इंडिया करता है।
बहरहाल, सभी जानते हैं कि एनडीए सरकार का रेल मंत्रालय भारत के अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी ट्रेनों का परिचालन ठीक से नहीं कर रहा है और आए दिन ट्रेन दुर्घटनाएं हो रही हैं और उनमें लोगों की जानें भी जा रही हैं।
ऐसे में देखना यह है कि केन्द्रीय नागरिक विमानन मंत्रालय बिहार में नए एयरपोर्ट बनवा, नई प्राइवेट एयर सर्विस शुरू करने के चुनावी स्टंट से एनडीए में शामिल जेडीयू , भाजपा और अन्य राजनीतिक पार्टियों के लिए कितने वोटरों को कैसे और कब तक लुभाते है।
(चंद्र प्रकाश झा अभी स्वतंत्र पत्रकार हैं और यूएनआई के मुंबई ब्यूरो से रिटायर होने के पहले सिविल एवीएशन विषय पर भी लिखते रहे हैं।)
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