कोवैक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीन के ट्रायल रिपोर्ट के संदर्भ में केंद्र की नरेंद्र मोदी द्वारा 9 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट में ‘महामारी के दौरान आवश्यक आपूर्ति के वितरण और सेवाओं’ के संदर्भ में दायर किये गये हलफनामे में ‘B.1.617.2’ वैरियंट को ‘इंडियन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन’ बताया है। सवाल उठता है कि जब भारत में तबाही मचाने वाले कोरोना वैरियंट का नाम ‘B.1.617.2’ है तो भारत सरकार ने अपने हलफनामे में वायरस के डबल म्यूटेंट वैरियेंट को ‘इंडियन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन’ बताया है। क्या मोदी सरकार ने देश को बदनाम करने के इरादे से कोरोना के डबल म्यूटेंट स्ट्रेन को इंडियन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन बताया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करके इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में ‘इंडियन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन’ शब्द का इस्तेमाल किया है। और वो दुनिया को बताते हैं कि नहीं। सरकार अपने आधिकारिक संचार में यूके, वैरियंट, ब्राजील वैरियंट आदि शब्दों का भी इस्तेमाल करती है।
कांग्रेस युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री निवास बी वी ने लिखा है- “सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके आधिकारिक रूप से ‘इंडियन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन’ शब्द का इस्तेमाल किया है। अब भाजपा नेताओं के प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ़ एफआईआर करना चाहिये था, कि उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेता के ख़िलाफ़ किया है।”
गौरव पंधी नामक ट्विटर ने लिखा है– “लिखते हैं दुनिया की कोई भी सरकार इतनी अनभिज्ञ और अक्षम है कि किसी वायरस का नाम अपने देश के नाम पर रख दे। शर्मनाक!”
‘इंडियन वैरियंट’ शब्द पर सवाल उठाने पर कमलनाथ पर केस
मध्य प्रदेश पुलिस ने 23 मई रविवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ पर कोरोना वायरस को ‘कोरोना का भारतीय वैरिएंट’ कहकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाकर उनके खिलाफ़ FIR दर्ज़ किया है। गौरतलब है कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की गई उनकी टिप्पणी को आधार बनाकर भाजपा नेताओं ने कमलनाथ के खिलाफ़ पुलिस में शिकायत दी थी। मंत्री विश्वास सारंग के अलावा शिक़ायत करने वालों में विधायक कृष्णा गौर, रामेश्वर शर्मा, सुमित पचौरी और आलोक शर्मा आदि शामिल हैं। इन भाजपा नेताओं ने अपनी शिकायत में कहा है कि कमलनाथ ने देश के सम्मान को हानि पहुंचाई है और ऐसी टिप्पणी करना राष्ट्रद्रोह के बराबर है। उनके कारण देश को छवि को नुकसान हुआ है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा था कि- “ये बहुत दुख की बात है कि भारत किस तरह पूरे विश्व में बदनाम हो रहा है। ये चीन का वायरस था। आज पूरे विश्व में सबने नाम लिख दिया है कि इंडियन वैरिएंट कोरोना। कई राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री इस नाम से पुकार रहे हैं- इंडियन वैरिएंट। हमारे जो स्टूडेंट हैं, जो बाहर नौकरी कर रहे थे वो बाहर नहीं जा पा रहे हैं क्योंकि आप इंडियन हैं।”
इसके अलावा कमलनाथ ने कोरोना से निपटने में मध्य प्रदेश सरकार की रणनीति पर सवाल उठाया था। उन्होंने सरकार पर मौत के आंकड़े छुपाने का आरोप लगाते हुये कहा था कि- “जब मैंने कहा था कि 1.27 लाख अंतिम संस्कारों में से 80 प्रतिशत लोग कोरोना से मरे थे। अगर सरकार इससे सहमत नहीं है तो वो असली आंकड़े सामने क्यों नहीं लाती। उज्जैन में मैंने कहा था कि मेरा भारत महान की जगह मेरा भारत बदनाम हो गया क्योंकि कई राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री इसे इंडियन कोरोना कह रहे हैं। यह FIR हताशा का नतीजा है। जो सवाल पूछ रहा है उसे देशद्रोही बताया जा रहा है।”
