एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा नीट को लेकर गंभीर सवाल उठ गए हैं। केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत में हलफनामे देकर स्वीकार किया गया है कि सीमित इलाकों में पेपर लीक हुआ। जबकि कुछ दिन पहले तक सरकार इसे बिल्कुल नहीं मान रही थी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने तो किसी भी तरह के पेपर लीक से स्पष्ट इनकार किया था। एनटीए ने भी अपनी किसी भी प्रेस विज्ञप्ति में पेपर लीक की बात को स्वीकार नहीं किया था। जबकि इसके प्रमाण पांच मई को परीक्षा वाले दिन ही मिलने शुरू हो गए थे।
पहले आर्थिक अपराध इकाई और अब सीबीआई की जांच में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। पेपर लीक मास्टरमाइंड मुखिया अभी फरार है। जब तक वह नहीं पकड़ा जाता, तब तक ये स्पष्ट नहीं होगा कि उसे पेपर कहां से मिला। उसने आगे किन-किन प्रदेशों में किन-किन लोगों को पेपर भेजा।
अब तक की जांच में स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि पेपर को व्हाट्सएप के माध्यम से इधर-उधर भेजा गया। ऐसे में इस लीक को सीमित स्तर का लीक कहना दुर्भाग्यपूर्ण है। जब किसी परीक्षा के पेपर जैसा कोई संवेदनशील दस्तावेज सोशल मीडिया पर आ जाए तो उसके प्रसार की संभावनाएं असीमित होती हैं।
एनटीए ने अपने हलफनामे में रैंक इनफ्लेशन के कई कारण बताए हैं। जैसे, इस बार पेपर का अपेक्षाकृत आसान होना, सिलेबस कम करना एवं छात्रों की बढ़ी हुई संख्या। लेकिन यह तीनों कारण स्वीकार्य नहीं हैं। विषय विशेषज्ञों के अनुसार पेपर की कठिनाई का स्तर लगभग 2023 जैसा ही था। सिलेबस में कुछ टॉपिक कम किए गए तो कुछ जोड़ भी दिए गए तथा जोड़े गए टॉपिक अपेक्षाकृत काफी कठिन थे। इसके अतिरिक्त सिलेबस में बदलाव की घोषणा भी मात्र कुछ माह पूर्व की गई थी। जहां तक छात्रों की बढ़ी हुई संख्या का प्रश्न है, एनटीए यह बताना भूल गया कि वर्ष 2023 में तो छात्रों की संख्या में अपेक्षाकृत अधिक वृद्धि हुई थी। रैंक इनफ्लेशन में सबसे आश्चर्यजनक तो यह है कि रैंक इनफ्लेशन केवल 520 अंक से ऊपर की श्रेणी में है। यदि एनटीए द्वारा दिए गए कारण सही होते, तो रैंक इनफ्लेशन नीचे के स्कोर्स में भी दिखाई दिया जाना चाहिए था।
पटना पेपर लीक पर एनटीए ने भी अपने जवाब में लिखा है कि अभी जांच चल रही है। गोधरा के बारे में भी एनटीए ने कहा कि पुलिस ने सभी आरोपियों को पकड़ लिया है। लेकिन छात्रों को आशंका है कि जब एनटीए का सिस्टम इतना कमजोर था तो इस बात से कैसे इनकार किया जा सकता है कि इस तरह की अनियमितता अन्य केंद्रों पर नहीं हुई होगी।
कुल मिलाकर घूम-फिरकर सब कुछ सीबीआई की जांच पर निर्भर दिखाई दे रहा है। जांच अभी पूरी नहीं हुई है। अभी काउंसलिंग और प्रवेश प्रक्रिया संपन्न नहीं हुई है तथा सब कुछ सुधारा जा सकता है। पूरी सावधानी के साथ परीक्षा दोबारा करवाई जाए तो किसी भी योग्य बच्चे के साथ अन्याय नहीं होगा।
लेकिन यदि दोबारा परीक्षा न कराकर इसी परिणाम के आधार पर प्रवेश दे दिए गए तो बुरे परिणाम होंगे। एक महीने बाद सीबीआई की जांच में आ सकता है कि लीक व्यापक स्तर पर हुआ था। यह व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर भी हुआ (जिसके प्रमाण हैं) तो यह छात्रों के साथ हुआ एक ऐसा स्थायी अन्याय होगा। इसे सुधारा नहीं जा सकेगा। इस अन्याय को दशकों तक याद किया जाएगा।
यह सत्य है कि दोबारा परीक्षा हुई तो उससे बच्चों को असुविधा तो होगी। लेकिन स्थायी अन्याय और अस्थायी असुविधा में से एक को चुनना हो तो दूसरा विकल्प कहीं अधिक तर्कसंगत प्रतीत होता है। सरकार के पास एनटीए की गलती को सुधारने का अवसर था जिसे सरकार ने गंवा दिया। संभवतः सरकार स्वयं कोई निर्णय न लेकर सर्वोच्च अदालत से इसके निर्णय की अपेक्षा कर रही है।
दूरगामी परिणाम : यदि नीट परीक्षा दोबारा आयोजित नही की गई तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे :
- हजारों अयोग्य छात्र बेईमानी करके भविष्य में चिकित्सक बन कर नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करेंगे।
- हजारों योग्य छात्रों को अन्यायस्वरूप अपना ड्रीम छोड़कर किसी अन्य क्षेत्र में जाना होगा।
- युवाओं का देश के सिस्टम से विश्वास हमेशा के लिए उठ जाएगा।
- भविष्य में नीट परीक्षा देने वाले छात्र घोर मानसिक तनाव में रहेंगे।
- स्थानीय स्तर पर पेपर लीक की स्वीकार्यता से पेपर लीक माफिया को प्रोत्साहन मिलेगा।
- सरकारों की कार्य प्रणाली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लगेगा।
- नीट 2024 के पीड़ित छात्र जीवन भर अपने साथ हुए अन्याय की आग में झुलसेंगे।
- बहुत से परिवारों को घोर आर्थिक कठिनाई होगी।
- अन्य परीक्षाओं को भी अविश्वास की दृष्टि से देखा जायेगा।
- 2024 बैच में प्रवेश लेने वाले छात्र को जीवन भर संदेह की दृष्टि से देखा जायेगा।
यदि इस परीक्षा को निरस्त कर दोबारा कराएं, तो छात्रों को मात्र एक माह और पढ़कर दोबारा परीक्षा देने का कष्ट उठाना होगा। यह उपरोक्त लिखित स्थाई विकारों, विसंगतियों और अन्याय से बेहतर होगा। क्या माननीय सर्वोच्च अदालत के समक्ष ऐसे सभी तथ्य प्रस्तुत किए जायेंगे?
(डॉ. राज शेखर यादव यूनाइटेड प्राइवेट क्लिनिक्स एंड हॉस्पिटल्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के स्टेट कन्वेनर हैं)
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