मिजोरम से त्रिपुरा भाग कर आए ब्रू शरणार्थियों के पुनर्वास के फार्मूले के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल आहूत किए जाने के कारण शनिवार को त्रिपुरा पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और गोलीबारी करने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और कम से कम 20 लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारी उत्तरी त्रिपुरा के पानीसागर में राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया है। पुलिस के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने शनिवार की सुबह हिंसक प्रदर्शन किया। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज का सहारा लिया और भीड़ पर काबू पाने के लिए गोली चलाई। विरोध प्रदर्शन में शामिल 40 वर्षीय श्रीकांत दास की मौके पर ही मौत हो गई।
1997 में त्रिपुरा के पड़ोसी राज्य मिजोरम के ममित, कोलासिब और लुंगलेई जिलों से भागकर आए 32,000 से अधिक ब्रू समुदाय के लोगों को केंद्र सरकार, त्रिपुरा सरकार, मिजोरम सरकार और ब्रू शरणार्थियों के बीच हुए समझौते के तहत त्रिपुरा में फिर से बसाया जा रहा है। उनके विस्थापन के तेईस साल बाद और प्रत्यावर्तन के नौ चरणों के बाद, केंद्र ने इस साल जनवरी में त्रिपुरा में इन शरणार्थियों को समूह में फिर से बसाने के लिए 600 करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया।
मीडिया से बात करते हुए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह ने कहा कि पुलिस आत्मरक्षा में गोली चलाने के लिए मजबूर हो गई थी। पुलिस अधिकारी ने कहा, “भीड़ ने बिना अनुमति के राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया था। हमने उनको रोकने की कोशिश की और भीड़ के हिंसक हो जाने के बाद हमने हल्का लाठीचार्ज किया और गोलीबारी की। भीड़ अनियंत्रित हो गई और उसने पुलिस से हथियार छीनने की कोशिश की। पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई।”
सिंह ने स्वीकार किया कि पुलिस की गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई और कुछ अन्य घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों के हमले के चलते त्रिपुरा पुलिस और फायर सर्विस के कम से कम नौ जवान घायल हो गए। उनमें से अधिकांश को पानीसागर और धर्मनगर में अस्पताल में भर्ती कराया गया, दो को इलाज के लिए अगरतला के जीबीपी अस्पताल ले जाया गया।
दूसरी तरफ हड़ताल आहूत करने वाली संयुक्त आंदोलन समिति (जेएमसी) ने दावा किया है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, क्योंकि वे शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे थे। जेएमसी के संयोजक सुशांत बरुआ ने कहा, “हमारे प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण रूप से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने बिना उकसावे के उन पर गोलियां चला दीं। एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों की स्थिति को लेकर अभी भी हमारे पास स्पष्ट जानकारी नहीं है”
उन्होंने यह भी दावा किया कि समाज कल्याण मंत्री संतन चकमा और स्थानीय विधायक भगवान दास ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की थी और लिखित आश्वासन दिया था कि उनकी मांग जल्द ही पूरी होगी। मिजो कन्वेंशन के प्रमुख और जेएमसी नेता डॉ. जेड पचुआऊ ने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर बिना उकसावे के एक स्थानीय त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) के जवान ने गोली चला दी, जिसके चलते प्रदर्शनकारियों ने जवाबी कार्रवाई की। इसके परिणामस्वरूप कई प्रदर्शनकारियों को चोटें आईं। पचुआऊ ने दावा किया कि पुलिस गोलीबारी के बाद आंदोलनकारियों के ‘प्रतिशोध’ के दौरान एक टीएसआर कांस्टेबल की मौत हो गई।
स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि त्रिपुरा पुलिस और त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) के जवानों की एक बड़ी टुकड़ी को घटना के बाद इलाके में तैनात किया गया और ताजा रिपोर्ट आने तक स्थिति नियंत्रण में है। संयुक्त आंदोलन समिति द्वारा रखी गई मांगों के पक्ष में विपक्षी माकपा के समर्थन के बाद यह घटना सामने आई, जहां पार्टी ने कहा कि शरणार्थियों को खाश या सरकारी भूमि, आरक्षित वन क्षेत्रों या वन कवर-मुक्त भूमि पर बसाया जाना चाहिए और स्थानीय निवासियों के हितों को नुकसान पहुंचाए बिना उनकी आजीविका सुनिश्चित होनी चाहिए। पार्टी ने राज्य सरकार से प्रदर्शनकारियों से संकट के सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने के लिए बातचीत शुरू करने का भी आग्रह किया है।
सत्तारूढ़ भाजपा-आईपीएफटी सरकार ने त्रिपुरा में ब्रू को फिर से बसाने के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि मंगलवार से कंचनपुर में धारा 144 का उल्लंघन करने वाले लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 1997 में जातीय संघर्ष के कारण मिजोरम से विस्थापित हुए ब्रू समुदाय के लोग त्रिपुरा के कंचनपुर उप-मंडल के अंतर्गत आने वाले छह शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। त्रिपुरा में ब्रू शरणार्थियों के पुनर्वास का निर्णय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में इस साल जनवरी में नई दिल्ली में हुई बहुकोणीय बैठक के बाद लिया गया था।
यह निर्णय लिया गया कि ब्रू लोग, जो 1997 में एक जातीय संघर्ष के बाद मिजोरम से भागकर आए और उत्तरी त्रिपुरा में शरण ली, को त्रिपुरा में फिर से बसाया जाएगा और केंद्र सरकार त्रिपुरा सरकार को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। केंद्र ने इन ब्रू शरणार्थियों के बसने के लिए 600 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की।
पैकेज में से 150 लाख रुपये भूमि अधिग्रहण के लिए त्रिपुरा सरकार को दिए जाएंगे और बाकी पैसा इन आदिवासियों के कल्याण पर खर्च किया जाएगा, जो परंपरागत रूप से खेती की ‘झूम’ पद्धति का पालन करते हैं। जेएमसी (संयुक्त आंदोलन समिति) स्थानीय बंगालियों और मिज़ो लोगों का एक मंच है। यह मंच कंचनपुर उप-मंडल में ब्रू शरणार्थियों के सामूहिक पुनर्वास का पुरजोर विरोध कर रहा है।
(दिनकर कुमार ‘द सेंटिनल के संपादक रह चुके हैं। आप इस समय गुवाहाटी में रहते हैं।)
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