नरेंद्र मोदी ने ‘B.1.617.2’ को बताया था धूर्त, बहरुपिया
20 मई गुरुवार को पीएम मोदी ने हरियाणा, केरल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पुडुचेरी, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के डीएम के साथ ऑनलाइन बैठक में कोरोना वायरस को ‘बहुरुपिया’ और ‘धूर्त’ कहा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस को बहुरुपिया और धूर्त करार देते हुए कहा कि यह अपना स्वरूप बदलने में माहिर है जो बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने वाला है।
कोरोना के ‘B.1.617.2’ वैरियेंट में जिन खूबियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिनाया था कमोवेश वो सारी ख़ूबियां खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में भी हैं। वो भी अपना स्वरूप बदलने में माहिर हैं। अभी हाल ही में बंगाल चुनाव में उनका टिपिकल बंगाली लुक लोगों ने देखा ही है। इसके अलावा वो मौका देख कर रोने, हँसने, गुस्सा दिखाने जैसे तमाम भावों को साधन में सिद्धहस्त हैं। और सबसे बड़ी बात की उन्होंने भी कोरोना के ‘B.1.617.2’ वैरियेंट की तरह सबसे ज़्यादा युवाओं और बच्चों को प्रभावित किया है।
कोरोना के ‘B.1.617.2’ वैरियेंट को ‘मोदी स्ट्रेन’ क्यों न कहा जाये
कोरोना की दूसरी लहर में देश में जो तबाही मची है, जो मौतें हुयीं है, लाखों परिवारों ने अपने परिजन खोयें हैं, इलाज के लिये लाखों परिवार भारी कर्ज़ में डूबे हैं उसके लिये कौन जिम्मेदार है? ‘B.1.617.2’ वैरियंट या खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार?
गौरतलब है कि INSACOG के शोधकर्ताओं ने पहली बार फरवरी महीने की शुरुआत में B.1.617 का पता लगाया था। दरअसल केंद्र की मोदी सरकार ने ‘B.1.617.2’ वैरियेंट को लेकर केंद्र सरकार द्वारा बनाये गये वैज्ञानिक फोरम INSACOG के चेतावनी को जानबूझकर नज़रअंदाज कर दिया। जिससे B.1.617.2 को अपना पांव पसारने में बड़ी मदद मिली।
गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा स्थापित वैज्ञानिकों की एक सलाहाकर समिति ने मार्च की शुरुआत में ही कोरोना वायरस के एक नए और अधिक संक्रामक वैरिएंट की चेतावनी देते हुये बताया था कि कोरोना का नया वैरियंट कहर बरपाने वाला है। साथ ही विशेषज्ञों ने सख्त कदमों, मेडिकल सप्लाई बढ़ाने और लॉकडाउन लगाने की बात भी कही थी। लेकिन पहले तो मोदी सरकार के स्वास्थ मंत्रालय ने INSACOG की रिपोर्ट को लंब समय तक दबाये रखा फिर 24 मार्च को स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस कान्फ्रेंस में देश में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन मिलने की बात कही, लेकिन बयान में कही भी ‘बहुत चिंताजनक’ शब्द, INSACOG की चेतावनी और सलाह का जिक्र नहीं किया।
27 मार्च से शुरु हुये पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र वैज्ञानिक फोरम की सलाह को नज़रअंदाज कर दिया गया। जिसकी परिणति ये है कि भारत इन दिनों कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के कारण अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है। और सिर्फ़ अप्रैल महीने में भारत में 45,863 लोगों की कोरोना से मौत हुयी जबकि 66,13,641 कोविड केस अप्रैल महीने में दर्ज़ किये गये। आलम ये है कि अस्पतालों से लेकर श्मसानों तक में जगह नहीं है, हर जगह वेटिंग लाइन लगी हुयी है। न पर्याप्त ऑक्सीजन है, न रेमडिसविर जैसी एंटी वायरल इंजेक्शन, न ही बेड, न वेंटिलेटर। और भारत को दुनिया भर के 40 से अधिक देशों से ऑक्सिजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन और वेंटिलेटर के लिये मदद लेनी पड़ी।
