जैकब जुमा के नाम से शायद ही बहुतायत भारतीय परिचित हों, जैकब जुमा कौन थे, क्या थे, इन्होंने ऐसा क्या किया कि आज इनकी तुलना नरेन्द्र मोदी से होने लगी है? आइए, विस्तार से समझते हैं।
जैकब जुमा दक्षिण अफ्रीका के एक समय के बहुत लोकप्रिय राष्ट्रपति थे जो आजकल जेल में है। अब आपके दिमाग में सवाल आएगा की लोकप्रियता से जेल का क्या वास्ता है।
जब कोई भी व्यक्ति अपने देश में बहुत लोकप्रिय हो जाता है और अगर वह सत्ताधीश है, तो कुछ समय बाद वह अपने को ईश्वर समझने की भूल करने लगता है, उसे लगने लगता है वही देश का मालिक है और तमाम संसाधनों पर उसी का हक है, वह चाहे तो इसका खुद दोहन कर सकता है या दूसरों से दोहन करवा सकता है।
कुछ ऐसा ही जैकब जुमा ने किया, अपने भारतवंशी मित्र गुप्ता बंधुओं को दक्षिण अफ्रीका के बंदरगाह, एयरपोर्ट, बिजली, खेती की जमीन, रेल, मीडिया मतलब कि पूरे दक्षिण अफ्रीका के संसाधन सौंप दिये। अब सवाल आता है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया! जैकब जुमा जब अपने राष्ट्रपति पद की ओर अग्रसर थे यानि चुनाव के दौर में थे तो इन गुप्ता बंधुओं (जोकि 1991 में भारत से (सहारनपुर,उत्तर प्रदेश) से दक्षिण अफ्रीका कारोबार के सिलसिले में गये थे।) ने इनकी बड़ी मदद की थी।
यहां तक कि मदद ही नहीं की बल्कि जुमा़ के परिवारजनों को अपनी कंपनियों में उच्च पदों पर आसीन कर साझीदार भी बनाया। जिसका गुप्ता बंधुओं को यह फायदा हुआ कि जैकब जुमा़ के राष्ट्रपति बनने के बाद गुप्ता बंधुओं का दक्षिण अफ्रीका के कारोबार पर एकाधिकार हो गया।
लेकिन कुछ वर्षों के बाद जैकब जुमा और गुप्ता बंधुओं के नापाक गठबंधन का भांडा फूटता है और देश में विरोध होता है तब अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के अंदर विरोध उपजने के कारण जैकब जुमा को राष्ट्रपति पद छोड़ना और जेल जाना पड़ता है। गुप्ता बंधु रातों-रात दक्षिण अफ्रीका छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात पहुंच जाते हैं| आजकल इन गुप्ता बंधुओं पर इंटर पोल की रेड कार्नर नोटिस है। लेकिन वह मजे से अपना जीवन दुबई से लेकर अबु धाबी में जी रहे हैं।
ऐसा ही कुछ आजकल भारत में भी हो रहा है। 2014 में अडानी के विमान में उड़कर नरेंद्र मोदी अपने प्रधानमंत्री बनने के सपने को पूरा करते हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद वही जैकब जुमा माडल को अपना कर अडानी को भारत के एयरपोर्ट, बंदरगाह, कोयला, बिजली, मीडिया, रेल, कंटेनर, खाद गोदाम, खेती की जमीनें देते जा रहे हैं|
भारत की जनता के पैसे पर चलने वाली भारतीय स्टेट बैंक और एल.आई.सी से हजारों करोड़ रुपये अडानी को दिलवाने का काम कर रहे हैं।
नरेंद्र मोदी ने एक कदम आगे बढ़कर आस्ट्रेलिया में कोयला खदान, बांग्लादेश में बिजली बेचने का समझौता, श्रीलंका में बिजली कारोबार, इजरायल का बंदरगाह अडानी को दिलवाने में अहम भूमिका निभाई।
वह तो हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण अडानी के नापाक बिजनेस का भांडाफोड़ हुआ कि कैसे बेनामी कंपनियों के माध्यम से गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने मॉरीशस, सिंगापुर, दुबई अन्य टैक्स हेवन देशों से कैसे अडानी ग्रुप के शेयरों में निवेश कर, छद्म तरीकों से शेयर के दाम बढ़ाकर छोटे निवेशकों को इनके शेयर खरीदने को लालायित किया गया।
इन्हीं आर्थिक अपराधों के कारण जब अडानी के शेयर गोता खाने लगे तब करोड़ों निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये डूब गये, यहां तक कि एल.आई.सी के 50,000 करोड़ रुपये डूब गये।
एक समय जो गौतम अडानी दुनिया के दूसरे नंबर के अमीर बन गये थे, वह आजकल तीसवें नंबर पर आ गिरे हैं। नरेंद्र मोदी के कृपा और संरक्षण के कारण गौतम अडानी ने 2013-14 में 600वें नंबर के अमीर व्यक्ति से जनवरी 2023 तक विश्व के दूसरे नंबर के अमीर व्यक्ति बनने का सफर पूरा किया।
संसद में अडानी कांड पर विपक्ष के विरोध और मांग के बावजूद सरकार जेपीसी बनाने को राजी नहीं हुई। अंततः सुप्रीम कोर्ट ने एक जांच कमेटी गठित की है जो इस पूरे अडानी कांड की जांच करेगी। इस कमेटी की निगरानी सुप्रीम कोर्ट करेगी।
आशा है कि दक्षिण अफ्रीका के जैकब जुमा की तरह भारत में भी मोदी का तिलिस्म टूटेगा जरूर।
(प्रबल प्रताप शाही किसान नेता एव राजनीतिक विश्लेषक हैं।)
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