मेरा रंग फाउंडेशन ने ‘समाज में भाषा और जेंडर’ पर आयोजित की संगोष्ठी, तसलीमा नसरीन ने पढ़ीं कविताएं 

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नई दिल्ली। मेरा रंग फाउंडेशन के 7 वर्ष पूरे होने पर साहित्य अकादमी सभागार, रवींद्र भवन में ‘समाज में भाषा और जेंडर’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर आयोजन की विशिष्ट अतिथि बांग्लादेशी मूल की प्रसिद्ध निर्वासित लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तसलीमा नसरीन ने अपने अंग्रेजी में अनूदित संग्रह ‘शेमलेस’ से कुछ बेहद झकझोर देने वाली कविताएं पढ़ीं। 

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने ‘हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स’ जारी की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य सुनवाई के दौरान असंवेदनशील शब्दों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाना था, जिन्हें स्टीरियोटाइप्ड कहा जाता है। गोष्ठी में इसी विषय पर विचार-विमर्श हुआ, ‘मेरा रंग फाउंडेशन’ का उद्देश्य है कि भाषा में भेदभाव और स्त्री तथा अन्य लैंगिक समुदायों के प्रति पूर्वाग्रह को मिटाने के लिए समाज में जागरूकता फैलाई जाए। 

कार्यक्रम की शुरुआत में मेरा रंग फाउंडेशन की संस्थापक शालिनी श्रीनेत ने मेरा रंग की एक साल की गतिविधियों के बारे में बताया, उन्होंने बताया कि संस्था ने ‘रंग सार्थक’ के नाम से गोरखपुर में एक प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके अलावा ‘किताबों के रंग’ शीर्षक से इवेंट की एक शृंखला भी आरंभ की जाएगी। 

कवयित्री अनामिका।

हिंदी की ख्यातिलब्ध कवयित्री तथा अंग्रेजी की प्रोफेसर अनामिका ने भाषा तथा साहित्य के संदर्भ में लैंगिक पहचान तथा स्त्री की अस्मिता पर अपनी बात रखी। उन्होंने अपनी एक कविता का पाठ भी किया। वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने अपने संबोधन में बताया कि हिंदी पत्रकारिता की भाषा में जेंडर के प्रति संवेदनशीलता में किस तरह समय के साथ परिवर्तन आया है। 

लेखक और सोशल एक्टिविस्ट मोहिनी सिंह ने नारीवाद, जेंडर, इंटरसेक्शनलिज़्म के दृष्टिकोण से समाज में भाषा के इस्तेमाल पर अपनी बात रखी। सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता श्रद्धा सक्सेना जो मेरा रंग फाउंडेशन की लीगल टीम से भी जुड़ी हुई हैं, ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के पीछे की पृष्ठभूमि पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। ट्रांसजेंडर और NBCFDC, भारत सरकार में सलाहकार सिमरन ने अलग लैंगिक पहचान और भाषा पर अपनी बात रखी। जाने-माने कथाकार विवेक मिश्र ने ‘समाज में भाषा और जेंडर’ विषय को प्रस्तुत किया और पूरे सत्र का संचालन किया। 

वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव।

इस वर्ष का ‘रंग साहस का सम्मान 2023’ युवा पर्वतारोही प्रिया कुमारी को दिया गया। जानी-मानी लेखिका गीताश्री ने प्रिया कुमारी का परिचय दिया। प्रिया उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले की निवासी हैं। ग्रेजुएशन तक की शिक्षा पूरी की हैं, फिर गांव कनेक्शन फाउंडेशन के साथ काम किया। प्रिया की बचपन से ही खेलकूद में दिलचस्पी थी और बाद में उनकी रुचि पर्वतारोहण में हुई और उन्होंने इसमें प्रशिक्षण लेना आरंभ किया। बचपन में माता-पिता से बिछड़ जाने के बाद बहुत विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने यह सफलता हासिल की। प्रिया को यह पुरस्कार कवयित्री अनामिका की तरफ से दिया गया। 

कार्यक्रम का संचालन युवा साहित्यकार वैभव श्रीवास्तव ने किया। कवयित्री, किस्सागो और आर्टिस्ट एकता नाहर जो ‘रंगसाजी’ की फाउंडर हैं, की तरफ से अतिथियों को उपहार दिया गया। ‘द कोट स्टोर’ के आशीष ने मेरा रंग के सुंदर थैले दिए। ‘रचयिता द क्रिएटर’ फेसबुक समूह के पीयूष और ‘सिम्स हॉस्पिटैलिटी’ के बिलाल अजीम का विशेष सहयोग रहा। लेखक व पत्रकार दिनेश श्रीनेत ने अंत में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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