INSACOG की चेतावनी के बावजूद केंद्र सरकार ने वायरस के प्रसार पर रोक लगाने के लिए कोई बड़ी पाबंदी लागू नहीं की। हजारों की संख्या में लोग बिना मास्क लगाए धार्मिक कार्यक्रमों और राजनीतिक दलों की रैलियों में शामिल होते रहे। कुम्भ मेले का आयोजन किया गया और विज्ञापन देकर लाखों लोगों को मेले में बुलाया। मार्च अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेता और विपक्षी राजनेताओं द्वारा आयोजित धार्मिक त्योहारों और राजनीतिक रैलियों में लाखों लोग शामिल हुए। जिससे कोरोना वायरस का B.1.617.2 वैरियेंट को अधिक से अधिक लोग को संक्रमित करने में सहूलियत हासिल हुयी।
देश में अस्पताल, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, दवाइयों के लिये मोदीस्ट्रेन जिम्मेदार है या डबल म्यूटेंट स्ट्रेन
देश में 01 अप्रैल से 30 मई 2021 के बीच सिर्फ दो महीने में सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 1,63,045 लोगों की मौत हुयी है जबकि अनाधिकृत या छोड़ दिये गये आंकड़ों को जोड़ा जाये तो ये आंकड़ा कई गुना बढ़ जायेगा।
इलाहाबाद के पवन यादव कहते हैं- “कहने को तो देश में लोगों की मौत कोरोना से हुयी। लेकिन देश में ऑक्सीजन की कमी, बेड और वेंटिलेटर की कमी से मौतें हुयी हैं। जीवनरक्षक दवाइयों की कमी से लोग मरे हैं। लोग इसलिये मरे हैं क्योंकि उन्हें इलाज नहीं मिला। तो क्या इसके लिये डबल म्यूटेंट स्ट्रेन जिम्मेदार है? नहीं इसके लिये मोदी सरकार जिम्मेदार है। लोगों को कोरोना स्ट्रेन ने नहीं बल्कि मोदी स्ट्रेन ने मारा है।
दिल्ली के रंगकर्मी अवधू आज़ाद कहते हैं- “सरकार ने कुम्भ का आयोजन किया। सूबे का मुख्यमंत्री बोला गंगा मइया में नहाने से कोरोना नहीं होगा। देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री रोड शो और रैलियां करते रहे। लाखों लोगों को लालच देकर रैलियों और रोड शो में बुलाया गया। तो संक्रमण अपने से तो फैला नहीं इन्हें धार्मिक आयोजनों, सांस्कृतिक समाजिक आयोजनों और चुनावी रैलियों से फैलाया गया। तो फैलाने वाले जिम्मेदार हैं। डबल म्यूटेंट स्ट्रेन को लोगों को संक्रमित करने का मौका देने वाले जिम्मेदार हैं। मोदी स्ट्रेन जिम्मेदार है।
पत्रकार नित्यानंद गायेन कहते हैं- “कोरोना महामारी की पहली लहर में लोगों, कंपनियों, संगठनों, विदेशी संस्थाओं ने पीएम केयर्स में ख़ूब दान किया। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस पैसे का हिसाब देने, उसका ऑडिट कराने के बजाय उस पर सांप की तरह कुंडली मारे बैठे रहे। पीएम केयर्स का पैसा लोगों के लिये मेडिकल सुविधायें जुटाने के लिये नहीं किया गया। जो थोड़ा बहुत खर्च भी किया गया तो भाजपा नेताओं के मित्र पराक्रम सिंह जुनेजा जैसे व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिये किया गया। ज्योति सीएनसी कंपनी निर्मित ‘धामन1’ अंबू बैग को वेंटीलेटर कहकर खरीदा गया। जिससे लोगों की मौत हुयी।”
गृहिणी माही पांडेय कहती हैं- “कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के बीच में मोदी सरकार को तैयारी करने के लिये चार महीने का वक़्त मिला था लेकिन सरकार ने उस समय और संसाधन का इस्तेमाल कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिये अस्पताल खड़ा करने, बेड वेंटिलेटर, जीवन रक्षक दवाईयां, ऑक्सीजन कारखाने, सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेशन मशीन जुटाने के बजाय चुनावी तैयारी और राम मंदिर के लिये चंदा जुटाने में खर्च कर दिया। कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना ने नहीं मोदी स्ट्रेन ने मारा है लोगों को।”
सरकार ने कहा WHO ने B.1.617.2 को भारतीय वैरियेंट के रूप में नहीं किया वर्णित
12 मई को केंद्र सरकार ने कहा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने B.1.617 को वैश्विक चिंता के एक प्रकार के रूप में वर्गीकृत किया है, मगर कई मीडिया रिपोर्टों ने इस वेरिएंट को ‘भारतीय वैरिएंट’ कहा है, जो कि पूरी तरह से गलत है और निराधार है। बता दें कि भारत में अभी जिस वैरिएंट का कहर दिख रहा है, वह ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के वेरिएंट के बाद कोरोना का चौथा प्रकार माना जाता है।
