नई दिल्ली। सीबीआई ने 28 जुलाई के सड़क दुर्घटना मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ हत्या के मुकदमे को रद्द कर दिया है। एजेंसी ने अपनी चार्जशीट में उससे जुड़ी धाराओं को वापस ले लिया है। इस घटना में उन्नाव की बलात्कार पीड़िता और उसके वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे जबकि उसकी दो चाचियों की मौत हो गयी थी। ये सभी कार से रायबरेली जा रहे थे तभी रास्ते में सामने से आ रही ट्रक ने टक्कर मार दी थी।
इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से आयी रिपोर्ट में बताया गया है कि लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में दाखिल चार्जशीट के मुताबिक सीबीआई की जांच में यह पाया गया कि घटना लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते हुई थी।
गाड़ी में सवार लोग जेल में बंद पीड़िता के चाचा से मिलने के लिए रायबरेली जा रहे थे कि तभी गुरुबक्सगंज पुलिस स्टेशन इलाके में उनकी कार हादसे का शिकार हो गयी। उसके बाद से ही सेंगर जेल में बंद है।
मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सेंगर समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। जिसमें सेंगर के अलावा उसके भाई महेश सिंह सेंगर और ट्रक ड्राइवर आशीष कुमार पाल शामिल थे। दूसरे आरोपियों में शशि सिंह जो बलात्कार मामले में सह अभियुक्त है, के पति हरपाल सिंह और उसका बेटा नवीन सिंह शामिल हैं।
सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौर ने प्रेस को बताया कि “आज (कल) सीबीआई ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और ड्राइवर आशीष कुमार पाल समेत 11 लोगों के खिलाफ लखनऊ के स्पेशल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने चार्जशीट दाखिल किया। इनमें 10 वो लोग शामिल हैं जिनके खिलाफ पीड़िता के चाचा ने एफआईआर दर्ज की थी। इन दस लोगों के खिलाफ धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 506 (2) (धमकाने के लिए सजा) के तहत केस दर्ज किया गया है।”
ट्रक ड्राइवर आशीष कुमार के खिलाफ चार्जशीट में लापरवाही से गाड़ी चलाने और गंभीर रूप से चोट पहुंचाने और रैश ड्राइविंग से जुड़ी धाराएं लगायी गयी हैं। ये ऐसी धाराएं हैं जो सामान्य दुर्घटना की हालत में किसी के खिलाफ लगायी जाती हैं। यहां तक कि ड्राइवर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या तक की धारा नहीं लगायी गयी है। इस लिहाज से न केवल सेंगर बल्कि ड्राइवर को भी बचा लिया गया है।
यह एफआईआर रेप पीड़िता के चाचा की शिकायत पर दर्ज की गयी थी। जिसमें उन्होंने एमएलए सेंगर के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था। और इसी तरह के केस बाकी आरोपियों पर भी लगे थे।
पीड़िता के चाचा ने एफआईआर में कहा था कि उसका परिवार जिसमें उनकी पत्नी भी शामिल थीं और जिनकी इस हादसे में मौत हो गयी, उनसे कहा करती थीं कि सेंगर और उसके आदमी लगातार उन्हें धमकियां देते रहते हैं। और ये सभी उनसे कोर्ट में अपने बयान को बदलने के लिए कहा करते थे।
चाचा ने कहा था कि आरोपियों ने उन्हें इस बात की धमकी दी थी कि उसके परिवार की सड़क हादसे में हत्या कर दी जाएगी अगर वो किसी समझौते में नहीं जाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि एमएलए के आदमी उनके परिवार को फोन पर जबरन एमएलए से बात करने के लिए दबाव डालते थे। 30 जुलाई को मामला दर्ज होने के बाद सीबीआई ने केस को अपने हाथ में ले लिया था।
आपको बता दें कि इसी साल जुलाई में उन्नाव की एक कोर्ट ने पीड़िता को चाचा को 2010 के एक हत्या के प्रयास के मुकदमे में 10 साल की सजा सुनायी थी।
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