बिहार। रामनवमी के नाम पर बिहारशरीफ और सासाराम में हुई हिंसा और उत्पात की घटनाओं पर नीतीश सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। सरकार हिंसा के साजिशकर्ताओं और दंगे के आरोपियों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई कर रही है। हिंसा और दंगे के आरोप में अब तक करीब दो सौ लोगों को पुलिस गिरफ़्तार कर चुकी है। वहीं कुर्की के डर से बजरंग दल के संयोजक समेत उसके 9 गुर्गों ने सरेंडर कर दिया है। बिहार शरीफ दंगे के मुख्य आरोपी बजरंग दल संयोजक कुंदन कुमार को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि हिंसा के दौरान जलाए गए अज़ीज़िया मदरसे का सरकारी खर्चे पर पुनर्निमाण होगा।
बिहारशरीफ प्रशासन के मुताबिक रामनवमी के बाद भड़की हिंसा को लेकर तेजी से कार्रवाई की जा रही है। इलाके में धारा 144 लागू कर देने के बाद तुरंत अलग-अलग टीमों का गठन किया गया और सी.सी.टी.वी फुटेज से उपद्रवियों की पहचान कर गिरफ्तारी की कार्रवाई की जा रही है।
बिहारशरीफ मामले पर ग्राउंड रिपोर्टिंग कर चुके विमलेंदु बताते हैं कि जानबूझकर प्रायोजित ढंग से सरकार कि छवि धूमिल करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले को शिकार बनाया गया है।

एक तरफ प्रशासन के स्तर पर हिंसा के आरोपियों पर तेजी से कार्रवाई की जा रही है वहीं दूसरी ओर विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा शांति एवं सद्भाव कायम रखने के लिए शहर में सद्भावना मार्च निकाला गया। इस मार्च में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, सरकार के मंत्री, सांसद, शहर के बुद्धिजीवी और मीडियाकर्मी शामिल थे। इसके अलावा जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में फ्लैग मार्च भी निकाला गया।
200 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी
बिहारशरीफ और सासाराम में हुए दंगे के बाद सोशल मीडिया पर कई लोग राजद की इफ़्तार पार्टी का बहिष्कार रहे हैं। सोशल मीडिया पर “बॉयकॉट इफ्तार पार्टी” का हैशटैग चलने लगा। पटना के रेहान बताते हैं कि “बिहारशरीफ दंगे के मुख्य आरोपी बजरंग दल संयोजक कुंदन कुमार के घर कल सुबह ही बिहार पुलिस ने ‘कुर्की-जब्ती’ शुरू की तो उसके एक घंटे बाद उसने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।
इसके अलावा प्रशासन द्वारा अब तक 200 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। बिहार के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ने भी कहा है कि सरकारी खर्चे पर मदरसे के नुक़सान की भरपाई की जाएगी। साथ ही दंगे में जिनका नुकसान हुआ है, उसकी भी भरपाई बिहार सरकार करेगी।

नालंदा के रहने वाले सृजन सन्नी बताते हैं कि “बिहारशरीफ हो या सासाराम, इस तरह की तमाम घटनाओं के तार भाजपा या उसके आनुषांगिक संगठनों से जुड़े मिलेंगे। इसके बावजूद सांप्रदायिक हिंसा के बाद देश के गृह मंत्री अमित शाह ने नवादा में हिंसा और दंगों को लेकर तीखी बयानबाज़ी की थी। अगर राज्य के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी दंगा-स्थल पर जाकर बयानबाज़ी करेंगे तो सांप्रदायिक ताकतों को हवा मिलेगी और दंगाइयों के मंसूबों को मजबूती”।
सृजन सन्नी आगे कहते हैं कि “बिहार सरकार ने बयानबाजी के बजाए दंगाइयों को पकड़ने पर जोर दिया है। कुर्की के डर से बजरंग दल के संयोजक सहित उसके 9 गुर्गों ने सरेंडर कर दिया है। अभी भी कार्रवाई जारी है। बिहार सरकार से विनती है कि ऐसे असामाजिक तत्वों पर NSA लगा कर आगे की कार्रवाई करें”।
‘बिहार में नफरत फैलाने वालों की जगह नहीं’
राष्ट्रीय जनता दल के युवा नेता देवा गुप्ता बताते हैं कि “नफरत फैलाने वालों से हमारी पार्टी ने कभी समझौता नहीं किया है। हम अमन चैन पसंद करने वाले लोग हैं। बिहार में नफरत फैलाने वालों की कोई जगह नहीं है। हमारे नेता लालू जी एवं तेजस्वी जी ने हमेशा गरीबों, मजलूमों की लड़ाई लड़ी है। दंगे के आरोपियों की कुर्की-जब्ती हुई है। दंगे में जिन्हें नुकसान हुआ है उसकी भरपाई राज्य सरकार कर रही है।”

राष्ट्रीय जनता दल से जुड़े आलोक कहते हैं कि “सत्ता रहे या जाए उससे फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन हमारे नेताओं ने राज्य में अमन चैन कायम करने के लिए कुर्बानियां दी हैं और बड़ी से बड़ी कीमत चुकाई है। लालू जी संघी ताकतों से समझौता नहीं करने की कीमत ही चुका रहे हैं। सत्ता रहे या जाए उसकी परवाह न कभी की है न करेंगे। चाहें वो लालू जी हों या तेजस्वी जी।”
बिहार में बहुजन राजनीति पर लिखने वाले प्रियांशु कुशवाहा बताते हैं कि “हम सामाजिक न्याय के ध्वजवाहक हैं। हमने कभी सांप्रदायिक शक्तियों को हावी नहीं होने दिया है। हमने कभी उन दंगाइयों को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचने दिया। हमने हमेशा झूठ-हिंसा-अराजकता के ऊपर करुणा-बंधुत्व और शांति को चुना है। हम कल भी एकजुट थे, आज भी एकजुट हैं। बिहार हमारा है और हमारा संदेश मोहब्बत है”।
(बिहारशरीफ से राहुल की रिपोर्ट)
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