इस वायरस को डबल म्यूटेंट के नाम से भी जाना जाता है, जो शरीर में एंटीबॉडीज को खत्म कर देता है। एक बयान में केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने दस्तावेज में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन यानी कोरोना वायरस के B.1.617 प्रकार को ‘भारतीय वेरिएंट’ के रूप में वर्णित नहीं किया है। डबल म्यूटेंट वायरस का पता पहली बार 05 अक्टूबर, 2020 को चला। हालांकि, उस वक्त भारत में इतना व्यापक नहीं था।
बता दें कि ऐसी खबर थी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को कहा कि भारत में कोरोना के जिस वैरिएंट के कारण स्थिति बिगड़ी है, वह दुनिया के दर्जनों देशों में पाया गया है। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि कोरोना का B.1.617 वेरिएंट बीते साल अक्टूबर महीने में भारत में पाया गया था। अब यह वेरिएंट WHO के सभी 6 क्षेत्रों के 44 देशों में पाया गया है।
भारत के बाहर ब्रिटेन में सबसे ज्यादा इस वैरिएंट के मामले सामने आए हैं। इस सप्ताह के शुरू में WHO ने B.1.617 की घोषणा की जो कि अपने म्यूटेशन और विशेषताओं के कारण ‘चिंताजनक’ के रूप में गिना जाता है। इसलिए इसे पहली बार ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में कोविड -19 के तीन अन्य वैरिएंट वाली सूची में जोड़ा गया था।
गौरतलब है कि हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन के जारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना वायरस का B.1.617 वैरिएंट अब दुनिया के 53 देशों में फैल चुका है। WHO के अनुसार B.1.617 की तीन सब कैटेगरी बन चुकी है। B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3 विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि दुनिया के किन-किन देशों में ये वायरस पाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक B.1.617.1 प्रकार दुनिया के करीब 41 देशों में B.1.617.2 प्रकार 54 देशों में जबकि B.1.617.3 प्रकार छह देशों में अब तक मिल चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को कोरोना के B.1.617.1 और B.1.617.2 के मामलों के बारे में चीन समेत करीब 11 देशों ने जानकारी दी है।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने B.1.617 को ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ की श्रेणी में यानी कि चिंता की श्रेणी में रखा है और कहा है कि ये तेजी से फैलता है। WHO की जांच के दौरान पता चला है कि इनकी अनुवांशिक संरचना में कुछ बदलाव हुए हैं। इसकी वजह से इनका प्रभाव भी अधिक है।
केजरीवाल द्वारा ‘सिंगापुर वैरिएंट’ बोलने पर पर मचा था बवाल
18 मई को ट्वीट करके केजरीवाल ने भारत सरकार से एक्शन लेने की अपील करते हुये अपने ट्विटर एकाउंट पर लिखा कि– “सिंगापुर में आया कोरोना का नया रूप बच्चों के लिए बेहद ख़तरनाक बताया जा रहा है, भारत में ये तीसरी लहर के रूप में आ सकता है।”
केजरीवाल के बयान का सिंगापुर समेत भारत के विदेश मंत्रालय तक ने विरोध किया था। सिंगापुर के उच्चायुक्त ने प्रतिक्रिया देते हुये कहा था- “इस बात में कोई सच्चाई नहीं कि सिंगापुर में कोविड का कोई नया स्ट्रेन मिला है। सिंगापुर में फाइलोजेनेटिक टेस्ट में मिला B.1.617.2 वैरिएंट बच्चों सहित कोरोना के ज़्यादातर मामलों में प्रबल है।”
केजरीवाल के बयान पर सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी एक बयान जारी करके कहा था- “रिपोर्ट्स में मिले दावों में कोई सच्चाई नहीं है। सिंगापुर वैरिएंट कुछ भी नहीं है। बीते कुछ हफ्तों में कोविड-19 मामलों में B.1.617.2 वैरिएंट मिले हैं जिसकी उत्पत्ति भारत में ही हुई थी। साइलोजेनेटिक परीक्षण में इस वैरिएंट को सिंगापुर में कई समूहों के साथ जुड़ा हुआ दिखाया गया है।”
वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिनंदम बागची ने कहा था कि- “दिल्ली के मुख्यमंत्री के सिंगापुर वैरिएंट वाले ट्वीट पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए सिंगापुर सरकार ने आज हमारे उच्चायुक्त को बुलाया था। उच्चायुक्त ने साफ किया कि दिल्ली के सीएम के पास कोविड वैरिएंट या नागरिक उड्डयन नीति पर बोलने का अधिकार नहीं है।”
वियतनाम का हाईब्रिड स्ट्रेन
वियतनाम में कोरोना वायरस का एक भिन्न रूप (वैरिएंट) पाया गया है जो भारत के B.1.617.2 और ब्रिटेन में पाए गए कोरोना वायरस B.1.1.7 का मिला-जुला रूप है लिहाज़ा इसे हाइब्रिड स्ट्रेन कहा जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि ये वैरिएंट हवा में तेज़ी से फैलता है। वियतनाम के स्वास्थ्य मंत्री विएन थान लॉन्ग ने शनिवार को कहा कि कोरोना का ये नया वैरिएंट बहुत ही ख़तरनाक है।
जनवरी 2020 में कोविड-19 के वायरस की पहचान के बाद से अब तक इसके कई म्यूटेशन्स की पहचान की जा चुकी है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक वियतनाम के स्वास्थ्य मंत्री विएन थान लॉन्ग ने इसे दो ज्ञात वैरिएंट का हाइब्रिड स्ट्रेन बताते हुए कहा, “वियतनाम में भारत और ब्रिटेन में पाए जाने वाले कोविड-19 के दो मौजूदा वैरिएंट्स के लक्षणों को मिलाकर एक नया वैरिएंट मिला है।
कैसे उत्पन्न हुआ डबल म्यूटेंट स्ट्रेन B.1.617.2
दरअसल वायरस एक निश्चित समय पर अपना स्वरूप बदल लेता है। भारत में इस डबल वैरिएंट जिसे B.1.617 का नाम दिया गया, उसमें SARS-CoV-2 के दो म्यूटेंट हैं अर्थात SARS-CoV-2 का जो वायरस था, उसमें दो बड़े बदलाव आये हैं। इन बदलावों के नाम E484Q और L452R हैं।
E484Q म्यूटेंट ब्रिटेन और साउथ अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस वैरिएंट्स से मिलते जुलते हैं। इसी तरह से L452R वैरिएंट की वजह से अमेरिका के कैलिफोर्निया में तेजी से वायरस फैला था। ये दोनों बदलाव दूसरे देशों में पाए गए कोरोना वायरस के वैरिएंट्स में भी पाए गए हैं। लेकिन यह पहली बार भारत में ही हुआ है कि एक ही वैरिएंट में दोनों बदलाव आ गए हों। इस तरह से इसे डबल म्यूटेंट वाला कोरोना वायरस कहा गया। जिसे भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में इंडियन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन कहा है जबकि सरकार से नाराज आमजन इसे अब मोदी स्ट्रेन औऱ मोविड कह रहे हैं।
मोदी स्ट्रेन या मोविड
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोविड को मोविड और डबल म्यूटेंट स्ट्रेन के मोदी स्ट्रेन नाम दिया है और इसके पीछे उनके पास पर्याप्त तथ्य, तर्क और आंकड़े हैं।
सुहाना ने ट्विटर पर लिखा है भाजपा नहीं जानती कि मोदी सरकारी की नौटंकी को कैसे छुपाया जाये। इसलिये भाजपा के मंदबुद्धि प्रवक्ता कांग्रेस पर गरज रहे हैं। जबकि खुद उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके इंडियन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन बता रही है। फिर राहुल गांधी इंडियन स्ट्रेन या मोविड कहते हैं तो इतना हल्ला क्यों मचाया जाता है।
वहीं सुप्रभा ने भाजपा आईटी सेल सरगना अमित मालवीय के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा है कि – मैनिपुलेट मीडिया वाले अब जापान के कुछ घटनाओं के बहाने मोदीस्ट्रेन को जस्टीफाई कर रहे हैं।
बिजोश पोथन वर्गीज लिखते हैं फासीवादी वायरस मोदीस्ट्रेन से लक्षद्वीप को बचाइये।
अमृतपाल सिंह ने लिखा है मोदीस्ट्रेन की इलेक्शन रैली करो और संक्रमण फैलाओ।
सूरज मिश्रा ने जी न्यूज के सुधीर चौधरी के द्वारा यूरोप और उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के कोरोना आंकड़ों के बरअक्श भारत के कोरोना आंकड़ों को रखकर भारत में मरने वालों की संख्या को कमतर करके दिखाने की मूर्खतापूर्ण कृत्य को शेयर करके ‘मोदीस्ट्रेन मेड डिजास्टर’ लिखा है।
(जनचौक के विशेष संवादाता सुशील मानव की रिपोर्ट)
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